सेतुसमुद्रम परियोजना के तहत भारत और श्रीलंका के बीच से जहाजों के गुजरने के लिए रामसेतु को पार करते हुए 30 मीटर चौड़े 12 मीटर गहरे और 167 किलोमीटर लंबे रास्ते की खुदाई करनी है।
इस विषय में सरकार के द्वारा यह तर्क दिया जाना ठीक नहीं है कि रामसेतु हिंदू धर्म का आवश्यक अंग नहीं है।रामसेतु भगवान श्री राम से जुड़ा है और इस धार्मिक महत्व के कारण उसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए और न ही तोड़ा जाएगा जब तक सनातन धर्मी श्रीराम भक्त जीवित हैं।
आखिर श्रीरामसेतु हिंदू धर्म का आवश्यक अंग कैसे नहीं
है?नेहरूस्टेडियम, राजीवगाँधी स्टेडियम, गाँधी नगर ,अम्बेडकर स्टेडियम आदि
सम्बंधित लोगों ने बनाए तो नहीं हैं फिर भी ऐसे स्थान इन लोगों के नाम से ही
जाने माने जा रहे हैं। वहाँ तो प्रभु श्री राम ने स्वयं इस धर्म सेतु का
निर्माण किया था इसलिए यह हिन्दुओं के हृदय और प्राणों का प्रश्न है यह
कैसे कोई हिन्दू भूल जाएगा?यह सेतु श्री
राम के द्वारा ही निर्मित है यह इससे भी प्रमाणित है क्योंकि नल और नील के
स्पर्श किए हुए पत्थर पानी पर तैरते थे जो अभी भी पानी पर तैर रहे हैं।
ये सारा संसार अभी भी देख सकता है।
भगवान श्री राम ने स्वयं कहा था कि भविष्य में भारत पर शासन करने वाले राजाओ याद रखना कि इस धर्मसेतु का भारतीय संस्कृति पर बहुत बड़ा ऋण है इस लिए मैं आप सबसे नतमस्तक होकर याचना करता हूँ अर्थात भीख माँगता हूँ कि अपना तन मन धन न्योछावर करके भी आप लोग इस धर्म सेतु की रक्षा करना !
भूयो भूयो भाविनो भूमिपालान्
नत्वायं याचते रामचन्द्रः।
सामान्योयं धर्मसेतुर्नराणां
काले काले पालनीयो भवद्भिः ||
- स्कन्ध पुराण
एक बार इस परियोजना से संबंधित अपना हलफनामा वापस ले चुकी केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश नए शपथपत्र में कहा है कि इस धार्मिक विश्वास की पुष्टि नहीं हो सकी है कि भगवान राम ने इस सेतु को श्रीलंका से लौटते समय तोड़ा था और फिर किसी तोड़ी गई चीज की पूजा नहीं की जाती। सरकार ने यह भी तर्क दिया है।
इस विषय में सरकार से मेरा निवेदन मात्र इतना है कि श्री राम ने इस सेतु को श्रीलंका से लौटते समय तोड़ा था। इस बात के शास्त्र में पूर्ण प्रमाण हैं सरकार जब जहाँ चाहे उपस्थित किए जा सकते हैं। सरकार एक बार आदेश तो करके देखे।
सरकार ने यह भी तर्क दिया है कि किसी तोड़ी गई चीज की पूजा नहीं की जाती है। जिन चीजों की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है उनके खंडित होने पर इस तरह का विचार करना होता है किन्तु जो स्वयं प्राणवान हैं उनके खंडित होने पर ये धारणा नहीं रखनी चाहिए
प्राणवान माता पिता आदि यदि किसी प्रकार से घायल हो जाएँ तो उन्हें खंडित समझ कर क्या उनका विसर्जन कर देना चाहिए ?ये तर्क स्वयं में तर्क संगत नहीं हैं। सरकार सनातन धर्म के आकर ग्रंथों को आधार बनाकर फैसला ले जिसमें श्री राम ने इस सेतु
का खंडन कदापि स्वीकार्य नहीं है।
श्री राम का जन्म कब अर्थात कितने लाख वर्ष पहले हुआ था और राम सेतु कब बनाया गया था आदि बातों की रिसर्च पूर्ण शास्त्र प्रमाणित जानकारी
लेने के लिए हमारे संस्थान से प्रकाशित
श्री राम एवं राम सेतु२१लाख१५हजार१०८ वर्ष प्राचीन
शोध ग्रन्थ न केवल पढ़ने योग्य है अपितु अत्यंत उपयोगी भी है।
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान की सेवाएँ
यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी बनावटी ब्रह्मज्ञानी ढोंगी बनावटी तान्त्रिक बनावटी ज्योतिषी योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।
कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता वार्षिक सदस्यता या तात्कालिक शुल्क रूप में देनी होगी जो शास्त्र से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख लक्ष्य है आपको अपने पन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना बाँटना और सही जानकारी देना।
nice ...!!
ReplyDeletethanks !!