रावण को सच्ची श्रद्धांजलि देने का पर्व है "विजयदशमी" हमें बहुत कुछ सिखा सकता है रावण का चरित्र !राजनीति सीखने लक्षमण जी भी गए थे जिस रावण के पास !वर्तमान नेता उस विद्वान रावण की निंदा करने और पुतला जलाने में गर्व करते हैं !
देश के राजनेता रावण की निंदा बहुत दिन कर चुके अब उससे कुछ सीखने का प्रयास करें !रावण के गद्दारों को तुरंत बाहर खदेड़ दिया जाता था भले वो उनका भाई ही क्यों न हो !आज.... ! रावण के समय का विज्ञान कितना उन्नत था और आज ....!फिर भी रावण की निंदा !!हिम्मत की बात है !!घूस खोरी भ्रष्टाचार अकर्मण्यता आदि में लंका का समाज वर्तमान राजनेताओं से पीछे हो गया है !फिर भी रावण की निंदा !आश्चर्य है !!
बलात्कार इस समय की तरह रावण सरकार के समय में भी लंका में होते तो 14 महीने तक लंका में सीता जी सुरक्षित कैसे रह पातीं ?
बलात्कारों पर अंकुश लगाने में लंका का प्रशासन वर्तमान भारतीय राजनीति से अच्छा था तभी सीता जी 14 महीने तक लंका के बन में सुरक्षित रह पाईं !आज के भारत में तो घरों में स्कूलों में अस्पतालों सरकारी कार्यालयों में बाजारों में कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं फिर भी रावण की निंदा करते हैं अकर्मण्य नेता लोग !
बेटी बचाओ अभियान !
लंका में रावण सरकार का बेटी बचाओ अभियान !
विजयदशमी बहन के लिए भाई की शहादत का पर्व है लंका में होता था बहनों का इतना बड़ा सम्मान !जिसके सम्मान की रक्षा के लिए भाई रावण का सारा खानदान ही कुर्वान हो गया !
इसका कितना बड़ा उदाहरण है श्री राम रावण युद्ध !बहन सूर्पणखा के सम्मान के लिए जिस भाई ने या जिन राक्षसों ने अपना सब कुछ कुर्वान कर दिया यहाँ तक कि प्राण भी न्योछावर कर दिए किंतु बहन की बेइज्जती का बदला लेने से पीछे नहीं हटे !बहन के लिए समर्पित रावण की फिर भी निंदा करते हैं लोग !
बेटी बचाओ अभियान !
लंका में रावण सरकार का बेटी बचाओ अभियान !
विजयदशमी बहन के लिए भाई की शहादत का पर्व है लंका में होता था बहनों का इतना बड़ा सम्मान !जिसके सम्मान की रक्षा के लिए भाई रावण का सारा खानदान ही कुर्वान हो गया !
इसका कितना बड़ा उदाहरण है श्री राम रावण युद्ध !बहन सूर्पणखा के सम्मान के लिए जिस भाई ने या जिन राक्षसों ने अपना सब कुछ कुर्वान कर दिया यहाँ तक कि प्राण भी न्योछावर कर दिए किंतु बहन की बेइज्जती का बदला लेने से पीछे नहीं हटे !बहन के लिए समर्पित रावण की फिर भी निंदा करते हैं लोग !
रावण सरकार का स्वच्छता अभियान -
लंका में पवन देवता बुहारी करते थे आज नेता झाड़ू पकड़ कर फोटो खिंचवा लेते हैं बस !इसीलिए लंका में कूड़े का एक तिनका भी कहीं दिखाई नहीं पड़ता था और यहाँ कूड़ा ही कूड़ा है!
फिर भी रावण सरकार की निंदा झाड़ू पकड़ पकड़ कर फोटो खिंचाने वाले अकर्मण्य नेता लोग कर रहे हैं !झाड़ू की इतनी बड़ी बेइज्जती तो रावण ने अपने काल में भी नहीं होने दी थी !
