Wednesday, August 19, 2020

पूर्वानुमान

         केरल की बाढ़ !
अगस्त 2018 का मौसम संबंधी पूर्वानुमान 29 जुलाई को मौसम विभाग के डायरेक्टर डॉ.के जे रमेश के मेल पर भेजा था जिसमें 1 से 11 अगस्त में दक्षिण पूर्वी भारत में अधिक बारिश होने का पूर्वानुमान मैंने भेजा था !
 वो मेल ये है।.>>>>>>>>>>>>>> 

   3 अगस्त 2018 को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग नेअपनी प्रेस विज्ञप्ति में अगस्त सितंबर के महीने में दक्षिण भारत में सामान्य बारिश होने की भविष्यवाणी की थी जिसमें इतनी अधिक बारिश का कोई संकेत नहीं  मिलता है -->>>>>>>>>>>>>>>>>>

             
  इसके बाद 5 से 14 अगस्त तक केरल में अत्यधिक बारिश  और बाढ़ घटित हुई जिससे जनधन की काफी अधिक हानि हुई !इस पर केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे इतनी अधिक बारिश होने का पहले से कोई पूर्वानुमान मौसम विभाग के द्वारा नहीं बताया गया था-




Published: September 1, 2018 10:26 PM ISTनई दिल्ली: 
   मौसम विभाग ने केरल के सीएम के बयान को गलत बताया, कहा कई बार दी गई थी ज्यादा बारिश की चेतावनी !मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने राज्य में बाढ़ की आपदा के बारे में मौसम विभाग द्वारा पहले से सटीक जानकारी नहीं देने का केरल विधानसभा में आरोप लगाया था. 
   मौसम विभाग ने केरल में सामान्य से अत्यधिक बारिश होने के बारे में पहले से आगाह नहीं करने के राज्य सरकार के आरोप को खारिज करते हुये कहा है कि इस बारे में अगस्त के पहले सप्ताह से ही पूर्व चेतावनी जारी कर दी गयी थी. विभाग ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन सहित राज्य सरकार के आला अधिकारियों के साथ समय-समय पर हुई बैठकों में लगातार स्थिति से अवगत कराया जाता रहा है. उल्लेखनीय है कि हाल ही में विजयन ने राज्य में बाढ़ की आपादा के बारे में मौसम विभाग द्वारा पहले से सटीक जानकारी नहीं देने का केरल विधानसभा में आरोप लगाया था.see more.....https://www.india.com/hindi-news/india-hindi/metereology-department-condradicts-kerala-cm-p-vijayan-claims-told-about-heavy-rains-on-many-occasions-3269030/



एनडीटीवी के इंटरव्यू में मौसम विभाग के डारेक्टर ने माना की केरल की बारिश अप्रत्याशित थी !अर्थात पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं था !
khabar.ndtv.com
केरल में आई बाढ़ की बड़ी वजह था जलवायु परिवर्तन : मौसम विभाग
Reported by हिमांशु शेखर मिश्र, Updated: 23 नवम्बर, 2018 11:19 PMहिमांशु शेखर मिश्र

केरल में आई बाढ़ की बड़ी वजह था जलवायु परिवर्तन : मौसम विभाग के डीजी ने NDTV से कहा
NDTV से बात करते मौसम विभाग के डीजी केजे रमेश
नई दिल्‍ली:
केरल में बाढ़ ने जो कहर बरपाया उसके पीछे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन थी. एनडीटीवी से खास बातचीत में मौसम विभाग के डायरेक्टर जनरल के जे रमेश ने कहा है कि केरल में बाढ़ आपदा के पीछे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली अप्रत्याशित बारिश थी. केरल में इस साल जून और जुलाई में भारी बारिश हुई जिसकी वजह से केरल के 35 बड़े जलाशय काफी भर गये थे. पिछले कुछ साल से राज्य में काफी सूखा पड़ा था इसलिए डैम्स में पानी ज़्यादा रखा गया. इसलिए 8 अगस्त से 10 अगस्त और फिर 14 अगस्त से 17 अगस्त के बीच जब दो बार भारी बारिश हुई तो जलाशयों में पानी रखने की जगह नहीं थी और डैम्स से पानी छोड़ना पड़ा. इसकी वजह से ही निचले इलाकों में फ्लैश फल्ड की स्थिति पैदा हो गयी और पूरे राज्य में आपदा के हालात पैदा हो गये.see more...            https://khabar.ndtv.com/news/india/met-dg-interview-on-kerala-floods-1952552?fbclid=IwAR1Gp7YWHasjUAHIC7nHtsFULc0rNsMnfHWo_n4podYQGZs3tku5N9boS7I

