साक्षर भारत की बातें अनपढ़ नेताओं के मुख से अच्छी लगती हैं क्या?उच्चशिक्षित अधिकारियों कर्मचारियों से अशिक्षित या अल्पशिक्षित नेता लोग काम कैसे ले पाएँगे !उन्हें बेवकूफ बनाते रहते हैं अधिकारी !
पार्षद विधायक सांसद तथा मंत्री आदि के लिए प्रत्याशी बनाते समय उनके लिए उच्च शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य क्यों न की जाए !
संसद आदि सदनों में अयोग्य लोग जाकर क्या करें मोबाइल पर मूवी कहाँ तक देखें कुर्सियों पर सोकर कितना समय पास करें !चर्चा करने और समझने की उनमें योग्यता नहीं होगी तो उनका मन ही नहीं होगा वहाँ जाने का !PM साहब कहते हैं सदन में उपस्थित रहो किंतु जब ऐसे लोगों को टिकट ही नहीं देते जो सदनों की चर्चा में सम्मिलित होने का साहस रखते हों तो फिर सरकारें अकर्मण्य ,कर्मचारी घूसखोर होंगे ही !अपराध और असंतोष बढ़ेगा ही !मंत्री क्या काम करेंगे ख़ाक !अयोग्य लोग सदनों में पहुँचकर भी हुल्लड़ न मचावें तो क्या करें !
जैसे नौकरी पाने के लिए लोग परिश्रम पूर्वक शैक्षणिक योग्यता हासिल करते हैं वैसे ही जिन्हें राजनीति में आना होगा वो भी शैक्षणिक योग्यता हासिल करेंगे !ऐसे तो केवल प्रसिद्ध पुरुष ही नेता बनपाते हैं वो योग्य हों या अयोग्य !प्रसिद्धि अच्छे कामों की अपेक्षा बुरे कामों से अधिक मिलती है !प्रसिद्ध होने के लिए नेता लोग अक्सर अपराधों का सहारा लेते हैं !बाद में वे सारे केस वापस हो जाते हैं !
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार कहती सब कुछ है किंतु करती कुछ नहीं है इसका मतलब क्या समझा जाए सरकार सम्मिलित है भ्रष्टाचार में !अन्यथा सुपुष्ट कार्यवाही करे सरकार ?
अवैध कामकाज या सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे रोकने की जिम्मेदारी जिन अधिकारी कर्मचारियों की है सरकार उनसे पूछती क्यों नहीं है कि ये हुए कैसे ?इन्हें ही रोकने के लिए तो तुम रखे गए थे और तुम्हें सैलरी दी जाती है किंतु जब तुम रोक नहीं पाए क्यों ?तुरंत यदि पता नहीं ला पाए थे तो बाद में ही हटवा देते !और यदि ऐसा करने में आप सफल नहीं हुए तो आपको बिना काम किए दी गई आज तक की सैलरी वापस क्यों न ली जाए !और आपको नौकरी पर रखा क्यों जाए !
उनसे पूछे कि आपमें योग्यता नहीं है या आप जिस काम को करने के लिए रखे गए हैं उसके बारे में आपको पता नहीं हैं !या फिर आप इतने आलसी हैं कि अपनी जिम्मेदारी निभाना नहीं चाहते या फिर आप घूस लेकर अवैध कामकाज करने की सहमति देते हैं आखिर क्या माना जाए !
सरकार को यह भी पूछना चाहिए कि इतनी सभी गलतियों के बाद भी हम आप पर कार्यवाही क्यों न करें हम तो आपसे घूस नहीं लेते हैं आखिर हम चुप कैसे बैठें और आपको सैलरी देने के लिए किस मुख से जनता से टैक्स माँगे !जिनसे आप काम करने की घूस ले ही लेते हैं वे हमें टैक्स क्यों दें या उनसे टैक्स लेना उनके साथ अन्याय नहीं है क्या ?समय पर ईमानदार सेवाएँ प्रदान करने के लिए ही उनसे टैक्स लिया जाता है !