अपने काम काज में असफल नेता लोग भी रावण की निंदा करके अपने को राम सिद्ध किया करते हैं जबकि खुद तो रावण के रोएँ बराबर भी नहीं हैं फिर भी हिम्मत तो देखिए -
फिर भी रावण सरकार की निंदा झाड़ू पकड़ पकड़ कर फोटो खिंचाने वाले अकर्मण्य नेता लोग कर रहे हैं !झाड़ू की इतनी बड़ी बेइज्जती तो रावण ने अपने काल में भी नहीं होने दी थी !
अपने काम काज में असफल नेता लोग भी रावण की निंदा करके अपने को राम सिद्ध किया करते हैं जबकि खुद तो रावण के रोएँ बराबर भी नहीं हैं फिर भी हिम्मत तो देखिए -
द्वारपाल हरि के प्रिय दोऊ !
जय अरु विजय जान सब कोऊ !!
हिम्मत की बात है न कुछ करने लायक एक से एक अकर्मण्य गैर जिम्मेदार घूस खोर भ्रष्टाचारी एवं आपराधिक कमाई में हिस्सा बताने वाले लोग भी रावण की निंदा किया करते हैं !
राजनीति में जो अशिक्षित या अल्प शिक्षित नेता लोग अपनी अशिक्षा के कारण पढ़े लिखे अधिकारियों कर्मचारियों से काम नहीं ले पाते हैं वो इन्हें बेवकूप बनाए रहते हैं ये बने रहते हैं ऐसे असहाय नेता लोग चारों वेदों छहो शास्त्रों अठारहों पुराणों समेत समस्त ज्ञान विज्ञान के विद्वान महान पराक्रमी रावण की निंदा नहीं करेंगे तो बेचारे और क्या करने लायक हैं ही क्या !
रावण बनने के लिए घूस खोरी धोखा धड़ी झूठ फरेब आदि सारे पाप करके थक गए फिर भी जब रावण बन नहीं पाए तो रावण की निंदा करने लगे !"तब अँगूर खट्टे हो गए !"ऐसे अकर्मण्य भ्रष्टाचारी गैर जिम्मेदार घूसखोर अयोग्य संसद जैसे सदनों में होने वाली चर्चाओं को बोलने समझने की योग्यता न रखने वाले या समझ में न आने पर हुल्लड़ मचाने वाले सदस्यों को रावण अपने प्रशासन में कहीं जगह भी देता क्या ?इसलिए ये रावण की निंदा करते हैं !
नेता लोग आजतक अपनी आमदनी के स्रोत जनता को नहीं समझा पाए कि उनकी पैदाइस सामान्य परिवारों में हुई काम धाम उनके कभी करे नहीं चुका !घर वालों ने निठल्ला समझकर कुछ बिना लिए दिए ही बहार कर दिया फिर आज अरबों खरबों की संपत्तियाँ इकट्ठी कैसे हुई हैं यदि अपराधियों से असमाजिक वारदातों की कमाई में हिस्सा नहीं लेते हैं तो कृपया अपनी संपत्तियाँ गिनाएँ एवं आमदनी के स्रोत बताएँ कि चुनाव लड़ने के पहले आपके पास क्या था और आज क्या है कितना है और ये आया कहाँ से ?इसके पहले रावण की निंदा करने का आपको कोई नैतिक अधिकार ही नहीं है !
सरकार ने जिन्हें अधिकारी बना दिया है वो अपने को न तो कर्मचारी मानते हैं और न ही कुछ करते हैं जनता बड़ी आशा से अपने अपने काम लेकर उनके पास जाती है और निराश होकर लौट आती है !
