Monday, July 21, 2014

saai 5

 धर्म की ये दुर्दशा -

   बड़े बड़े  मलमलबाबाओं, तमाशारामों, आमोदप्रमोदों तथा कुचक्रपाणियों के मनमाने ऊलजुलूल एवं धर्म के नाम पर धर्म विहीन अधार्मिक अशास्त्रीय निर्णयों वक्तव्यों आचरणों से सनातन धर्मी समाज अब तंग आ चुका है । जब होता है तब सनातन धर्म कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है आखिर क्यों और कोई धर्म क्यों नहीं ? सनातन धर्म शास्त्रों में लिखी बातों का उपहास उड़ाया जाता है सनातन धर्म के बड़े से बड़े साधू संतों को टी.वी.चैनलों पर बैठकर लोग गाली दे देते हैं ,ऐसे लोग जिनकी धार्मिक शिक्षा बिलकुल शून्य है वो भी टी.वी.चैनलों पर बैठकर धार्मिक विन्दुओं पर हमारे साधू संतों से माफी माँगने की माँग करते हैं उनका इतना दुस्साहस !

see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html 

 धर्म की ये दशा -

भगवा वस्त्रों में शरीर लिपेट कर रहने वाला कोई सनातन धर्म शास्त्र द्रोही हिन्दुओं के प्राण रूप भगवान श्री राम और श्री कृष्ण को आम इंसान बता देता है भगवान की मूर्तिओं को आम पत्थर बता देता है ऐसे निकृष्ट व्यक्ति का भी सम्मान करने की एवं उसे स्वामी जी कहने की हिन्दू समाज की आखिर क्या मजबूरी है!

see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html

 धर्म की ये दशा -

राजनीति करने के लिए कुछ लोग धर्म से जुड़े हैं धार्मिक वेष भूषा बनाए फिरते हैं अधिकांश ऐसे साधुओं ने ही साईं पूजा का समर्थन किया है उनकी बातों का विश्वास आखिर कैसे किया जाए क्योंकि वो पूर्णतया धार्मिक नहीं होते हैं आधे धार्मिक और आधे नेता होते हैं तो धार्मिक वेष भूषा में रहते हुए भी राजनैतिक दोष दुर्गुण उनमें आ जाना स्वाभविक ही है ,आखिर  चुनाव लड़ने के लिए उन्हें बहुत पैसा चाहिए दुनियां जानती है कि उनका कोई कारोबार नहीं है उन्हें यदि चुनावी चंदा चाहिए तो  माँगना ही पड़ेगा !उस धन के लिए वो साईं की वकालत करें या किसी और प्रकार की दलाली या कमीशन का कुछ और काम धंधा देखें ,कुछ न कुछ ऐसा ही करना पड़ेगा उन्हें अन्यथा आखिर कहाँ से आएगा वो भारी भरकम धन जो चुनाव लड़ने के लिए चाहिए इसलिए धन के लिए कोई भी अशास्त्रीय समझौता करना उनकी मजबूरी हो सकती है किन्तु आम आदमी जो बिलकुल आम बनकर जी लेना चाहता है आखिर वो अपने देवी देवताओं ,धर्म शास्त्रों ,मंदिरों एवं महापुरुषों की प्रतिष्ठा से समझौता क्यों करे !

 more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.htmlsee

 धर्म की ये दशा -

हिन्दुओं के यहाँ भगवानों की कोई वैकेंसी खाली नहीं है !

    जहाँ साईं को भर्ती कर लिया जाए !भगवान बनाकर पूजने की लिस्ट में साईं का कहीं नंबर ही नहीं है !