सरकार उनसे कहे कि आप अवैध जमीनों पर कब्जे करवा देते हो पैसे तुम खा जाते हो व्यापार वो अवैध काम करने वाला चमका लेता है और परेशान वो जनता होती है जिसे ईमानदार सेवाएँ प्रदान करने के लिए सरकार टैक्स लेती है |
अवैध काम करने वालों से घूस लेकर आप उनकी मदद करते हो उससे पीड़ित यदि कोई पक्ष कही शिकायत करता है तो आप इसकी सूचना उस अवैध काम करने वाले को देकर शिकायत कर्ता पर हमले करवा देते हो ऐसी परिस्थिति वो चुप बैठ जाता है इसके बाद उसके बगल में चाहें अवैध हथियार बनें या आतंकवादी रहते रहें या अन्य कोई कितना भी जघन्य अपराध होता रहे उसकी सूचना कोई भी पड़ोसी सरकार को क्यों दे !सरकार के खुपिया तंत्र को फेल करने और जनता का विश्वास तोड़ने के लिए और दिनों दिन बढ़ते अपराधों के लिए आपको जिम्मेदार क्यों न माना जाए ! ऐसी परिस्थिति में छोटे बड़े सभी प्रकार की आपराधिक घटनाओं के लिए अपराधियों से अधिक जिम्मेदार आपको क्यों न माना जाए |
आप तो घूस लेकर सारे अवैध कामकाज करवाते जा रहे हैं और यदि घूस ले ही रहे हैं तो आप को सैलरी क्यों दे सरकार ?
ये सरकार बतावे कि ऐसे प्रश्न जनता के मन में हैं इसका उपाय किए बिना ऐसे विभागों के संचालन के लिए एवं सम्बद्ध अधिकारियों कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए जनता से टैक्स क्यों वसूला जाता है !यदि ये मान भी लिया जाए कि ऐसी लापरवाहियों में सरकार सम्मिलित नहीं है तो जहा जो अवैध काम काज किए जा रहे हैं या जिसके कार्यकाल में शुरू किए गए ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों को कानून विरुद्ध काम होने देने के लिए दोषी क्यों न माना जाए !ऐसी घटनाएँ उनकी अकर्मण्यता को प्रमाणित करती हैं इसके बाद भी सरकार उन पर कार्यवाही किए बिना उन्हें आज तक दी गई सैलरी रिफंड लिए बिना उनका बोझ ढोने के लिए जनता को मजबूर क्यों करती है ?
जिन जिन क्षेत्रों में जिन जिन विभागों से संबंधित जो अवैध कामकाज होते हैं वो उस विभाग से संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों की सहमति के बिना नहीं किए जा सकते हैं वो उनसे दैनिक या सप्ताह या महीने के हिसाब से वसूली किया करते हैं |
अवैध मोबाईलटॉवर सैकड़ों की तादाद में पूरी दिल्ली में लगे हैं उन्हें रोकने के लिए अधिकारी कर्मचारी भी रखे गए हैं उन्हें अच्छी खासी सैलरी देती है सरकार ! वही अधिकारी कर्मचारी घूस लेकर लगवाते जा रहे हैं अवैध मोबाईल टॉवर !जनता उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती है और सरकार उन पर अंकुश नहीं लगाती है !इसका मतलब या तो सरकार भी भ्रष्ट है सरकारों में सम्मिलित लोग भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों से अपना हिस्सा लेकर चुप बैठ जा रहे हैं या फिर लापरवाह हैं या फिर उन पर अंकुश लगाने में डरते हैं या फिर उन्हें लगा करता है कि हम तो 5 वर्ष के ही शेर हैं इसके बाद तो इन्हीं के आगे पीछे घूमना है इसलिए क्यों इनसे व्यवहार बिगाड़ना ! कुछ लोगों का मानना है कि अधिकारियों कर्मचारियों में शैक्षणिक योग्यता अधिक होने और जन प्रतिनिधि में शैक्षणिक योग्यता कम होने के कारण हीन भावना के शिकार मंत्री मुख्यमंत्री विधायक सांसद आदि जैसे ही अंकुश लगाने लगते हैं तैसे ही वो उन्हें फँसा देने की धमकी दे देते हैं धीरे धीरे उसी भ्रष्टाचार में वे भी सम्मिलित हो जाते हैं | इसके बाद ये जानते हुए भी सरकारी अधिकारियों कर्मचरियों के मन में हमारे दिए हुए लेटर्स का कोई महत्त्व नहीं है और न ही उनसे कुछ होगा इसके बाद भी अपनी अपनी आफिसों में जनता दरवार लगाया करते हैं यदि वे खुद ईमानदार हों तो अपने क्षेत्र में आने वाले विभागों से साफ साफ कह दें कि आप लोग घूस के पैसों से हमारा हिस्सा हमें मत भेजा करो किंतु जनता के काम समय से कर दिया करो ताकि सिफारिस के लिए जनता हमारे पास न आवे !जिस दिन जिस जन प्रतिनिधि के पास सिफारिस के लिए जनता आना बंद कर दे उस दिन समझ लिया जाना चाहिए कि जनप्रतिनिधि अपने दायित्व का निर्वाह करने में सफल है !