सरकारों का झूठ -सरकार बात बात में कहती है कि हमें लिखकर भेजो इसपर भेजो उसपर भेजो ट्वीट करो जीमेल करो डाक से भेजो किंतु जो भेजते हैं उनमें से कितने के काम हुए कितनों को जवाब मिला ये उनकी आत्मा ही जानती होगी !ऐसी गैर जिम्मेदारी !इसके बाद भी रावण की निंदा करते घूम रहे हैं सरकारी नेता लोग !
रावणसरकार के मौसम विज्ञान से वर्तमान सरकार के मौसम विज्ञान की तुलना !
रावण जब चाहता था तब पानी बरसा लेता था वर्तमान वैज्ञानिकों की आधे से अधिक भविष्यवाणियाँ झूठी निकल जाती हैं सं
2015 में प्रधानमन्त्री की जून और जुलाई महीने में होने वाली दो रैलियाँ
केवल मौसम के कारण रद्द हुई थीं करोड़ों रूपए उनकी तैयारी में लगा दिए गए थे
जो बेकार चले गए !जब सरकार का मौसम विभाग सरकार के काम नहीं आ सका !ऐसे मौसम विभाग पर भरोसा कर लेने वाले मजबूर किसान आत्म हत्या नहीं तो क्या करें !
मौसम विज्ञान की भविष्य वाणियाँ जब जब लम्बे समय की गईं तब तब गलत हुईं और दो चार दिन पहले करने से किसानों के किस काम की इसके बाद भी मौसम वैज्ञानिकों से संतुष्ट है सरकार !आखिर जो मौसम विज्ञान किसानों की मदद न कर सके वो जनता के किस काम का ?
मौसम विज्ञान की भविष्य वाणियाँ जब जब लम्बे समय की गईं तब तब गलत हुईं और दो चार दिन पहले करने से किसानों के किस काम की इसके बाद भी मौसम वैज्ञानिकों से संतुष्ट है सरकार !आखिर जो मौसम विज्ञान किसानों की मदद न कर सके वो जनता के किस काम का ?
ऐसी सरकारें भी रावण की निंदा कर लेती हैं बड़ी भाई हिम्मत की बात है !
रावणसरकार का भूकंप विज्ञान विभाग -
रावण के राज्य में उसकी अनुमति के बिना पृथ्वी भी नहीं हिल सकती थी !तब क्या पृथ्वी के अंदर गैसें नहीं थीं तब प्लेटें आखिर क्यों नहीं हिलती थीं किन्तु ये रावण के विज्ञान की सफलता है जिसमें वर्तमान विज्ञान पीछे है !अब तो जिन्हें भूकंपों के विषय में कुछ भी नहीं पता हो उन्हें भी भूकंप वैज्ञानिक बता दिया जाता है !रावण की सरकार में अयोग्यता को इस प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किया जाता था ! सरकारी धन के व्यर्थ व्यय की इस प्रकार की छूट नहीं थी !
भूकंपों के विषय में पहले कहा गया कि ज्वालामुखियों के कारण भूकंप आता है फिर कहा गया कि कृत्रिम जलाशयों के कारण भूकंप आता है उसके बाद कहा गया कि जमीन के अंदर की गैसों के कारण भूकंप आता है अब गड्ढे खोद रहे हैं जो कुछ देशों में पहले खोदे जा चुके हैं किंतु वे अभी तक खाली हाथ हैं अब इनका भी इसी बहाने पास हो जाएगा कुछ समय !ऐसे कार्यक्रम चलने वाले नेता भी रावण की निंदा करते हैं !रावण के समय का विज्ञान इतना ढुलमुल था क्या ?