     इस पर मैंने मौसम विभाग के डायरेक्टर डॉ. के जे रमेश से बात की और कहा कि दक्षिण भारत में 5 से 14 अगस्त तक हुई बारिश अप्रत्याशित नहीं थी और न ही इसका कारण जलवायु परिवर्तन ही था यदि ऐसा होता तो 29 जुलाई को जो मैंने अगस्त महीने का मौसम पूर्वानुमान आपके मेल पर भेजा है वह भी गलत होता किंतु वो सही हुआ है आप अपने मेल पर दोबारा देखिए हमारा भेजा हुआ पूर्वानुमान !इसके बाद 28 अगस्त 2018 को मेरे पास उन्होंने मेरे मेल पर ये लेटर भेज कर मेरा फ़ोन उठाना बंद कर दिया था। >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
 
 
               बिहार की बाढ़ 
   
    इसके बाद सितंबर 2019 में बिहार में आई भीषण बाढ़ के बिषय में कोई पूर्वानुमान बताने में मौसम विभाग असफल रहा था !जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार जी ने कहा था -"किसी को कुछ नहीं पता कि ये अधिक वर्षा कब तक होती रहेगी !मौसम विभाग वाले सुबह कुछ बताते हैं दोपहर में कुछ दूसरा बताते हैं और शाम को कुछ अलग बता देते हैं !>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
      
बिहार ‘डूबा’ तो नीतीश कुमार बोले- मौसम विभाग सुबह कुछ और दोपहर को कुछ बताता है
बिहार में मूसलाधार बारिश से हाहाकार मचा हुआ है. इसमें अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है. बिहार में बारिश से बिगड़े हालात पर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने बिहार के बदतर हालात का ठीकरा कुदरत और मौसम विभाग पर फोड़ा है.
रविवार को आपात बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है. कभी पानी की कमी हो जाती है, सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और कभी बाढ़ के हालात बन जाते हैं. उन्होंने कहा कि गंगा और पुनपुन नदी का जलस्तर बढ़ रहा है. लगातार बारिश हो रही है, जिसके चलते दिक्कत हो रही है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मौसम वैज्ञानिक भी सुबह में कुछ पूर्वानुमान बताते हैं और शाम को कुछ और बताते हैं. अभी हथिया नक्षत्र चल रहा है. मुझे तो लग रहा है कि बारिश तीन दिन तक और होगी.see more.... https://aajtak.intoday.in/story/weather-update-heavy-rain-bihar-patna-chief-minister-nitish-kumar-emergency-meeting-1-1124301.html
    

29 सितंबर को नीतीश कुमार ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा था, ‘अभी हथिया नक्षत्र चढ़ा है. बारिश कब खत्म होगी कोई नहीं जानता है. मौसम विज्ञान वाले भी सुबह कुछ बताते हैं और दोपहर के बाद उन्हें अपना ओपिनियन बदल कर जारी करना पड़ रहा है.’    
पटना के बाशिंदों का कहना है कि उन्हें भी किसी तरह का अलर्ट नहीं मिला कि पटना में इतनी बारिश होगी, वरना वे लोग पहले से ही सुरक्षा के उपाय कर लेते.
     मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान में बिहार में भारी बारिश की चेतावनी दी गई थी.see more.... http://thewirehindi.com/96672/bihar-flood-in-patna-nitish-kumar-sushil-kumar-modi/
 
 

16-17 जून, 2013को केदार नाथ जी में जो तवाही हुई हो या फिर नवंबर 2015 की विनाशकारी चेन्नई बाढ़ हो !ऐसी और भी बहुत सारी प्राकृतिक आपदाओं का भी पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका था उसके बाद मौसम वैज्ञानिकों ने कहना शुरू किया कि ---

 
 
5 जनवरी 2020 को नवभारत की खबर है !जिसमें कहा गया है कि मौसम का सटीक पूर्वानुमान संभव नहीं है !