इसके विरुद्ध सरकार को उन पर कार्यवाही करनी चाहिए किंतु सरकार भ्रष्टाचार विरोधी बिल पास करने में तो लगी है किंतु भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार कहती सब कुछ है किंतु करती कुछ नहीं है क्यों ?!ध्यान भटकाना नहीं तो क्या है अन्यथा डंके की चोट पर चल रहा यह भ्रष्टाचार सरकार को दिखाई क्यों नहीं पड़ता है !इसके विरुद्ध कार्यवाही करने में सरकार को हिचक क्यों हो रही है यदि घूस का पैसा ऊपर तक नहीं जाता है तो !
जिन कामों को जहाँ करने का लाइसेंस जिन विभागों से लेना होता है वो विभाग यदि उन कामों को गलत मानकर लाइसेंस नहीं देते हैं तो उन कामों को होने भी नहीं दिया जाना चाहिए यदि होते हैं तो उन्हें रोकने की जिम्मेदारी सँभालने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही इसलिए की जानी चाहिए क्योंकि वो उनसे घूस लेकर होने दे रहे हैं वे अवैध काम !अन्यथा वो ऐसा होने ही नहीं देते !सरकार उन अधिकारियों कर्मचारियों से आज तक की सैलरी वापस ले !आखिर वो जिस काम के लिए रखे गए थे जब वो किया ही नहीं तो सैलरी किस बात की !सरकार यदि ऐसा नहीं करती तो सरकार भी सम्मिलित मानी जानी चाहिए !तभी तो कहा जाता है कि घूस का पैसा ऊपर तक जाता है !
जनता जिन्हें सैलरी देने के लिए टैक्स देती है काम करवाने के लिए उन्हीं को देनी पड़ती है घूस ! सरकार कहती है भ्रष्टाचार कहाँ है !अधिकारियों कर्मचारियों से सरकार को पहले ही ये तय क्यों नहीं कर लेना चाहिए कि सैलरी के पैसों में ही आपको करने होंगे जनता के काम !
पुलिस का तो हफ़्ता महीना आदि बनता भी है क्योंकि सरकार ने उसे चाँटा मारने गाली गलौच आदि जनता की बेइज्जती करने का अघोषित अधिकार जो दे रखा है !उन्हें यदि पटाकर नहीं रखा जाएगा तो जनता की सुरक्षा करना पुलिस के बस का हो न हो किंतु जनता की बेइज्जती करना उन्हें आता है किसी का काम बनाना वो जानते हों न जानते हों किन्तु किसी को बर्बाद करना उन्हें आता है जनता इसी के उन्हें पैसे देती है ताकि वो बेइज्जती न करें और चलते काम में रोड़ा न अटकावें !