     सबसे अधिक देवी देवता हिन्दुओं में ही हैं, इसलिए  साईं को कृपा करके उन धर्मों पर थोपा जाए जिनके यहाँ भगवानों की कमी है !हिन्दू अपने धर्मों एवं परंपराओं से बाहर जाकर किसी तथाकथित भगवान को गोद नहीं ले सकता !ये मजबूरी सबको समझनी चाहिए ,वैसे भी हिन्दुओं को यदि किसी को भगवान बनाकर ही पूजना होगा तो उनके स्वयं असंख्य साधू संत महापुरुष आदि दिव्यातिदिव्य हो चुके हैं जिन्होंने देश समाज धर्म एवं धर्म शास्त्रों के लिए बहुत कुछ किया है जिनके योगदान को

see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html

 धर्म की ये दशा -

यदि हमें भगवान बनाकर ही पूजना ही होगा तो हम अपने पूर्वजों को पूजेंगे, उनके मंदिर बनाएँगे उनकी मूर्तियाँ लगाएँगे । जिनके चरित्र  से दुनियाँ सुपरिचित है उनके योगदान के विषय में कोई एक प्रश्न करेगा तो सौ उत्तर देंगे आखिर उनके आचरण ही ऐसे उत्तमश्लोक होंगें कि उनकी पहचान बताने और प्रशंसा करने में हमें शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा बगलें नहीं झाँकनी पड़ेंगी ,टी.वी. पैसा देकर झूठी प्रशंसा नहीं करवानी पड़ेगी !

more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.htmlsee

 धर्म की ये दशा -

साईं सनातन धर्म के प्रति समर्पित व्यक्ति नहीं थे वो सभी धर्मों को मानने वाले थे इसलिए जिसे हमारे धर्म के प्रति भरोसा नहीं था उस पर हम ही भरोसा क्यों कर लें ? सभी धर्मों के लोग उन्हें जितना मानेंगे हिन्दू  भी उतना मानेंगे वो जिसकी इच्छा होगी ।  

see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html

 धर्म की ये दशा -

साईं बूढ़े थे इस नाते उनका सम्मान उसी तरह किया जा सकता है जितना सभी वृद्धों का होता है आखिर साईं वीआईपी बूढ़े क्यों माने जाएँ !आखिर हमें क्यों लगता है कि हमारे माता पिता दादा दादी आदि पूर्वज भगवान बनने के लायक नहीं थे उनमें ऐसी क्या कमी थी जिसे साईं पूरी करते हैं अगर कोई कहता है कि साईं मनोकामना पूरी कर देते हैं याद रखिए बड़े बूढ़ों की सेवा से जो आशीर्वाद मिलता है वो अमोघ कवच होता है वो अनंत पुण्यफल प्रदान करता है उससे बड़ी बड़ी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं ये स्वाभाविक है हमारे धर्म शास्त्रों का ये उद्घोष है कि वृद्धों की सेवा से ये चार चीजें प्रतिदिन बढ़ती हैं -

      चत्वारि तस्य बर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्

               आयु, विद्या,यश और बल   

    इसका अनुभव वही बता सकते हैं जिन्होंने अपने घर के वृद्धों का सम्मान किया है पूजन किया है जो अपने घर के वृद्धों का हक़ मार  करके दूसरे के वृद्धों(साईं ) का पूजन करते घूमते हैं उन्हें फल तो भगवान देते हैं किन्तु वो फल नहीं मिलता है जो अपने बृद्धों के पूजन से मिलता है आखिर हम दूसरे के बूढ़ों को पूजते घूमेंगे तो हमारों को कौन पूजेगा इसलिए वो फल नहीं मिलता दूसरा फिर अपने परेशान करते हैं अर्थात पितृदोष होता है !

 see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html

 धर्म की ये दशा -

ऐसे कितने लोग हैं जो अपने पितरों का पूजन करते हैं श्राद्ध करते हैं और उन्हें छोड़कर साईं बाबा जैसे दूसरे के बूढ़े को पूजते घूमते हैं !अपने माता पिता सास श्वसुर आदि की पूजा न करके दूसरे बूढ़ों (साईं )को पूजते हैं तो उनका श्राप लगता है बेशक वोमाता पिता आदि जीवित ही क्यों न हों बेशक वो श्राप न दें किन्तु भगवान ही ऐसा न्याय करते हैं यदि ऐसा नहीं होगा तो दुनियाँ साईं को पूजने लगेगी और अपने माता पिता को वृद्धाश्रम भेज आएगी या उनकी उपेक्षा करने लगेगी !

