भाजपा का ज्योतिषीय सुधार अति शीघ्र अत्यंत आवश्यक है अन्यथा वर्त्तमान परिस्थिति के अनुशार लोकसभा चुनाव 2014 भी भाजपा के लिए कोरे कोरे फीलगुड से ज्यादा और कुछ भी नहीं होगा !
जब किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों का नाम यदि एक अक्षर से ही प्रारंभ होता है तो ऐसे सभी लोगों के आपसी संबंध शुरू में तो अत्यंत मधुर होते हैं बाद में बहुत अधिक खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनकी पद-प्रसिद्धि-प्रतिष्ठा -पत्नी-प्रेमिका आदि के विषय में पसंद एक जैसी होती है। इसलिए कोई सामान्य मतभेद भी कब कहॉं कितना बड़ा या कभी न सुधरने वाला स्वरूप धारण कर ले या शत्रुता में बदल जाए कहा नहीं जा सकता है।
जैसेः-राम-रावण, कृष्ण-कंस आदि। इसी प्रकार और भी उदाहरण हैं।
ज्योतिष की दृष्टि से भारतवर्ष में भाजपा की स्थिति बहुत ठीक नहीं है इसीलिए उसे राजग का गठन करना पड़ा जबकि भाजपा से कम सदस्य संख्या वाले अन्य दलों के लोग पहले भी प्रधानमंत्री बन चुके हैं ।जिनका अटल जी जैसा विराट व्यक्तित्व भी नहीं था फिर भी सरकार बनाने में सबसे अधिक कठिनाई भाजपा को ही हुई थी आखिर अन्य कारण भी रहे होंगे किन्तु ज्योतिष की यह एक विधा भी महत्त्व पूर्ण कारण कही जा सकती है ।
आर. यस. यस. के समर्पित पवित्र प्रचारकों के परिश्रम एवं देश भक्ति भावना से सुसिंचित भाजपा एवं उसका अपना अत्यंत सक्षम तथा कर्मठ नेतृत्व है प्रतिपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है कई प्रदेशों में उसकी न केवल यशस्वी सरकारें हैं अपितु अनेक वर्षों से सफलता पूर्वक संचालित हो रहीं हैं किन्तु क्या कारण है कि केंद्र में आकर भाजपा की धार कुंद हो जाती है?क्या अन्य पार्टियों के नेता ज्यादा समझदार और ईमानदार हैं ?जो भी हो यह चिंतन का विषय जरूर है और ज्योतिष में है इस प्रश्न का उत्तर !
इसी प्रकार दिल्ली की कांग्रेस सरकार है वो अपनी अच्छाई से जीतती है या विपक्षी भाजपा का आपसी असामंजस्य उसकी जीत का कारण बनता है कहना कठिन है यह भी चिंतन का विषय है ।
दिल्ली भाजपा के चार विजय और चारों को दिल्ली में एक साथ ही काम करना होता है इन चारों लोगों ने अपने एवं अपनी पार्टी का यश बढ़ाया भी है फिर भी दिल्ली भाजपा की धार दिनों दिन कुंद होती दिखती है।उस समय तो केवल आलू प्याज की महँगाई पर भाजपा सरकार की दिल्ली से बिदाई हुई थी ।आज तो सब कुछ महँगा है सत्ता धारी पार्टी के केंद्र से लेकर प्रदेश तक घोटालों के आरोप हैं फिर भी भाजपा के लोग सरकार के विरुद्ध कोई सशक्त आन्दोलन नहीं खड़ा कर सके हैं ।आज की तारीख में सरकार यदि जाती भी है तो वो उसका अपना अपयश हो सकता है
कम से कम भाजपा की सामर्थ्य बढ़ रही है इस कारण काँग्रेस सरकार जायगी अभी तक तो ऐसा कहना उचित नहीं होगा ।यह भी नहीं है कि भाजपा के लोग ही अयोग्य हों आखिर इन्हीं शूरमाओं ने दिल्ली नगर निगम में जीत हासिल की है क्योंकि वहाँ इन चारों विजयों में प्रतिस्पर्द्धा नहीं थी ।खैर जो भी हो इस दृष्टि से भी चिंतन अवश्य होना चाहिए,अन्यथा आगामी चुनावों में भाजपा के राजनैतिक भविष्य के लिए चिंता प्रद हैं।इन चारों में आपसी तालमेल बेहतर बनाने के लिए किसी मजबूत व्यक्तित्व की व्यवस्था समय रहते कर लेना उत्तम होगा ।
विजयेंद्रजी -विजयजोलीजी
विजयकुमारमल्होत्राजी - विजयगोयलजी
उत्तर प्रदेश
इसीप्रकार उत्तर प्रदेश के विगत चुनावों में भाजपा ने अत्यंत प्रसिद्ध, परिश्रमी ,धार्मिक ,अद्भुत वक्ता सुश्री उमाभारती जी के नेतृत्व में चुनाव करा दिए उसे क्या पता था कि उत्तरप्रदेश और उमाभारती में है।यदि उमा जी प्रचार करतीं और नेतृत्व किसी और का होता तो भाजपा का प्रदर्शन इससे अच्छा होने की संभावना मानी जानी चाहिए।
इसलिए ज्योतिष शास्त्र के इन सिद्धांतों समेत अन्य समस्त चुनावी विजयदायिनी शास्त्रीय विचारधारा का परिपालन अवश्य किया जाना चाहिए।इसका सकारात्मक असर अवश्य पड़ेगा ।
कलराजमिश्र-कल्याण सिंह
ओबामा-ओसामा
अरूण जेटली- अभिषेकमनुसिंघवी
नरसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी
परवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान
लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद
भाजपा-भारतवर्ष
मनमोहन-ममता-मायावती
उमाभारती - उत्तर प्रदेश
अमरसिंह - आजमखान - अखिलेशयादव
अमर सिंह - अनिलअंबानी - अमिताभबच्चन
नितीशकुमार-नितिनगडकरी-नरेंद्रमोदी
प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी-अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवी
इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में कहा जा सकता है कि इन चारों
विजयों का दिल्ली भाजपा में एक साथ काम करना भाजपा की दिल्ली विजय पर कभी
भी भारी पड़ सकता है ।इसलिए इन्हें बहुत सावधानी एवं सहनशीलता पूर्वक काम
करनाही इनके एवं पार्टीके लिए विशेष कल्याणकारी रहेगा ।
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