पोस्टमैन चिट्ठी देने आने के लिए पैसे माँगते हैं MCD वालों को तो जब पैसों की जरूरत होती है तब वो गिरोह बना बना कर निकल पड़ते हैं किसी के चबूतरे तोड़ते हैं किसी के छज्जे किसी का काउंटर तोड़ डालते हैं लोग माल पानी ले लेकर पहुँचने लगते हैं !निगम का तो लक्ष्य ही घूस खोरी से धन कमाना होता है अन्यथा जिस काम को गलत मानकर वो उसकी परमीशन नहीं देते हैं फिर उसी काम को बिना परमीशन के ही होने देते हैं इसका मतलब फ्री में होने देते हैं क्या ?जब उसके पैसे बढ़ने होते हैं तब ठाड़े तोड़ आते हैं पैसे बढ़ा लेते हैं तो फिर होने देते हैं !किंतु ऐसी खुली लूट को देखने सुनने को कोई तैयार ही नहीं है जनता यदि इनके कुकर्मों का विरोध करे तो ये गलत काम करने वालों को स्टे दिलवाकर उसकी पैरवी ही नहीं करते केवल खाना पूर्ति करते रहते हैं और वो अवैध काम वैध से ज्यादा अच्छे ढंग से चल रहे होते हैं !
टैक्स क्यों दिया जाए ?जनता जिन्हें सैलरी देने के लिए टैक्स देती है उन्हीं से काम कराने के लिए देनी पड़ती है घूस !
जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियाँ न समझने वाले सांसदों विधायकों पार्षदों अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी का बोझ जनता पर और जनता को ही ठेंगा दिखावें ये लोग !बारे लोकतंत्र !!
सरकारी काम काज और राजनीति दोनों सेवा कहे जाते हैं किंतु सेवा में सैलरी तो होती नहीं है किंतु यहाँ तो सैलरी भी है सेवा भी ये है सरकारी चमत्कार !
पूर्वी दिल्ली में एक बिल्डिंग है जिसमें सोलह फ्लैट्स हैं 57 फिट ऊँची है 50 फिट के ऊपर बनाना मना है किंतु 57 फिट ऊँचाई होने के बाद भी उसपर 30 फिट ऊँचा मोबाइल टावर लगा दिया गया है जिसकी सहमति EDMC से ली नहीं गई है फ्लैट में रहने वालों से भी कोई सहमति नहीं ली गई है !ये टावर पिछले 12 वर्षों से चल रहा है !किराया इस बिल्डिंग में रहने वाले किसी को मिलता नहीं है आखिर इतने बड़े भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार कौन है !संबंधित सभी विभागों में शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ क्यों ?
इसमें रहने वाले अधिकाँश लोग AC चलाते हैं चोरी की बिजली से मीटर चलता नहीं है घूस लाइन मैन को दे देते हैं !शिकायत करने पर वो कहता है कि हो सकता है वो AC न चलाते हों !बिना AC वालों के बिल हजारों में और AC वालों के सैकड़ों में ये है घूसखोरी का कमाल !यही स्थिति पीने वाले पानी की है !कोई कहीं भी छेद करके कनेक्शन लगा देता है !जो छेद खुले छोड़ देता है उसमें या तो नालियों का गन्दा पानी भरता है या फिर बिल्डिंग के बेस मेन्ट में भरा करता है पीनेवाला पानी !जिससे बिल्डिंग कमजोर होती है और पीने वाला पानी बर्बाद होता है अलग से !
रिहायसी बिल्डिंग होने के बाद भी उसमें ब्यूटी पार्लर क्यों खोलने दिया गया फिर साइन बोर्ड ब्यूटी पार्लर और देह व्यापार दोनों एक हैं क्या ऊपर से नशे का कारोबार !ऐसी परिस्थितियों से समाज का कितना बड़ा नुक्सान होता होगा बच्चे बिगड़ते हैं युवा बिगड़ते हैं फिर भी निगम से लेकर हर जिम्मेदार विभाग तक सप्ताह महीना वर्ष आदि के हिसाब से घूस जाती होगी !ऐसी परिस्थिति में जो कम्प्लेन करे उसका साथ वो प्रशासन क्यों देगा जो अप्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित है ऊपर से वही घूस खोर सरकारी मशीनरी के लोग कम्प्लेनर को ही कुटवा देते हैं !ऐसी परिस्थिति में स्वच्छ प्रशासन देने की बात सरकार कैसे कर सकती है | ये स्थिति जब राष्ट्रीय राजधानी की लालक्वॉर्टर जैसे में मार्किट की है तो बाकी सारे देश में क्या कुछ नहीं हो रहा है ये कल्पना की जा सकती है | बलात्कार नशा सप्लाई आदि में जब ऐसी संलिप्तता सरकार के अपने लोगों की होगी तो ऐसे अपराधों को रोकने के नारे लगाने बंद कर देने चाहिए सरकारों को !
