जिस विद्या या विषय को हमने पढ़ा ही न हो और न ही उस विषय में हमारा कोई अनुभव हो इस प्रकार से
आज फेस बुक पर ही किसी मित्र ने लिखा है कि
कर्म पर विश्वास करना चाहिए राशियों पर नहीं
क्योंकि राम- रावण ,कृष्ण -कंस ,गाँधी- गोडसे ,ओसामा -ओवामा आदि की राशियाँ एक होते हुए भी कर्म अलग अलग थे !ऐसा और भी कुछ लोग भी कहा सुना करते हैं ऐसी शंकाएं प्रायः उन लोगों को होती हैं जिन्होंने ज्योतिष शास्त्र स्वयं तो पढ़ा नहीं है और किसी पढ़े लिखे के संपर्क में रहने का सौभाग्य भी नहीं मिला है तो शंकाएँ होना स्वाभाविक ही है !!!
इस पर मेरा निवेदन यह है कि -
अज्ञान के कारण जो बात हमें समझ में न आवे उसे गलत मानने की अपेक्षा अपने अज्ञान को स्वीकार कर लेना चाहिए और उसे जानने का प्रयास करना चाहिए ज्योतिष शास्त्र अत्यंत प्राचीन विद्या है ये यदि सही न होती तो इतने वर्षों तक टिक ही नहीं पाती ! आपने देखा ही होगा कि बहुत लोग काम चोर होते हुए भी भाग्यवान होते हैं !जैसे लापरवाह सरकारी कर्मचारी !
कर्म एक जैसा हो और फल अलग अलग तो क्या कर्म छोड़ कर फल को पकड़ कर बैठ जाना चाहिए? प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक ही लें सरकारी स्कूलों के शिक्षक पता नहीं पढ़े नहीं होते या पढ़ाते नहीं या पढ़ा नहीं पाते हैं फिर भी सैलरी बहुत मोटी मोटी उठा रहे होते हैं। वहीँ निजी स्कूलों के शिक्षक बहुत परिश्रम पूर्वक पढ़ाते हैं इसीलिए सरकारी शिक्षक भी अपने बच्चे उन्हीं के स्कूलों में पढ़ने भेजते हैं ये उनकी उत्तम शिक्षा का ही प्रमाण है फिर भी सरकारी शिक्षकों की अपेक्षा निजी स्कूल के शिक्षकों की सैलरी बहुत कम होती है ,अन्यथा कर्म तो प्राइवेट शिक्षकों का अच्छा होता है किन्तु फल सरकारी शिक्षकों को अधिक मिल रहा होता है। ऐसा ही अन्य क्षेत्रों में भी होता है!यह भाग्य का ही दोष है !इसलिए ज्योतिष शास्त्र को समझ कर ही उस पर टिप्पणी की जानी चाहिए ।
जो उदाहरण आपने दिए हैं वो सभी अपने अपने क्षेत्र के महारथी थे और उन उन क्षेत्रों में अपने को ही सर्वोच्च पद पर स्थापित करने के लिए वे सभी प्रयासरत थे उसी में वो मारे भी गए उनके कर्म में अंतर हो सकता है किन्तु भावना एक ही थी वो भी अपने अपने को स्थापित करने की।
इसलिए उसे भी ज्योतिष सिद्धांतों के अनुरूप ही समझा जाना चाहिए ।
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