 कड़ाके की ठंड मौसम की चरम गतिविधि का नतीजा, जिसका सटीक पूर्वानुमान संभव नहीं : डॉ. श्रीवास्तव

डिसक्लेमर:यह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड हुआ है। इसे नवभारतटाइम्स.कॉम की टीम ने एडिट नहीं किया है।
Updated: 05 Jan 2020, 11:35:00 AM नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) बीते साल मानसून से लेकर हाल ही में कड़ाके की ठंड तक, बारंबार पूर्वानुमान गलत साबित होने पर सवालों में घिरे मौसम विभाग की दलील है कि भारत जैसे, ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में मौसम की चरम गतिविधियों का सटीक अनुमान संभव नहीं है।
    नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) बीते साल मानसून से लेकर हाल ही में कड़ाके की ठंड तक, बारंबार पूर्वानुमान गलत साबित होने पर सवालों में घिरे मौसम विभाग की दलील है कि भारत जैसे, ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में मौसम की चरम गतिविधियों का सटीक अनुमान संभव नहीं है।
    सवाल : सर्दी की दस्तक से पहले मौसम विभाग ने कहा था कि इस साल सर्दी सामान्य से कम रहेगी। लेकिन पहले मानसून और अब सर्दी का पूर्वानुमान भी गलत साबित हुआ। क्या इसे तकनीकी खामी मा ना जाये?
    जवाब : यह सही है कि मौसम के दीर्घकालिक पूर्वानुमान की घोषणा में मौसम विभाग की पुणे इकाई ने सामान्य से कम सर्दी का अनुमान व्यक्त किया था, लेकिन सर्दी ने सौ साल के रिकार्ड तोड़ दिये। मौसम विज्ञान की भाषा में इसे मौसम की चरम गतिविधि माना जाता है। भारत जैसे ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्र में मौसम के इस तरह के अनपेक्षित और अप्रत्याशित रुझान का सटीक पूर्वानुमान लगाने की तकनीक दुनिया में कहीं भी नहीं है। पल भर में हवा का रुख बदलने वाले ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सर्दी ही नहीं, अतिवृष्टि और भीषण गर्मी जैसी मौसम की चरम गतिविधियों का दीर्घकालिक अनुमान संभव ही नहीं है। इसलिये इसे तकनीकी खामी मानना उचित नहीं है।
सवाल : अभी 20 दिसंबर के बाद बारिश होने और सर्दी कम होने के पूर्वानुमान अगले दिन ही गलत साबित हुये। क्या यह भी तकनीकी खामी नहीं है?
जवाब : मौसम विभाग देश भर में 200 पर्यवेक्षण केन्द्रों से सतह पर हर तीन घंटे में मौसम का मिजाज लेता है। साथ ही, देश में 35 स्थानों से सेंसर युक्त गुब्बारों की मदद से प्रतिदिन वायुमंडल में हवा के रुख को भांप कर मौसम के रुझान का आंकलन किया जाता है। इसरो के वैश्विक और स्थानीय उपग्रह तथा रडार से हर दस मिनट में हवा की गति, तापमान और नमी का आंकलन कर मौसम