पार्षद विधायक सांसद तथा मंत्री आदि के लिए प्रत्याशी बनाते समय उनके लिए उच्च शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य क्यों न की जाए !
संसद आदि सदनों में अयोग्य लोग जाकर क्या करें मोबाइल पर मूवी कहाँ तक देखें कुर्सियों पर सोकर कितना समय पास करें !चर्चा करने और समझने की उनमें योग्यता नहीं होगी तो उनका मन ही नहीं होगा वहाँ जाने का !PM साहब कहते हैं सदन में उपस्थित रहो किंतु जब ऐसे लोगों को टिकट ही नहीं देते जो सदनों की चर्चा में सम्मिलित होने का साहस रखते हों तो फिर सरकारें अकर्मण्य ,कर्मचारी घूसखोर होंगे ही !अपराध और असंतोष बढ़ेगा ही !मंत्री क्या काम करेंगे ख़ाक !अयोग्य लोग सदनों में पहुँचकर भी हुल्लड़ न मचावें तो क्या करें !
जैसे नौकरी पाने के लिए लोग परिश्रम पूर्वक शैक्षणिक योग्यता हासिल करते हैं वैसे ही जिन्हें राजनीति में आना होगा वो भी शैक्षणिक योग्यता हासिल करेंगे !ऐसे तो केवल प्रसिद्ध पुरुष ही नेता बनपाते हैं वो योग्य हों या अयोग्य !प्रसिद्धि अच्छे कामों की अपेक्षा बुरे कामों से अधिक मिलती है !प्रसिद्ध होने के लिए नेता लोग अक्सर अपराधों का सहारा लेते हैं !बाद में वे सारे केस वापस हो जाते हैं !
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार कहती सब कुछ है किंतु करती कुछ नहीं है इसका मतलब क्या समझा जाए सरकार सम्मिलित है भ्रष्टाचार में !अन्यथा सुपुष्ट कार्यवाही करे सरकार ?
अवैध कामकाज या सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे रोकने की जिम्मेदारी जिन अधिकारी कर्मचारियों की है सरकार उनसे पूछती क्यों नहीं है कि ये हुए कैसे ?इन्हें ही रोकने के लिए तो तुम रखे गए थे और तुम्हें सैलरी दी जाती है किंतु जब तुम रोक नहीं पाए क्यों ?तुरंत यदि पता नहीं ला पाए थे तो बाद में ही हटवा देते !और यदि ऐसा करने में आप सफल नहीं हुए तो आपको बिना काम किए दी गई आज तक की सैलरी वापस क्यों न ली जाए !और आपको नौकरी पर रखा क्यों जाए !
उनसे पूछे कि आपमें योग्यता नहीं है या आप जिस काम को करने के लिए रखे गए हैं उसके बारे में आपको पता नहीं हैं !या फिर आप इतने आलसी हैं कि अपनी जिम्मेदारी निभाना नहीं चाहते या फिर आप घूस लेकर अवैध कामकाज करने की सहमति देते हैं आखिर क्या माना जाए !
सरकार को यह भी पूछना चाहिए कि इतनी सभी गलतियों के बाद भी हम आप पर कार्यवाही क्यों न करें हम तो आपसे घूस नहीं लेते हैं आखिर हम चुप कैसे बैठें और आपको सैलरी देने के लिए किस मुख से जनता से टैक्स माँगे !जिनसे आप काम करने की घूस ले ही लेते हैं वे हमें टैक्स क्यों दें या उनसे टैक्स लेना उनके साथ अन्याय नहीं है क्या ?समय पर ईमानदार सेवाएँ प्रदान करने के लिए ही उनसे टैक्स लिया जाता है !
