Sunday, May 11, 2014

काँग्रेस की कुटिलता एवं केजरीवाल के कपट से बिना सरकार की रह गई दिल्ली ! अब देखो क्या होगा ?

भाजपा  हम और हमारे सिद्धांतों  में जीने पर विश्वास करती है !दूसरी ओर काँग्रेस  या तो किसी को अपना बना लेती है या फिर उसकी अपनी बन जाती है !    

  अटल जी को एक वोट कम होने के कारण  सरकार छोड़नी पड़ी थी !

       इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि भाजपा के पास बिना पाइडल की साइकिल होती है किन्तु ईमानदारी और सिद्धांतों के चक्कर में  इतने पैसे नहीं इकट्ठे कर पाती है कि उसमें   'पाइडल' लगवा ले !

     दूसरी ओर काँग्रेस को देखिए उसके पास केवल पाइडल होता है किन्तु वो उसमें साइकिल डलवा लेती है ये काँग्रेस की कार्यशैली का ही कमाल है !

  इसका उदाहरण -दिल्ली में 32 सीटें लेकर भाजपा शांत बैठी रही जबकि 8 सीटें लेकर काँग्रेस ने सरकार बना ली -क्या आश्चर्य है !डलवा ली गई न एक पाइडल में साईकिल !

    इसी प्रकार से काँग्रेस की एक और प्रसिद्ध कार्यशैली है कि  पहली बात तो किसी नई  पार्टी को वो पैदा ही नहीं होने देती और यदि हो गई तो उसे बढ़ने नहीं देती और यदि बढ़ गई तो उससे बड़ी बड़ी कंपनियों की तरह की डील कर लेती है जैसे बनारसी साड़ी  बनाने वाले श्रमिक वर्ग से बड़े बड़े व्यापारी डील कर लेते हैं कि साड़ी बनाओगे तुम किन्तु बेचेंगे हम्हीं ऐसी ही डील और भी कई प्रकार के व्यापारों में चलती है किन्तु काँग्रेस पार्टी ने वैसी ही डील राजनीति में चला रखी है!जैसे -

     सपा बसपा राजद आदि टाइप के कुछ छोटे छोटे दलों को अपने सीने  से चिपकाए रहती है और उन्हें धर्मनिरपेक्षता का दूध पिलाकर पालती पोषती रहती है और फिर उनका  बिना  माँगा हुआ समर्थन प्राप्त करके काँग्रेस स्वयं तो सरकार चलाती रहती है और जब वो दुर्दल(पार्टियाँ) बीच में बीच में हिलने डुलने लगते हैं तब उन्हें सी.बी.आई. नाम की जड़ी ब्यूटी सुंघा देती है उससे  उन्हें इतना अधिक नशा हो जाता है कि फिर वो काँग्रेस काँग्रेस करने लगते हैं और मूर्च्छित हो जा जाते हैं सपा बसपा राजद आदि सब इसी मर्ज के मरीज हो रहे हैं । 

        चुनावों से कुछ पहले इन दुर्दल नागनाथों को कुछ महीनों  के लिए यह सिखाकर छोड़ दिया जाता है कि तुम्हें काँग्रेस को डसने(काटने) का नाटक करना है अर्थात काँग्रेस की जितनी अधिक से अधिक निंदा कर सकते हो उतनी करना है ताकि सत्ता विरोधी वोट विरोधी पार्टियों को न मिलकर तुम्हें मिल जाए और तुम्हें मिलने का मतलब है फिर से हमारी सरकार ! हम सबलोग फिर सेकुलर सेकुलर करते करते आपस में मिल जाएँगे और बना लेंगे एक नई सरकार !

    बंधुओं ! यही अभी तक होता रहा है किन्तु अब इन पालतू नागनाथों की हकीकत जनता समझने लगी है और इनसे मोह भंग होने लगा है ! इस लिए कांग्रेस ने इस समय एक नया नागनाथ पाला  है वो चुनावों के समय सबको बेईमान भ्रष्ट आदि बड़ी बड़ी बातें बोल कर सभी दलों नेताओं आदि को बदनाम करता है   किन्तु काँग्रेस का पालतू होने के कारण उससे कोई कुछ नहीं कहता है अन्यथा इतने बड़े बड़े लोगों को कोई दूसरा व्यक्ति बेईमान बोलकर देख ले !देखो क्या क्या दुर्दशा की जाती है उसकी किन्तु 

   जिस पर काँग्रेस का हाथ । सारे साथी उसके  साथ ॥ 

     अतएव  इस नए नागनाथ की विशेषता यह है कि सारे राजनेताओं को बेईमान भ्रष्ट आदि बोलकर खूब शोर मचाकर कुछ सीटें पा जाता है यह और बाद में नागमाता सुरसा (काँग्रेस) मुख फैलाकर खड़ी हो जाती है किंतु उसके मुख में प्रवेश करने के लिए ये नई नई शर्तें रखने का नाटक करता है सुरसा भी सारी शर्तें मानती जाती है! 

     दिल्ली चुनावों में तो 18 शर्तें रखकर फिर उसी की गोद में शिर रखकर सो गया और मिलजुलकर बन गई सरकार !इसके बाद अपनी सरकार केंद्र सरकार माने काँग्रेस को सौंप कर वहाँ से भाग खड़ा हुआ राष्ट्रीय स्तर पर काँग्रेस की क्षतिपूर्ति करने के लिए और बनारस जाकर मोदी जी से ले रहा है काँग्रेस का बदला !आज सुना है कि कुछ स्वर बदल लिए हैं उसने! सारे राजनेताओं को बेईमान भ्रष्ट आदि बोलकर खूब शोर मचाने के बाद अब थर्ड फ्रंट माने काँग्रेस को समर्थन देने का बयान आया है ये तो होना ही था किन्तु भगवान न करे कि दिल्ली की तरह देश भी बिना सरकार का ही रह जाए !

               जस जस सुरसा बदन बढ़ावा ।

               तासु दून   कपि रूप  देखावा ॥

       वही दशा यहाँ हुई किन्तु वो तो प्रभु हनुमान जी थे इसलिए वो प्रणाम करके चले गए उनका लक्ष्य रामकाज करना था किन्तु केजरीवाल जी का लक्ष्य काँग्रेस काज करना है इसलिए इन्होंने मिलजुलकर सरकार बना ली !


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