का अनुमान लगाया जाता है। भारत को इतने व्यापक इंतजाम सिर्फ ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु की विशिष्ट परिस्थिति के कारण करने पड़ते हैं क्योंकि, ऐसी जलवायु में हवा की गति और उसका रुख, मिनट मिनट पर बदलने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। यूरोप या अमेरिका सहित अन्य विकसित देशों को परिवर्तनशील जलवायु नहीं होने के कारण न तो मौसम के पूर्वानुमान के इतने व्यापक इंतजाम करने पड़ते हैं ना ही वहां अनुमान गलत साबित होने की आशंका होती है। मौसम की चरम गतिविधियों के दौरान, मौसम का मिजाज तेजी से बदलने की प्रवृत्ति प्रभावी होने के कारण अल्पकालिक अनुमान भी मुश्किल से ही सटीक साबित होता है क्योंकि, ऐसे में रात और दिन का तापमान तेजी से बदलता है।
   सवाल : अत्यधिक गर्मी, उम्मीद से ज्यादा बारिश और अब अप्रत्याशित सर्दी। क्या इसे जलवायु परिवर्तन का ही असर माना जाये?
 जवाब : मौसम संबंधी हमारे अपने अध्ययनों में भी मौसम की चरम गतिविधियों (एक्सट्रीम एक्टिविटी) की बात सामने आ रही है। यह बात वैश्विक स्तर पर स्थापित हो रही है कि जलवायु परिवर्तन में मौसम की चरम गतिविधियों का दौर विभिन्न रूपों में बार बार देखने को मिल रहा है। भारत में भी पिछले एक साल में गर्मी, बारिश और अब सर्दी में मौसम की चरम स्थितियां पैदा हुयीं। पिछले साल दिल्ली एनसीआर में सात फरवरी को ओलावृष्टि हुई, जून में तापमान 48 डिग्री पर पहुंचा और अभी 12 और 13 दिसंबर को 33 मिमी बारिश हुई...., मौसम की ये अप्रत्याशित और असामान्य गतिविधियां भी देखने को मिलीं। सौ साल के रिकार्ड तोड़ती मौसम की चरम गतिविधियों को जलवायु परिवर्तन से जोड़ कर देखना ही पड़ेगा।
 सवाल : मौसम की चरम गतिविधियों का भविष्य में कैसा मिजाज रहने का अनुमान है ?
 जवाब : मौसम के तेजी से बदलते मिजाज को देखते हुये चरम गतिविधियों का दौर भविष्य में और अधिक तेजी से देखने को मिल सकता है। इनकी आवृत्ति में भी तेजी देखी जा सकती है। ऐसे में बारिश के अनुकूल परिस्थिति बनने पर मूसलाधार बारिश होना या गर्मी का वातावरण तैयार होने पर अचानक तापमान में उछाल या गिरावट जैसी घटनायें भविष्य में बढ़ सकती हैं। मौसम संबंधी शोध और अनुभव से स्पष्ट है कि इस तरह की घटनाओं का समय रहते पूर्वानुमान लगाना भी मुश्किल है। ऐसे में पूर्वानुमान के गलत साबित होने की संभावना भी रहेगी।see more.... https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/the-result-of-extreme-cold-weather-activity-whose-precise-forecast-is-not-possible-dr-srivastava/articleshow/73105950.cms