सरकार उनसे कहे कि आप अवैध जमीनों पर कब्जे करवा देते हो पैसे तुम खा जाते हो व्यापार वो अवैध काम करने वाला चमका लेता है और परेशान वो जनता होती है जिसे ईमानदार सेवाएँ प्रदान करने के लिए सरकार टैक्स लेती है |
अवैध काम करने वालों से घूस लेकर आप उनकी मदद करते हो उससे पीड़ित यदि कोई पक्ष कही शिकायत करता है तो आप इसकी सूचना उस अवैध काम करने वाले को देकर शिकायत कर्ता पर हमले करवा देते हो ऐसी परिस्थिति वो चुप बैठ जाता है इसके बाद उसके बगल में चाहें अवैध हथियार बनें या आतंकवादी रहते रहें या अन्य कोई कितना भी जघन्य अपराध होता रहे उसकी सूचना कोई भी पड़ोसी सरकार को क्यों दे !सरकार के खुपिया तंत्र को फेल करने और जनता का विश्वास तोड़ने के लिए और दिनों दिन बढ़ते अपराधों के लिए आपको जिम्मेदार क्यों न माना जाए ! ऐसी परिस्थिति में छोटे बड़े सभी प्रकार की आपराधिक घटनाओं के लिए अपराधियों से अधिक जिम्मेदार आपको क्यों न माना जाए |
आप तो घूस लेकर सारे अवैध कामकाज करवाते जा रहे हैं और यदि घूस ले ही रहे हैं तो आप को सैलरी क्यों दे सरकार ?
ये सरकार बतावे कि ऐसे प्रश्न जनता के मन में हैं इसका उपाय किए बिना ऐसे विभागों के संचालन के लिए एवं सम्बद्ध अधिकारियों कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए जनता से टैक्स क्यों वसूला जाता है !यदि ये मान भी लिया जाए कि ऐसी लापरवाहियों में सरकार सम्मिलित नहीं है तो जहा जो अवैध काम काज किए जा रहे हैं या जिसके कार्यकाल में शुरू किए गए ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों को कानून विरुद्ध काम होने देने के लिए दोषी क्यों न माना जाए !ऐसी घटनाएँ उनकी अकर्मण्यता को प्रमाणित करती हैं इसके बाद भी सरकार उन पर कार्यवाही किए बिना उन्हें आज तक दी गई सैलरी रिफंड लिए बिना उनका बोझ ढोने के लिए जनता को मजबूर क्यों करती है ?
जिन जिन क्षेत्रों में जिन जिन विभागों से संबंधित जो अवैध कामकाज होते हैं वो उस विभाग से संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों की सहमति के बिना नहीं किए जा सकते हैं वो उनसे दैनिक या सप्ताह या महीने के हिसाब से वसूली किया करते हैं |
अवैध मोबाईलटॉवर सैकड़ों की तादाद में पूरी दिल्ली में लगे हैं उन्हें रोकने के लिए अधिकारी कर्मचारी भी रखे गए हैं उन्हें अच्छी खासी सैलरी देती है सरकार ! वही अधिकारी कर्मचारी घूस लेकर लगवाते जा रहे हैं अवैध मोबाईल टॉवर !जनता उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती है और सरकार उन पर अंकुश नहीं लगाती है !इसका मतलब या तो सरकार भी भ्रष्ट है सरकारों में सम्मिलित लोग भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों से अपना हिस्सा लेकर चुप बैठ जा रहे हैं या फिर लापरवाह हैं या फिर उन पर अंकुश लगाने में डरते हैं या फिर उन्हें लगा करता है कि हम तो 5 वर्ष के ही शेर हैं इसके बाद तो इन्हीं के आगे पीछे घूमना है इसलिए क्यों इनसे व्यवहार बिगाड़ना ! कुछ लोगों का मानना है कि अधिकारियों कर्मचारियों में शैक्षणिक योग्यता अधिक होने और जन प्रतिनिधि में शैक्षणिक योग्यता कम होने के कारण हीन भावना के शिकार मंत्री मुख्यमंत्री विधायक सांसद आदि जैसे ही अंकुश लगाने लगते हैं तैसे ही वो उन्हें फँसा देने की धमकी दे देते हैं धीरे धीरे उसी भ्रष्टाचार में वे भी सम्मिलित हो जाते हैं | इसके बाद ये जानते हुए भी सरकारी अधिकारियों कर्मचरियों के मन में हमारे दिए हुए लेटर्स का कोई महत्त्व नहीं है और न ही उनसे कुछ होगा इसके बाद भी अपनी अपनी आफिसों में जनता दरवार लगाया करते हैं यदि वे खुद ईमानदार हों तो अपने क्षेत्र में आने वाले विभागों से साफ साफ कह दें कि आप लोग घूस के पैसों से हमारा हिस्सा हमें मत भेजा करो किंतु जनता के काम समय से कर दिया करो ताकि सिफारिस के लिए जनता हमारे पास न आवे !जिस दिन जिस जन प्रतिनिधि के पास सिफारिस के लिए जनता आना बंद कर दे उस दिन समझ लिया जाना चाहिए कि जनप्रतिनिधि अपने दायित्व का निर्वाह करने में सफल है !