रावणसरकार की चिकित्सा व्यवस्था -
बिना मशीनी जाँच के जुकाम और डेंगू जैसे बुखार का पता न लगा पाने वाली चिकित्सा पद्धति को ढोने वाली सरकारों में सम्मिलित नेता लोग उस रावण की निंदा करते हैं जिसके यहाँ का सुखेन वैद्य नाड़ी देखकर मूर्च्छित लक्ष्मण की बीमारी को न केवल पहचानने में सफल हो गया था अपितु औषधि के विषय में भी कह दिया था यदि ये मिल गई तो बच सकते हैं लक्ष्मण के प्राणआज के चिकित्सकों को इतना पता लगाने में महीनों लग जाते तब तक इलाज बदलते रहते जब तक रिपोर्टें आतीं !लक्ष्मण जी के पास समय इतना कम था आधुनिक चिकित्सा के बलपर लक्ष्मण जी के प्राण बचाना संभव हो पता क्या ?वेंटिलेटर तो रावण लगाने नहीं देता और न ही अपने यहाँ की लैब में जाँच ही होने देता !
रावण सरकार की चिकित्सकीय नैतिकता !
सुखेन तो शत्रु के वैद्य थे फिर भी इतनी ईमानदारी से इलाज किया !जबकि आज अपने डॉक्टर अपने मरीजों की किडनियाँ निकाल लेते हैं !रोगी के मर जाने के बाद भी कई कई दिन वेंटिलेटर पर लिटाए रहते हैं केवल पैसे बनाने के लिए !
रावण सरकार और डेंगू बुखार -
बिना मशीनी जाँच के जुकाम और डेंगू जैसे बुखार का पता न लगा पाने वाली चिकित्सा पद्धति को ढोने वाली सरकारों में सम्मिलित नेता लोग उस रावण की निंदा करते हैं जिसके यहाँ का सुखेन वैद्य नाड़ी देखकर मूर्च्छित लक्ष्मण की बीमारी को न केवल पहचानने में सफल हो गया था अपितु औषधि के विषय में भी कह दिया था यदि ये मिल गई तो बच सकते हैं लक्ष्मण के प्राणआज के चिकित्सकों को इतना पता लगाने में महीनों लग जाते तब तक इलाज बदलते रहते जब तक रिपोर्टें आतीं !लक्ष्मण जी के पास समय इतना कम था आधुनिक चिकित्सा के बलपर लक्ष्मण जी के प्राण बचाना संभव हो पता क्या ?वेंटिलेटर तो रावण लगाने नहीं देता और न ही अपने यहाँ की लैब में जाँच ही होने देता !
रावण सरकार की चिकित्सकीय नैतिकता !
सुखेन तो शत्रु के वैद्य थे फिर भी इतनी ईमानदारी से इलाज किया !जबकि आज अपने डॉक्टर अपने मरीजों की किडनियाँ निकाल लेते हैं !रोगी के मर जाने के बाद भी कई कई दिन वेंटिलेटर पर लिटाए रहते हैं केवल पैसे बनाने के लिए !
रावण सरकार और डेंगू बुखार -
डेंगू एक विषाणु है जो मनुष्यों से मच्छरों में पहुँचता है या मच्छरों से मनुष्यों में इस बात का निर्णय किए बिना ही मच्छरों के विरुद्ध साजिश रचती रहती है सरकार और मच्छर मारने में कितनी बड़ी धन राशि खर्च कर दी जाती है पता नहीं !रावण के यहाँ के सुखेन वैद्य अब तक न जाने कब का डेंगू बुखार भगा चुके होते या फिर रावण लंका की सीमा में मच्छरों का प्रवेश ही रोकवा देता !किंतु नेता लोग करते धरती कुछ नहीं हैं रावण की निंदा कर लेना चाहते हैं बेचारे !
पुरानी सरकारों के समय नियुक्त अधिकारी कर्मचारी वर्तमान सरकारों के विकास कार्यक्रमों की भद्द पीटा करते हैं ताकि इस सरकार के विरुद्ध दुष्प्रचार हो और उनकी पुरानी वाली सरकार आ जाए तो और 10 -20 अयोग्य लोगों को घुसवा सकें सरकारी नौकरियों में इसीलिए अस्पतालों में स्कूलों में ट्रेनों में हर जगह दुर्घटनाएँ करवा रहे हैं सरकार के ही वे लोग सरकार उनसे तो निपट नहीं पा रही है उसके नेता रावण की निंदा करते घूम रहे हैं फोकट में !
