बरसों से बचा कर समय के पल इकट्ठा किये थे।
उन्हें मन में जोड़कर कई दिन भी बना लिये थे
और सोचा था समय आएगा तब दिल खोलकर
इन पलों को खर्चा करेंगे, घूमेंगे, जियेंगे, जो जी
चाहेगा करेंगे, आज मन पक्का करके तोड़ी उन
पलों की गुल्लक, तो पता चला कि बीता समय
वर्तमान में नहीं चलता।
उन्हें मन में जोड़कर कई दिन भी बना लिये थे
और सोचा था समय आएगा तब दिल खोलकर
इन पलों को खर्चा करेंगे, घूमेंगे, जियेंगे, जो जी
चाहेगा करेंगे, आज मन पक्का करके तोड़ी उन
पलों की गुल्लक, तो पता चला कि बीता समय
वर्तमान में नहीं चलता।
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