6 जनवरी 2020 को हिंदुस्तान में प्रकाशित हुआ

 
see more ....https://epaper.livehindustan.com/imageview_484316_46643970_4_1_06-01-2020_8_i_1_sf.html
 
                                                          मानसून   


 चक्रवात

26 नवंबर 2018नवभारत की एक खबर के अनुशार -मौसम विभाग के डायरेक्टर डॉ.के जे रमेश ने माना कि जलवायु परिवर्तन के कारण कई ऐसे चक्रवात हैं जिनके आने का अंदेशा ही नहीं हो पा रहा है।  

चुपके से आकर नींद उड़ा रहे बड़े चक्रवात
Updated: 26 Nov 2018, 03:39:00 AM
​आने वाले दिनों में मौसम दुनिया के लिए एक बढ़ा खतरा बनने वाला है। इसका संकेत हाल में बढ़ते चक्रवात हैं। मौसम विभाग के महानिदेशक केजे रमेश  के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण कई ऐसे चक्रवात हैं जिनके आने का अंदेशा ही नहीं हो पा रहा है। 
लखनऊ



आने वाले दिनों में मौसम दुनिया के लिए एक बढ़ा खतरा बनने वाला है। इसका संकेत हाल में बढ़ते चक्रवात हैं। मौसम विभाग के महानिदेशक केजे रमेश के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण कई ऐसे चक्रवात हैं जिनके आने का अंदेशा ही नहीं हो पा रहा है। जब तक इनकी जानकारी हो पाती है तब तक ये भारी तबाही मचा चुके होते हैं। इसका हाल का उदाहरण गज चक्रवाती तूफान है। वह कहते हैं कि समुद्री सतह में उठने वाली गर्म हवाओं से गज तूफान की गति इतनी तेज हो गई कि जब तक अलर्ट जारी होता तब तक नुकसान हो गया। ऐसा पहली बार हुआ है लेकिन जो हालात बने हैं वह निश्चित तौर पर अलर्ट करने वाले हैं। see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/other-news/the-big-cyclone-that-is-sleeping-quietly/articleshow/66797704.cms


 
 आजतक की एक खबर के अनुशार -विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हषर्वर्धन ने कहा कि दुनिया में अभी कहीं पर भी भूचाल, भूकंप का पूर्वानुमान करने की प्रणाली नहीं है.
aajtak.intoday.in 

भूकंप का पूर्वानुमान लगाने की प्रणाली पर काम कर रहा है भारत

नई दिल्ली, 24 मई 2017, अपडेटेड 25 मई 2017 07:43 IST

देश के विभिन्न इलाकों के भूकंप संवेदी होने की वजह भारत एक ऐसी प्रणाली पर काम कर रहा है, जिससे भूकंम्प का पूर्वानुमान लगाया जा सके. ताकि भूकंप के कारण होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हषर्वर्धन ने कहा कि दुनिया में अभी कहीं पर भी भूचाल, भूकंप का पूर्वानुमान करने की प्रणाली नहीं है. इस दिशा में कार्य चल रहे हैं और भारत में भी प्रयास हो रहा है. मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत में आईआईटी रूड़की और ताइवान मिलकर अध्ययन कर रहे हैं.
नेशनल सेंटर फार सिस्मोलॉजी के देशभर में 84 स्टेशन हैं और 150 वेधशालाएं हैं. सभी केंद्र इस विषय पर अध्ययन कर रहे हैं. मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, विगत 30 वर्षो के भूंकप के डाटा के विश्लेषण से पता चलता है कि भूंकप की दर में कोई वृद्धि अथवा कमी नहीं आई है. भूकंप का अध्ययन करना एक विस्तृत विषय है और इस बारे में कोई समिति गठिन नहीं की गई है हालांकि कई संस्थान इस विषय पर अध्ययन कर रहे हैं | see more... https://aajtak.intoday.in/story/india-is-working-on-the-system-of-forecasting-earthquake-1-931180.html
 
       
      
वायु प्रदूषण के विषय में इंडिया टीवी की एक खबर में कहा गया कि -दिल्ली में प्रदूषण की असली वजह क्‍या? किसी को नहीं पता!