पुरानी सरकारों के समय नियुक्त अधिकारी कर्मचारी वर्तमान सरकारों के विकास कार्यक्रमों की भद्द पीटा करते हैं ताकि इस सरकार के विरुद्ध दुष्प्रचार हो और उनकी पुरानी वाली सरकार आ जाए तो और 10 -20 अयोग्य लोगों को घुसवा सकें सरकारी नौकरियों में इसीलिए अस्पतालों में स्कूलों में ट्रेनों में हर जगह दुर्घटनाएँ करवा रहे हैं सरकार के ही वे लोग सरकार उनसे तो निपट नहीं पा रही है उसके नेता रावण की निंदा करते घूम रहे हैं फोकट में !
प्राइवेट मोबाइल सरकारी दूर संचार पर भारी पड़ रहे हैं प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूलों पर भारी पड़ रहे हैं सरकारी डाक को कोरियर पीटते जा रहे हैं सरकारी अस्पतालों को प्राइवेट नर्सिंग होम रगड़ते जा रहे हैं इसके बाद भी अपने काम काज में असफल नेता लोग रावण की निंदा करते रहते हैं !
ऐसे असफल रावणों से नीतिगत निवेदन -
सरकारी हों या विरोधी हर नेता को रावण बुरा दिखता है बुराईयों पर अच्छाइयों की विजय बताता है दशहरा पर्व को !पुरखे बता गए थे इसलिए वो भो दोहराए जा रहा है !अरे कभी अपने कर्मों की ओर भी देखिए फिर रावण के साथ अपनी तुलना कीजिए तब तुम्हारी आत्मा तुम्हें स्वयं दर्पण दिखा देगी कि कितने जिम्मेदार हैं आप !
रावण के ऐसे दुश्मनों में हिम्मत है तो रावण के कोई 5 दोष गिनावें और उन्हें रामायण से प्रमाणित करके दिखावें !अरे रावण बनने की चाह रखने वालो !रावण बन ही नहीं पाए इसलिए ईर्ष्यावश रावण की निंदा करने लगे तुम !
निगमों के अधिकारी पहले अवैध काम करने या अवैध कब्जे करवाने के पैसे माँगते और लेते हैं इसके बाद लोगों की शिकायत पर उन्हें अवैध काम और अवैध कब्जे हटाने का नोटिश देते हैं फिर उन अवैध वालों को कोर्ट भेज कर स्टे दिला देते हैं इसके बाद हर महीना उनसे किराएदार की तरह वसूली किया करते हैं ऐसे घूस ले लेकर और स्टे दिला दिलाकर जिंदगी बिता देते हैं अफसरों को सैलरी से अधिक अवैध से कमाई हो जाती है इसलिए वो सरकारी बातों पर ध्यान ही नहीं देते ! ऐसी सरकारें चलाने वाले नेता लोग रावण की निंदा करते हैं ये उनकी बेशर्मी नहीं तो क्या है
रावण के इतना भाग्यशाली दृढ़सिद्धांत का व्यक्ति न कोई हुआ है और न होगा !
नेताओं को इसमें बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय दिखती है किंतु पूछ दो कि रावण की कोई 5 बुराई प्रमाण सहित बताओ केवल कोरी बकवास नहीं !ऐसे प्रश्न सुनते ही दाँत निकल आते हैं !ऐसे लोग देश और समाज को क्या दिशा देंगे जिनका अपने प्राचीन ज्ञान विज्ञान के प्रति इतना थोथा अध्ययन हो या अध्ययन ही न हो !वे दो कौड़ी के लोग रावण को दोषी ठहराकर खुद राम के पक्ष में खड़े हो जाते हैं जिनके न चित्र में दम न चारित्र में ऐसे राजनैतिक समझदार लोग राजनीति के नाम पर केवल धोखा धड़ी करते घूम रहे हैं !अपने नाते रिश्तेदारों को चुनावी टिकट बाँटने वाले !पैसे वालों को टिकट बेच देने वाले !अफसरों से घूस मँगवाकर पैसे कमाने वाले रावण की बुराईयाँ करते घूम रहे हैं !अफसर चीख चीख कर कहते हैं कि घूस का पैसा ऊपर तक जाता है किंतु ऊपर वाले बोलने को ही तैयार नहीं हैं !
