भाजपा में भी चाहिए एक हनकदार हाईकमान ?
जहाँ तक काँग्रेस का हाईकमान तो
विश्व विदित है । इस प्रकार से जनता हर पार्टी की हाईकमान एवं उसकी
स्वाभाविक स्थिरता और विचारधारा पर भरोसा करके उसका साथ देती है कि ये
हारे चाहें जीते किन्तु ये समय कुसमय में हमारा साथ देगा!
जैसे -
मुलायम सिंह जी सपा में कभी भी कोई भी निर्णय ले सकते हैं वे स्वतंत्र
हाईकमान हैं ,इसी प्रकार बसपा में मायावती,नीतीशकुमार जी जद यू में,लालू
प्रसाद जी जनतादल में,तृणमूल काँग्रेस में ममता बनर्जी जी ,अकाली दल में
प्रकाश सिंह जी बादल ,इसी प्रकार उद्धव ठाकरे जी,राज ठाकरे जी ,ओम प्रकाश
चोटाला जी ,शरद पवार जी,करुणा निधि जी , जय ललिता जी, नवीन पटनायक जी
,चन्द्र बाबू नायडू जी आदि और भी छोटे बड़े सभी दलों के हाईकमान अपनी अपनी
पार्टी में सदैव सम्माननीय एवं प्रभावी बने रहते हैं चुनावों में उनकी हार
जीत कुछ भी हो तो होती रहे किन्तु इनके सम्मान एवं अधिकारों में कटौती
नहीं होती है ये स्वतन्त्र रूप से निर्णय लेने में सक्षम बने रहते हैं
उन्हें ही देखकर उनके स्वभाव को समझने वाली जनता यह समझकर वोट देती है कि
ये हारें या जीतें किन्तु यदि हम इनका साथ देंगे तो ये हमारे साथ भी खड़े
होंगे!इसी प्रकार से पार्टी कार्यकर्ता भी अपने हाईकमान को पहचानने लगते
हैं कि ये जैसा कहेंगे इस पार्टी में रहने के लिए हमें वैसा ही करना होगा
किन्तु जिन पार्टियों में हाईकमान गुप्त है वहाँ कार्यकर्ता भी चुप रहता
है और समर्थक तो चुप ही रहते हैं।
भाजपा में ऐसा नहीं
है यहाँ कब कौन किसका कब तक हाईकमान रहेगा फिर कब कौन किस कारण से कहाँ से
हटाकर कहाँ फिट कर दिया जाएगा ये सब काम कौन क्यों कहाँ से किसकी प्रेरणा
से कर रहा है या किसी अज्ञात शक्ति की प्रेरणा से होता रहता है आम जनता इसे
जानने की हमेंशा इच्छुक रहती है किन्तु किसी को कुछ बताने कि जरूरत ही
नहीं समझी जाती है इतनी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी में कब क्या उथल पुथल चल रहा
होता है जनता में से किसी को कुछ पता नहीं होता है।यहाँ तक कि बड़े बड़े
कार्यकर्त्ता तक अखवार पढ़ पढ़ कर समाज को समझा रहे होते हैं कि अंदर क्या
कुछ चल रहा है ,जैसे आम परिवारों में माता पिता की लड़ाई में बच्चों की
स्थिति होती है न माता की बुराई कर सकते हैं और न ही पिता की न सच्चाई ही
किसी को बता सकते हैं केवल मौन रहना ही उचित समझते हैं ये स्थति भाजपा के
आम कार्य कर्ता की होती है जब हाईकमान हिलता है ।ऐसी बातों में सुधार की आवश्यकता दिखती है।
जिन जिन प्रदेशों में भाजपा किसी प्रांतीय हाईकमान को स्थापित करने में सफल हो गई है उन उन प्रदेशों में न केवल सफल हो गई है भाजपा अपितु अन्य सभी दलों पर भारी भी पड़ रही है।उसका मुख्य कारण संघ के विरक्त, बुद्धिमान, एवं राष्ट्रीय समर्पणवाले अत्यंत अनुभववान, ज्ञानवान ,समाजसाधकों से सुसेवित है भाजपा!ऐसा सौभाग्य भाजपा को छोड़कर किसी अन्य दल को नहीं मिला है जिसे अपने दल के विचारकों कार्यकर्ताओं के अलावा पीछे से विराट ऊर्जा देने वाला कोई आर.एस.एस. जैसा अति विशाल संगठन साथ दे रहा हो इसीलिए भाजपा की नियति, नीति, निर्णय एवं न्यायनिष्ठा सुदृढ़ सिद्धांतों से सम्बद्ध हैं इसलिए उनमें संदेह की कहीं कोई गुंजाईस ही नहीं है किन्तु उनका कार्यान्वयन उस प्रकार से नहीं हो पा रहा है जैसा होना चाहिए और जहाँ हो पा रहा है वे मध्य प्रदेश छत्तीस गढ़ आदि में मिल रही सफलता उसी के प्रमाण हैं किन्तु जिन प्रदेशों में प्रांतीय हाईकमान ही व्यवस्थित नहीं है उन प्रदेशों में आपसी कलह के कारण पिछड़ी है भाजपा !
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, विहार आदि में इसी परिस्थिति की शिकार भाजपा है !
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