साईं घुसपैठिए जगद्गुरू शंकराचार्य जी के जन जागरण से भयभीत क्यों हैं ?
शंकराचार्य जी ने साईं घुसपैठियों को धार्मिक तस्करी करने से रोककर गलत क्या किया है ! कोई चोर रँगे हाथों पकड़ा जाए तो उसे बुरा तो लगेगा ही लगे तो लगने दो किसी को बुरा लगने के भय से हम अपनी धार्मिक मान्यताएँ क्या मिट जाने देंगे !
"साईं संप्रदाय का सबसे बड़ा झूठ 'साईं डे ' अर्थात साईं बाबा का दिन "
बृहस्पति वार से साईं का सम्बन्ध क्या है ?इस दिन अनंत काल से बृहस्पति देवता एवं भगवान विष्णु की पूजा होती चली आ रही है सारी दुनियाँ जानती भी इस दिन को इसी नाम से है ये करोड़ों वर्षों की शास्त्रीय संस्कृति भी है और परंपराओं में भी यही माना जाता रहा है और अभी तक यही माना जा रहा है इसी बात के प्रमाण भी हैं किन्तु अभी कुछ वर्षों से साईं के घुसपैठियों ने इस बृहस्पति वार में साईं बुड्ढे को जबर्दश्ती घुसाना शुरू कर दिया है इसके पीछे इन लोगों के पास न कोई तर्क है न कोई प्रमाण न और कोई आधार !है तो केवल निर्लज्जता !!
बृहस्पति वार को साईंवार कहने के नुक्सान !
ज्योतिषीय दृष्टि से बृहस्पति देवता के दिन को किसी ऐरे गैरे के नाम ऐसे कैसे कर दिया जाएगा और जो करेगा उससे बृहस्पति देवता को बुरा तो लगेगा ही इससे बृहस्पति देवता क्रोधित तो होंगे ही और ऐसे लोगों की जन्म पत्रियों में बृहस्पति देवता अच्छे की जगह अपना बुरा फल देने लगते हैं जिससे लोगों का नुक्सान होता है ! ऐसे लोगों को बृहस्पतिदेवता से सम्बंधित जो जो लाभ मिलने चाहिए उनसे वे बंचित रह जाते हैं और बृहस्पति देवता से सम्बंधित जो लाभ होने चाहिए उन्हीं उन्हीं क्षेत्रों से जुड़े लाभ न होकर नुक्सान होने लगते हैं !
बृहस्पति के क्रोधित होने से नुक्सान क्या हो सकते हैं ?
बंधुओ! बृहस्पति के क्रोधित होने से हृदय रोग होने लगता है,घर से शिक्षा का वातावरण समाप्त होने लगता है, पढ़ने में मन नहीं लगता, भगवानों की पूजा में मन नहीं लगता,बड़े बूढ़ों का सम्मान समाप्त होने लगता है घर में कलह बढ़ने लगता है, विवाह विच्छेद होते देखे जाते हैं, बच्चे बच्चियों का सुख समाप्त होने लगता है बेटा बेटियाँ माता पिता के पदों को सस्पेंड करके शादी सम्बन्धी ऊँच नीच फैसले स्वयं करने लगते हैं जिससे गृह क्लेश बढ़ता है !संतान होने में बाधा होती है ऐसे लोगों को बृहस्पति सम्बन्धी कार्यों में नुक्सान होने लगता है जैसे सोना पीतल आदि से जुड़े पीले रंग के कार्य धन हानि करते हैं इनसे जुड़ी संपत्ति के खोने का भय बना रहता है और सबसे बड़ी बात कि सामाजिक प्रतिष्ठा समाप्त होने लगती है आदि आदि ! इसलिए बृहस्पतिवार को बृहस्पतिवार ही कहा जाए इसी में भलाई है और समाज के लिए यही शुभ फलदायक है !
जब साईं नाम का कोई ग्रह ही नहीं है तो साईंवार कैसे हो सकता है?
साईं घुसपैठियों का बृहस्पतिवार को साईं वार कहने का ड्रामा !बृहस्पतिवार को साईं वार कहना कितना सही है !आप स्वयं सोचिए कि ग्रहों के दिन वही हो सकते हैं जिनके नाम के आकाश में ग्रह होते हैं वो ग्रह अपने अपने दिनों में शुभ या अशुभ फल दिया करते हैं किन्तु साईं वार का मतलब क्या है क्या इन्होंने साईं नाम का कोई ग्रह बनवाकर साईं पत्थरों को मंदिरों में घुसाने की तरह ही आकाश में भी साईं पत्थर घुसा कर टाँग रखा है क्या ?और यदि नहीं तो फिर ये धोखाधड़ी क्यों !आखिर क्यों मिस गाइड किया जा रहा है समाज को ? जब साईं नाम का कोई ग्रह ही नहीं है तो साईं वार कैसे हो सकता है !फिर भी साईं घुस पैठियों के द्वारा शास्त्रीय मान्यताओं से समाज को भटकाने का उद्देश्य आखिर क्या है इसकी जाँच होनी चाहिए !
साईं पत्थरों को मंदिरों में रखने से हानियाँ !
मंदिरों में नाक मुख आँखें कान आदि बनाकर रखे गए साईं नाम के पत्थर पूजने से अनेकों प्रकार के नुक्सान हैं !मंदिरों में रखे गए साईं पत्थरों को पूजने से समाज को भारी भ्रम होगा और कहीं आगामी पीढ़ियाँ भगवानों की प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियों को भी साईं पत्थरों की तरह ही पत्थर न समझने लगे जिससे अनादि कालीन सनातन संस्कृति से जुड़ी संतानें भ्रमित होकर भटक न जाएँ इसलिए सनातन धर्मियों को मिलजुलकर अपने मंदिरों से साईं पत्थरों को जल्दी से जल्दी बाहर करना होगा अन्यथा सनातन मंदिरों का आस्तित्व ही समाप्त होता दिख रहा है कई सनातन धर्म के देव मंदिर आज साईं मंदिरों के नाम से प्रसिद्ध होने लगे हैं ये चिंता का विषय है !
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