श्री राम और श्री रावण दोनों ही इस पृथ्वी पर एक ही प्रयोजन की पूर्ति के लिए आए थे दोनों का उद्देश्य सामाजिक बुराइयों को समाप्त करना था !बुराइयोंके आ जाने पर बड़ा से बड़ा व्यक्ति नष्ट हो सकता है श्री राम ने इस बात का उपदेश किया और रावण ने इसी बात को चरितार्थ करके दिखा दिया कि बुराइयों से जब रावण जैसे महान पराक्रमी राजा का सर्वनाश हो सकता है तो हम लोगों को भी सुधरना चाहिए !
रावण को मारने के लिए स्वयं पधारे थे श्री राम इतना बड़ा सम्मान !ब्रह्मा स्वयं वेद पढ़ते थे !भगवान् शिव स्वयं पूजा करवाने जाया करते थे !वायु देवता बुहारी करते थे अग्नि देवता माली बने थे !षष्ठी कात्यायनी देवियाँ बच्चों का पालन पोषण करती थीं नवग्रह सीढ़ी बने हुए थे !
माता जानकी का इतना बड़ा भक्त जिन्हें प्रणाम करके वो सुखी होता था ! "मन महुँ चरण बंदि सुख माना" माता सीता के लिए जंगल की वेदनाएँ उससे देखी नहीं गईं तो उठा कर अपने यहाँ ले गया था !मैया ने कहा पिता बचन से हम नगर नहीं जा सकते तो "बन अशोक तेहिं राखत भयऊ !" रानियों को लगता था जैसे सभी नारियां रावण को देखकर मोहित हो जाती हैं वैसे ही सीता भी हो जाएँगी तो रावण ने कहा भारतीय नारियों के सतीत्व को कोई योद्धा पराजित नहीं कर सकता और न ही वो किसी से डरती हैं उनके लिए विश्व का साम्राज्य तुच्छ है यह दिखाने के लिए अपनी रानियों को पुष्प वाटिका ले गया था -
तेहि अवसर रावण तहँ आवा !
संग नारि बहु किए बनावा !!
कोई किसी स्त्री को विवाह हेतु राजी करने के लिए भीड़ लेकर जाता है क्या ?हमने रामायण को अपनी कलुषित दृष्टि से देख डाला ये अपराध हमने किया है !इसमें रावण कहीं से दोषी नहीं है जिसकी कमी श्री राम नहीं निकाल सके !गोस्वामी तुलसी दास जी नहीं निकाल सके उसे दोषी हम कैसे सिद्ध कर सकते हैं !
रावण तो बहुत बड़ा विद्वान् पराक्रमी तपस्वी था !14000 स्त्रियों,लाखों परिजनों करोड़ों अनुयायियों का स्नेह भाजन था !इतने बड़े जान समूह का समर्पण प्राप्त कर लेना बहुत बड़ी बात थी रावण के जैसा संतान सुख आज तक किसी को हुआ ही नहीं ! पिता की अच्छी अच्छी बातों को बिना बिचारे ठुकरा देने वाला समाज ,पिता को वृद्धाश्रम भेज देने समाज उस भाग्यशाली रावण की बराबरी कैसे कर सकता है जिस पिता की गलत इच्छा की पूर्ति के लिए सब बलिदान देते चले गए किसी ने एक बार भी रावण से नहीं कहा कि आप पुनर्विचार कर लीजिए !