indiatv.inUpdated on: December 25, 2015 9:24 IST

World’s Most Polluted City: दिल्ली में प्रदूषण की असली वजह क्‍या? किसी को नहीं पता!
नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण रोकन के लिए राज्य सरकार 1 जनवरी से ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू करने जा रही है। गुरुवार को मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका ब्लूप्रिंट भी पेश कर दिया है। ये पूरी कवायद दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए की जा रही है। लेकिन, दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर इतना प्रदूषित क्‍यों है, इसका वास्‍तविक कारण किसी को पता नहीं है। हम यह बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि देश के सबसे बड़े संस्थान और सरकारी रिपोर्ट पर नजर डालेंगे तो दिल्ली को प्रदूषित होने की वजह अलग-अलग बताई जा रही हैं। ऐसे में बड़ा सावल यह है कि दिल्ली की हवा को दूषित करने के लिए आखिर असली जिम्‍मेदार गाड़ियां हैं?
जुलाई में जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए सरकार को फटकार लगाई, उस वक्‍त केंद्र सरकार ने जवाब दिया था कि उसे प्रदूषण बढ़ने की मुख्य वजह का पता नहीं है। जबकि, उससे कुछ महीने पहले ही सरकार ने पुराने डीजल वाहनों पर रोक न लगाने में मदद के लिए एक एफिडेविट दायर कर कहा था कि दिल्ली में प्रदूषण की मुख्य वजह गाड़ियां नहीं हैं।
प्रदूषण का जिम्मेदार कौन? कार या इंडस्ट्री
आम आदमी पार्टी की सरकार अल्ट्रा-फाइन पार्टिकुलेट मैटर या पीएम 2.5 एमिशन को कम करने के लिए ऑड-ईवन का फॉर्मूला लागू कर रही है। इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) कानपुर ने दो साल पहले एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि पीएम 2.5 का लेवल ज्यादा होने से उच्च स्तर पर एम्फीसेमा और कैंसर जैसी बिमारी हो सकती है। उसी समय रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि कार, जीप और ट्रक 10 फीसदी से कम अल्ट्रा-फाइन प्रदूषण फैलाते हैं। दूसरी ओर, रिपोर्ट में कहा गया था कि बड़ा प्रदूषक सड़कों पर उड़ने वाली धूल है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण फैलाने में धूल की हिस्सेदारी 35 फीसदी तक है, जबकि घरेलू रसोई, पावर प्लांट और इंडस्ट्रियल उज्‍सर्जन से 25 से 35 फीसदी तक प्रदूषण फैलता है।
 जितनी रिपोर्ट, उतनी बातें
आईआईटी दिल्ली ने पिछले साल निष्कर्ष निकाला कि दिल्ली को गाड़ियां सबसे ज्यादा प्रदूषित करती हैं। इसके बाद इंडस्ट्री, पावर प्लांट और घरेलू स्रोत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा किए गए एक अध्ययन (2007-10) के मुताबिक गाड़ियों के उत्‍सजर्न से नाइट्रोजन ऑक्साइड बढ़ता है, जबकि पीएम 2.5 का कारण सड़क पर उड़ने वाली धूल है। इसके विपरीत दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने सीपीसीबी की रिपोर्ट को यह कहकर नकार दिया था कि उनकी कार्यप्रणाली दोषपूर्ण है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के रिसर्च फेलो भार्गव कृष्णा ने कहा कि चीजे काफी बदल चुकी हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली का चरित्र बदल चुका है और शहर में गाड़ियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। इसलिए सीपीसीबी के निष्कर्ष में खामिया हो सकती हैं। दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या के लिए आम तौर पर सीपीसीबी का अध्ययन इस्तेमाल किया जाता है।
राजनीति का खेल हो खत्‍म
विशेषज्ञ कहते हैं कि केंद्र और राज्‍य सरकार की अपनी-अपनी एजेंसियां हैं, जो प्रदूषण को जांचने का काम करती हैं। इन एजेंसियों का इस्‍तेमाल राजनीतिक खेल खेलने में किया जा रहा है और यह संस्‍थाएं एक-दूसरे की रिपोर्ट को ही गलत साबित करती नजर आती हैं। जबकि इसका समाधान यह होना चाहिए कि केंद्र और दिल्‍ली सरकार मिलकर इस समस्‍या से लड़े। इसका सबसे अच्‍छा उदाहरण हांगकांग है, जहां सिस्‍टम काफी सक्षम है क्‍योंकि वहां विभिन्‍न संगठनों के बीच स्‍पष्‍ट पदानुक्रम है। यहां कोई भी एक-दूसरे के काम में दखल नहीं दे सकता और न ही गलत जानकारी दे सकता है। पॉलिसी का निर्माण गंभीर विचार-विमर्श के बाद होता है। भारत को भी एक सेंट्रल अथॉरिटी की जरूरत है, जो स्‍वतंत्र रूप से काम करे और पर्यवरण आंकड़ों को एकत्रित कर उनका आकलन कर सही नीति बनाने में सरकार की मदद करे।see more.... https://www.indiatv.in/paisa/business-nobody-knows-the-real-reason-of-pollution-in-delhi-551339
 
                        मौसम और ज्योतिष


बिहार बारिश: मंत्री अश्विनी चौबे बोले- हथिया नक्षत्र की बारिश बड़ी गंभीर हो जाती है
Updated: 30 Sep 2019, 03:21:00 PM
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन अथॉरिटी के मुताबिक बारिश से जुड़े हादसों में अब तक 29 लोगों की जान जा चुकी है। राजधानी पटना में 4 दिन से हो रही भारी बारिश के बाद हजारों लोग फंसे हुए हैं। इन सबके बीच डेप्युटी सीएम सुशील मोदी को रेस्क्यू कराने की भी तस्वीर सामने आई है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे


