Monday, December 16, 2013

बलात्कार की घटनाएँ बहुत हुई हैं किन्तु चर्चा केवल एक बलात्कार की ही क्यों है ?

    पिछले वर्ष हुई  एक बलात्कार की दुर्घटना आखिर सब बलात्कारों पर भारी क्यों है केवल उसी की चर्चा उसी पर योजनाएँ उसी पर शोक संवेदनाएँ उसी पर सहानुभूति उसी पर नेताओं मीडिया कर्मियों की निगाह आखिर क्यों टिकी रहती है ? वही बलात्कार बलात्कार है उसी के माता पिता के आँसू आँसू हैं उसी की पीड़ा पीड़ा है आखिर क्यों ?

       उसके अलावा भी कई बड़ी दुर्भाग्य पूर्ण दुर्घटनाएँ महिलाओं बच्चियों के साथ घटी हैं कई के मुख पर तेज़ाब फेंकने की दुर्घटनाएँ हुई हैं  इसके अलावा कई नाबालिग बच्चियाँ अत्याचार की शिकार हुई हैं उन सब की पीड़ा क्या पीड़ा नहीं है या वे इंसान नहीं हैं या वो इस  देश की सम्माननीय नागरिक नहीं हैं। 

       चर्चा जब बलात्कारों की चलाई जाए तो सभी महिलाओं  बच्चियों की पीड़ा को सामान रूप से क्यों न देखा जाए सबके जीवन के साथ समान सहानुभूति क्यों न रखी जाए सबके साथ सामान संवेदनाएँ क्यों न रखी जाएँ ? अपराध अपराध में भेद भाव क्य़ों ?



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