रावण का पुतला ही क्यों उसकी मॉं का क्यों नहीं ?
एक बार शाम के समय रावण के पिता जी पूजापाठ संध्यादि नित्य कर्म कर रहे थे।उसी समय रावण की मॉं के मन में पति से संसर्ग की ईच्छा हुई वह रावण के पिता अर्थात अपने पति विश्रवा ऋषि के पास पहुँची और उनसे संसर्ग करने की प्रार्थना करने लगी।यह सुनकर तपस्वी विश्रवाऋषि ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया किंतु वह हठ करने लगी अंत में विवश होकर विश्रवा ऋषि को पत्नी की ईच्छा का सम्मान करते हुए उससे संसर्ग करना पड़ा जिससे वह गर्भवती हो गई । यह समझ कर विश्रवा ऋषि ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा कि देवी मैंने आपको रोका था कि यह आसुरी बेला है। इसमें संसर्ग नहीं करना चाहिए तुम मानी नहीं, अब तुम्हारे इस गर्भ से महान पराक्रमी राक्षस जन्म लेगा हमारा अंश होने के कारण विद्वान भी होगा।इसी गर्भ से रावण का अवतार हुआ था।
यह कथा प्रमाणित है। यदि यह बात सही है तो न्याय यह है कि जब रावण के अवतार से पहले ही उसके राक्षस बनने की भूमिका बन चुकी थी जिसकी मुख्य कारण उसकी माता एवं सहयोगी पिता थे।उस समय रावण तो कहीं था ही नहीं जब उसके राक्षस होने की घोषणा कर दी गई थी। अब कोई बता दे कि बेचारे रावण का दोष क्या था?
अपने को देवता मानने वाले पापी कलियुगी बेशर्मों को रावण का पुतला जलाने में उनकी आत्मा उन्हें धिक्कारती क्यों नहीं है?
सिद्धान्त है कि गर्भाधान के समय माता पिता में जितने प्रतिशत वासना होगी होने वाली संतान में उतने प्रतिशत रावणत्व होगा और जितने प्रतिशत उपासना होगी उतने प्रतिशत रामत्व होगा।
यह बात सबको सोचने की जरूरत है सबको अपने अपने अंदर झॉंकने की जरूरत है कि क्या हमारे बच्चे बासना से नहीं हो रहे हैं ?रावण के सारे बच्चे अपने पिता के इतने आज्ञाकारी थे कि पिता की गलत ईच्छा की बलिबेदी पर बेशक शहीद हो गए किंतु पिता की आज्ञा नहीं टाली। वे सब शिव भक्त और सब पराक्रमी थे सब वेदपाठी थे और सब परिश्रमी थे।
आज अपने माता पिता को वृद्धाश्रम भेज देने वाले लोग,शिव आदि देवताओं की पूजा से दूर रहने वाले घूसखोर आलसी लोग,रावण ने सीताहरण किया था बलात्कार नहीं, आज के बलात्कारी लोग कहॉं तक कहा जाए लुच्चे टुच्चे छिछोरे घोटालेवाज लोग रावण का पुतला जलाकर उसका क्या बिगाड़ लेंगे इससे श्रीराम नहीं बन जाएँगे।अगर अपने घरों में धधकती प्रतिशोध की ज्वाला बुझा लो तो भी कल्याण हो सकता है। कुछ नचइया गवइया कथाबाचकों ने हमलोगों की बुद्धि कुंद कर दी है जिससे हम यह सोचने लायक भी नहीं रह गए कि अपने घरों का आचरण खाने पीने से पहिनना ओढ़ना बात व्यवहार आदि में श्रीराम बाद के पास तो नहीं ही रहे नीचता में रावण बाद को भी लॉंघ चुके हैं।
हमारी भक्तराज रावण पुस्तक में यह विषय डिटेल किया गया है कि आपसे पैसे लूटने के लिए किसी साजिश के तहत आपके मनों में रावण के पुतले के प्रति घृणा घोली गई है । आज श्रीराम वाद के द्वारा अपने एवं अपने परिवारों को सुधारने की जरूरत है !