पटना
बिहार में भारी बारिश के बाद राजधानी पटना के गली-मुहल्लों में कई फीट पानी जमा है। लोग छतों पर ठिकाना बनाए हुए हैं। आपदा प्रबंधन में कथित नाकामी को लेकर नीतीश कुमार की सरकार सवालों के घेरे में है, यहां तक कि कई दिन से घर में फंसे डेप्युटी सीएम सुशील मोदी को मदद की गुहार लगानी पड़ी। लेकिन नेता हैं कि मानते ही नहीं। वह इसके पीछे ग्रह-नक्षत्रों को वजह बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने बिहार में हुई भारी बारिश के लिए हथिया नक्षत्र को जिम्मेदार ठहराया है। see more... https://navbharattimes.indiatimes.com/state/bihar/patna/bihar-rains-union-minister-ashwini-choubey-says-hathiya-nakshatra-responsible-for-heavy-rains/articleshow/71373497.cms
 
 
                  तूफान मई सन -2018 
 
  
दिल्ली से मेरठ तक स्कूल बंद, राजस्थान-हरियाणा में अलर्ट जारी

उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तबाही मचाने के बाद फिर से उत्तर भारत के कई राज्यों में तूफान को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. अगले 48 घंटे यानी मंगलवार और बुधवार को इन राज्यों में लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है. 
मौसम विभाग का कई राज्यों में अलर्ट (फोटो फाइल
नई दिल्ली/जयपुर, 07 मई 2018, अपडेटेड 08 मई 2018 00:26 IST
उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तबाही मचाने के बाद तूफान ने फिर से उत्तर भारत के कई राज्यों में दस्तक दी है. भारतीय मौसम विभाग ने एनसीआर के अलावा जींद, रोहतक, भिवानी और नारनौल में बारिश की संभावना जताई है. दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में 50-70 किमी प्रति घंटे की गति से तूफानी हवाएं चल सकती हैं. दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ में स्कूल बंद रखे गए हैं.
अगले 48 घंटे यानी मंगलवार और बुधवार को उत्तर भारत के कई राज्यों में लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है. हरियाणा में दो दिनों के लिए स्कूल बंद किए गए हैं तो राजस्थान में भी दो दिनों के लिए अलर्ट जारी किया गया है. अब दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार ने भी अडवाइजरी और अलर्ट जारी किया हैsee more... https://aajtak.intoday.in/story/imd-answer-pmo-never-advised-haryana-govt-for-closure-of-schools-on-weather-issue-1-1001317.html  

तूफान के अलर्ट पर पीएमओ ने मांगा जवाब

aajtak.in [Edited BY: अमित रायकवार]

नई दिल्ली, 07 मई 2018, अपडेटेड 15:32 IST
मौसम विभाग ने हरियाणा में आंधी-तूफान आने की झूठी भविष्यवाणी की तो पीएमओ ने उससे जवाब पूछ लिया..मौसम विभाग से पूछा गया है जब भविष्यवाणी पर भरोसा नहीं था तो आफत मचाने की क्या जरूरत थी |see more... https://aajtak.intoday.in/video/weather-department-stormy-weather-thunderstorms-north-india-1-1001373.html
    
 बिशेष बात -  मौसम विभाग का झूठ !
 1. केरल सरकार को मैंने पहले ही बता दिया था जबकि प्रेसरिलीज में सामान्य बारिश का पूर्वानुमान जताया गया था !यही बिहार में हुआ और दिल्ली तूफ़ान के बारे में पीएमओ से कहा कि हरियाणा सरकार को मैंने ऐसी कोई एडवाइजरी जारी नहीं की थी !
   मद्रास बाढ़ 

केदारनाथ जी की घटना 

2016 के अग्नि कांड 

वायु प्रदूषण 

  भूकंप

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