see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html

 धर्म की ये दशा -

यह तो सब लोग मानते हैं कि साईं और कुछ भी हों किन्तु हिन्दुओं के भगवान नहीं हो सकते !यदि यह सच है तो यह भी मानना पड़ेगा कि साईं की मूर्तियाँ मंदिरों में नहीं रखी जा सकतीं क्योंकि मंदिर भगवान के लिए बनाए जाते हैं ! जितना यह सच है उतना ही सच यह भी है कि साईं की मूर्तियाँ प्राण प्रतिष्ठित नहीं हो सकतीं क्योंकि वेदों में मन्त्र तो देव प्रतिष्ठा के लिए होते हैं और बिना प्राण प्रतिष्ठा की हुई मूर्तियों का पूजन करने से हिन्दुओं के देवी देवताओं की मूर्तियों की पूजा के विषय में भी संशय होगा कि शायद ये भी देव मूर्तियाँ न होकर पत्थरों के खंड ही पुरुषाकृति के बनाकर फूल मालाएँ चढ़ाकर कर गाया बजाया  जाने  लगा हो जबकि देवी देवताओं की मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है जो साईं की मूर्ति में संभव ही नहीं है । हो सकता है साईं साधू संत या कोई दूसरे धर्म के फकीर रहे हों किन्तु मंदिरों में साईं की मूर्ति रखकर देव पूजा पद्धति से साईं की पूजा तो नहीं  ही की जा सकत है क्योंकि यह शास्त्र सम्मत नहीं है ।

see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html

 धर्म की ये दशा -

साईं को साधू संत यदि मान भी लिया जाए तो शास्त्र को एक तरफ रखकर आँखें मूँद कर साधुवेष पर भी अंध विश्वास तो नहीं ही किया जा सकता है वैसे भी अंध आस्था के कारण ही माता सीता का हरण हुआ था सनातन हिन्दुओं को उस घटना से बहुत कुछ सीखना होगा !

see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html

 धर्म की ये दशा -

साईं को साधू संत यदि मान भी लिया जाए तो शास्त्र को एक तरफ रखकर आँखें मूँद कर साधुवेष पर भी अंध विश्वास तो नहीं ही किया जा सकता है वैसे भी अंध आस्था के कारण ही माता सीता का हरण हुआ था सनातन हिन्दुओं को उस घटना से बहुत कुछ सीखना होगा !

     इसलिए कुछ धार्मिक लोग भी  यदि साईंपूजा का समर्थन कर देंगे तो भी ऐसे स्वयंभू नीति नियामकों को सनातन धर्मी हिन्दू समाज अपना धार्मिक प्रतिनिधि क्यों मान लेगा यदि वो शास्त्र सम्मत न बोलकर अपितु धर्मशास्त्रों की आवाज दबाकर अपना मनगढंत फतवा जारी करेंगे!सनातन धर्मी हिन्दू किसी का  बँधुआ मजदूर तो नहीं है जो धर्म के नाम पर उसे जैसा समझा दिया जाएगा वैसा मान लेगा !यदि वो शास्त्र पढ़ सकता है तो स्वयं भी पढ़ेगा और समझेगा तब मानेगा !

see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html 

 धर्म की ये दशा -

केवल धार्मिक वेष भूषा धारण कर लेने से किसी को संत नहीं माना जा सकता! संत स्वयंभू नहीं हो सकते !साधू संत वेद पुराणों एवं धर्म शास्त्रों को मानते हैं भगवान को भगवान मानते हैं इसलिए हिन्दू समाज उन्हें भगवान की तरह मानता है !किन्तु इसका ये कतई मतलब नहीं है कि धर्मवेष धारण करने वाले ऐसे कुछ लोग किसी अनाम बुड्ढे को भगवान बनाकर पूजने के लिए सनातन हिन्दुओं पर थोप देंगें ! अब सनातन धर्मी हिन्दू समाज किसी के भी ऐसे आदेश को स्वीकार नहीं करेगा जिससे उसके धर्म शास्त्रों की उपेक्षा होती हो देवताओं का गौरव घटता हो जिससे उसके आस्था प्रतीकों मंदिरों की गरिमा के साथ खिलवाड़ किया जाता हो !

see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html

No comments:

Post a Comment