सिद्धान्त है कि गर्भाधान के समय माता पिता में जितने प्रतिशत वासना होगी होने वाली संतान में उतने प्रतिशत रावणत्व होगा और जितने प्रतिशत उपासना होगी उतने प्रतिशत रामत्व होगा।
यह बात सबको सोचने की जरूरत है सबको अपने अपने अंदर झॉंकने की जरूरत है कि क्या हमारे बच्चे बासना से नहीं हो रहे हैं ?रावण के सारे बच्चे अपने पिता के इतने आज्ञाकारी थे कि पिता की गलत ईच्छा की बलिबेदी पर बेशक शहीद हो गए किंतु पिता की आज्ञा नहीं टाली। वे सब शिव भक्त और सब पराक्रमी थे सब वेदपाठी थे और सब परिश्रमी थे।
आज अपने माता पिता को वृद्धाश्रम भेज देने वाले लोग,शिव आदि देवताओं की पूजा से दूर रहने वाले घूसखोर आलसी लोग,रावण ने सीताहरण किया था बलात्कार नहीं, आज के बलात्कारी लोग कहॉं तक कहा जाए लुच्चे टुच्चे छिछोरे घोटालेवाज लोग रावण का पुतला जलाकर उसका क्या बिगाड़ लेंगे इससे श्रीराम नहीं बन जाएँगे।अगर अपने घरों में धधकती प्रतिशोध की ज्वाला बुझा लो तो भी कल्याण हो सकता है। कुछ नचइया गवइया कथाबाचकों ने हमलोगों की बुद्धि कुंद कर दी है जिससे हम यह सोचने लायक भी नहीं रह गए कि अपने घरों का आचरण खाने पीने से पहिनना ओढ़ना बात व्यवहार आदि में श्रीराम बाद के पास तो नहीं ही रहे नीचता में रावण बाद को भी लॉंघ चुके हैं।
हमारी भक्तराज रावण पुस्तक में यह विषय डिटेल किया गया है कि आपसे पैसे लूटने के लिए किसी साजिश के तहत आपके मनों में रावण के पुतले के प्रति घृणा घोली गई है । आज श्रीराम वाद के द्वारा अपने एवं अपने परिवारों को सुधारने की जरूरत है !
बंधुओ ! आपको पता होगा कि रावण ज्योतिष का बहुत बड़ा पंडित था जिसके आधार पर वो भूत भविष्य वर्तमान जान लिया करता था !किंतु दुर्भाग्य से अनपढ़ लोग बिना कुछ जाने समझे ही रावण से घृणा करने लगे उसकी ज्योतिष आदि विद्वत्ता को समझ नहीं पाए!
"बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का पर्व" बताया जाता है इसे किंतु बुराइयाँ किसकी रावण की !तो रावण की किन्हीं 5 बुराइयों को प्रमाण सहित कमेंट वाक्स में लिखें अन्यथा रामायण साहित्य को मन से पढ़ना शुरू करें कपोल कल्पित बातों के बल पर रामायण साहित्य को नहीं छोड़ा जा सकता !इसमें भी दिमाग लगाना चाहिए !विजय दशमी पर नेताओं को टिप्पणियाँ विश्वसनीय नहीं होती इन्हें तो बकना होता है कुछ भी बक कर चले जाते हैं किन्तु रामायण और प्राचीन विषयों पर शोध के लिए सरकार ने कोई ख़ास प्रयास नहीं किए !इस विषय में इनसे पत्रों के जवाब तो देते नहीं बनते ये राम मंदिर बनाएँगे हिन्दू राष्ट्र बनाने के सपने दिखा रहे हैं वे लोग जो हिन्दू संस्कृति या ज्ञान विज्ञान से जुडी बातों में रूचि नहीं लेना चाहते !
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