इसके विरुद्ध सरकार को उन पर कार्यवाही करनी चाहिए किंतु सरकार भ्रष्टाचार विरोधी बिल पास करने में तो लगी है किंतु भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार कहती सब कुछ है किंतु करती कुछ नहीं है क्यों ?!ध्यान भटकाना नहीं तो क्या है अन्यथा डंके की चोट पर चल रहा यह भ्रष्टाचार सरकार को दिखाई क्यों नहीं पड़ता है !इसके विरुद्ध कार्यवाही करने में सरकार को हिचक क्यों हो रही है यदि घूस का पैसा ऊपर तक नहीं जाता है तो !
जिन कामों को जहाँ करने का लाइसेंस जिन विभागों से लेना होता है वो विभाग यदि उन कामों को गलत मानकर लाइसेंस नहीं देते हैं तो उन कामों को होने भी नहीं दिया जाना चाहिए यदि होते हैं तो उन्हें रोकने की जिम्मेदारी सँभालने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही इसलिए की जानी चाहिए क्योंकि वो उनसे घूस लेकर होने दे रहे हैं वे अवैध काम !अन्यथा वो ऐसा होने ही नहीं देते !सरकार उन अधिकारियों कर्मचारियों से आज तक की सैलरी वापस ले !आखिर वो जिस काम के लिए रखे गए थे जब वो किया ही नहीं तो सैलरी किस बात की !सरकार यदि ऐसा नहीं करती तो सरकार भी सम्मिलित मानी जानी चाहिए !तभी तो कहा जाता है कि घूस का पैसा ऊपर तक जाता है !
जनता जिन्हें सैलरी देने के लिए टैक्स देती है काम करवाने के लिए उन्हीं को देनी पड़ती है घूस ! सरकार कहती है भ्रष्टाचार कहाँ है !अधिकारियों कर्मचारियों से सरकार को पहले ही ये तय क्यों नहीं कर लेना चाहिए कि सैलरी के पैसों में ही आपको करने होंगे जनता के काम !
पुलिस का तो हफ़्ता महीना आदि बनता भी है क्योंकि सरकार ने उसे चाँटा मारने गाली गलौच आदि जनता की बेइज्जती करने का अघोषित अधिकार जो दे रखा है !उन्हें यदि पटाकर नहीं रखा जाएगा तो जनता की सुरक्षा करना पुलिस के बस का हो न हो किंतु जनता की बेइज्जती करना उन्हें आता है किसी का काम बनाना वो जानते हों न जानते हों किन्तु किसी को बर्बाद करना उन्हें आता है जनता इसी के उन्हें पैसे देती है ताकि वो बेइज्जती न करें और चलते काम में रोड़ा न अटकावें !
पोस्टमैन चिट्ठी देने आने के लिए पैसे माँगते हैं MCD वालों को तो जब पैसों की जरूरत होती है तब वो गिरोह बना बना कर निकल पड़ते हैं किसी के चबूतरे तोड़ते हैं किसी के छज्जे किसी का काउंटर तोड़ डालते हैं लोग माल पानी ले लेकर पहुँचने लगते हैं !निगम का तो लक्ष्य ही घूस खोरी से धन कमाना होता है अन्यथा जिस काम को गलत मानकर वो उसकी परमीशन नहीं देते हैं फिर उसी काम को बिना परमीशन के ही होने देते हैं इसका मतलब फ्री में होने देते हैं क्या ?जब उसके पैसे बढ़ने होते हैं तब ठाड़े तोड़ आते हैं पैसे बढ़ा लेते हैं तो फिर होने देते हैं !किंतु ऐसी खुली लूट को देखने सुनने को कोई तैयार ही नहीं है जनता यदि इनके कुकर्मों का विरोध करे तो ये गलत काम करने वालों को स्टे दिलवाकर उसकी पैरवी ही नहीं करते केवल खाना पूर्ति करते रहते हैं और वो अवैध काम वैध से ज्यादा अच्छे ढंग से चल रहे होते हैं !
टैक्स क्यों दिया जाए ?जनता जिन्हें सैलरी देने के लिए टैक्स देती है उन्हीं से काम कराने के लिए देनी पड़ती है घूस !
जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियाँ न समझने वाले सांसदों विधायकों पार्षदों अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी का बोझ जनता पर और जनता को ही ठेंगा दिखावें ये लोग !बारे लोकतंत्र !!
सरकारी काम काज और राजनीति दोनों सेवा कहे जाते हैं किंतु सेवा में सैलरी तो होती नहीं है किंतु यहाँ तो सैलरी भी है सेवा भी ये है सरकारी चमत्कार !
पूर्वी दिल्ली में एक बिल्डिंग है जिसमें सोलह फ्लैट्स हैं 57 फिट ऊँची है 50 फिट के ऊपर बनाना मना है किंतु 57 फिट ऊँचाई होने के बाद भी उसपर 30 फिट ऊँचा मोबाइल टावर लगा दिया गया है जिसकी सहमति EDMC से ली नहीं गई है फ्लैट में रहने वालों से भी कोई सहमति नहीं ली गई है !ये टावर पिछले 12 वर्षों से चल रहा है !किराया इस बिल्डिंग में रहने वाले किसी को मिलता नहीं है आखिर इतने बड़े भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार कौन है !संबंधित सभी विभागों में शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ क्यों ?
इसमें रहने वाले अधिकाँश लोग AC चलाते हैं चोरी की बिजली से मीटर चलता नहीं है घूस लाइन मैन को दे देते हैं !शिकायत करने पर वो कहता है कि हो सकता है वो AC न चलाते हों !बिना AC वालों के बिल हजारों में और AC वालों के सैकड़ों में ये है घूसखोरी का कमाल !यही स्थिति पीने वाले पानी की है !कोई कहीं भी छेद करके कनेक्शन लगा देता है !जो छेद खुले छोड़ देता है उसमें या तो नालियों का गन्दा पानी भरता है या फिर बिल्डिंग के बेस मेन्ट में भरा करता है पीनेवाला पानी !जिससे बिल्डिंग कमजोर होती है और पीने वाला पानी बर्बाद होता है अलग से !
रिहायसी बिल्डिंग होने के बाद भी उसमें ब्यूटी पार्लर क्यों खोलने दिया गया फिर साइन बोर्ड ब्यूटी पार्लर और देह व्यापार दोनों एक हैं क्या ऊपर से नशे का कारोबार !ऐसी परिस्थितियों से समाज का कितना बड़ा नुक्सान होता होगा बच्चे बिगड़ते हैं युवा बिगड़ते हैं फिर भी निगम से लेकर हर जिम्मेदार विभाग तक सप्ताह महीना वर्ष आदि के हिसाब से घूस जाती होगी !ऐसी परिस्थिति में जो कम्प्लेन करे उसका साथ वो प्रशासन क्यों देगा जो अप्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित है ऊपर से वही घूस खोर सरकारी मशीनरी के लोग कम्प्लेनर को ही कुटवा देते हैं !ऐसी परिस्थिति में स्वच्छ प्रशासन देने की बात सरकार कैसे कर सकती है | ये स्थिति जब राष्ट्रीय राजधानी की लालक्वॉर्टर जैसे में मार्किट की है तो बाकी सारे देश में क्या कुछ नहीं हो रहा है ये कल्पना की जा सकती है | बलात्कार नशा सप्लाई आदि में जब ऐसी संलिप्तता सरकार के अपने लोगों की होगी तो ऐसे अपराधों को रोकने के नारे लगाने बंद कर देने चाहिए सरकारों को !
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