देश और समाज के प्रति समर्पित है आर .एस.एस.
एक राजनैतिक दल के मंथन शिविर में भाजपा को आर.एस.एस.की कठपुतली बताया गया और भाजपा का रिमोट आर.एस.एस. के हाथ में बताया गया आखिर क्यों ?और यदि ऐसा है भी तो संघ जैसे चरित्र प्रहरी संगठन के प्रति इतनी आशंकाएँ क्यों हैं आखिर क्या भूल हुई है उससे ! केवल यही न कि देश की गौरव रक्षा हेतु वो मर मिटने के लिए तैयार है वो स्वदेशियों को स्वाभिमानी बनाना चाहता है उसकी सोच में ही नहीं है कि कोई भारतीय किसी विदेशी के सामने गिड़गिड़ाकर राजनैतिक पद प्रतिष्ठा माँगे !
आर.एस.एस.एक स्वतंत्र संगठन है राष्ट्रभक्ति की
भावना से कार्य करने की उनकी अपनी शैली है।सत्ता सुख की ईच्छा छोड़कर देश के
लाखों लोग उनके साथ जुड़कर समाज सुधार के विभिन्न कार्यों में लगे रहते
हैं ।वे मंत्री मुन्त्री पद के लोभ में किसी अभारतीय का चरण चुम्बन नहीं
करना चाहते हैं तो इसमें उनका दोष क्या है?वो भारतीयता पर गर्व करते हैं इसमें किसी को बुरा लगे तो लगे । आखिर उन्हें क्यों कोसा जाता है ?
आर .एस.एस. की विचार धारा में स्वदेश के प्राचीन पवित्र संस्कारों के आधार पर जीना सिखाया जाता है। जिसमें न तो आधुनिक लव है और न ही लव मैरिज।ऐसे लव लबाते लोग किसी पवित्र संगठन में सड़ांध पैदा करें इससे अच्छा है कि ऐसे लोग दूर ही रहें और उन्हें उनकी शैली में काम करने दें।आखिर बलात्कार,
भ्रष्टाचार,महँगाई से लुटे पिटे बचे खुचे देश का पुनर्निमाण करने के
लिए जिन देश भक्त स्वयं सेवकों की जरूरत आगे चलकर देश को पड़ेगी उनके
निर्माण कार्य में ऐसे संगठन निरंतर प्रशंसनीय कार्य करते चले आ रहे हैं।अपने आकाओं को प्रसन्न करने एवं सत्ता पाने के लालच में आर .एस.एस. की आलोचना कितनी न्यायोचित है ?ये अकारण निंदा करने की परंपरा ठीक नहीं है ।
अब बात यहाँ संस्कारों की है लव मैरिज के लालच में लोग पहले लव करते हैं फिर लव मैरिज ।लव में असफल होने पर बलात्कार करते हैं उसके बाद हत्या करते हैं जो आज देश की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है!ऐसा
होने पर बलात्कारी नवजवानों को फाँसी की सजा की माँग उठती है ।यदि फाँसी
की सजा हो जाए तो फाँसी के फंदे पर लटकने वाला भारतीय नवजवान ही होगा।जिसकी ऊर्जा कभी देश हित में काम आ सकती थी उसे प्रेम प्यार के चक्कर में पड़कर मनोरंजन के लिए जिंदगी गँवानी पड़ी।
इस प्रेम प्यार के चक्कर में पड़कर मरने और मारने वाले दोनों युवक युवतियाँ भारतीय ही तो हैं इसलिए संस्कारों के अभाव में यह नुकसान देश को उठाना पड़ता है इसलिए यह चिंतन भी
होना चाहिए कि ऐसा क्या किया जाए जिससे भारतीय युवा वर्ग लव वब के चक्कर
में न पड़े और अपने प्राचीन संस्कारों पर न केवल गर्व करें अपितु उन्हें
अपने आचरण में भी उतारें । इससे जब लव मैरिज का लालच ही नहीं होगा तो लोग लव वब के चक्कर में पड़ेंगे ही क्यों ?और जब इस चक्कर में ही नहीं पड़ेंगे तो उन्हें प्रेम पंथ में असफल होने का दुःख ही क्यों होगा ?इसलिए वो बलात्कार जैसा जघन्य अपराध नहीं करेंगे तो
किसी की हत्या करने की आवश्यकता ही क्यों पड़ेगी ? जब बलात्कार ही नहीं
होगा तो नवजवानों को फाँसी की सजा नहीं होगी यदि फाँसी की
सजा न हुई तो बलात्कार से पीड़ित एवं बलात्कारी दोनों युवा सुसंस्कारित हो
कर देश के काम आ सकेंगे ये ही भारत के प्राचीन संस्कार हैं इन्हें हर
भारतीय प्रचारित करे तो इससे किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए, और आर.एस.एस. की विचार धारा में स्वदेश के
प्राचीन पवित्र संस्कारों के आधार पर ही यदि जीना सिखाया जाता है तो और
अच्छी बात है यदि इससे देश की एक बड़ी पार्टी भाजपा भी जुड़ी है तो यह सबसे
अच्छी बात है।इससे किसी को तकलीफ क्यों होनी चाहिए?हाँ जिन पार्टियों में
भारतीय संस्कारों की कमी के कारण उनके वरिष्ठ लोग ही लव और लव मैरिज में जब
रूचि ले रहे हों तो वो किसी और को कैसे रोक सकेंगे ?
जहाँ तक आर.एस.एस. की विचार धारा की कठपुतली जैसी
शब्दावली भाजपा के लिए यदि कोई प्रयोग करता है तो वह हीन भावना से ग्रस्त
ही माना जाएगा ।
आर.एस.एस. राष्ट्र वाद की बात
करता है भारतीयों के प्राचीन संस्कारों एवं प्राचीन विद्याओं की बात करता
है।अपने दुलारे भारतवर्ष को सबल सक्षम समृद्ध एवं संस्कारी बनाने का सपना
लिए ऋषि तुल्य हजारों विरक्त, तपस्वी, पवित्र, प्रचारकों ने अविवाहित रहकर
अपना जीवन देश लिए समर्पित कर रखा है।देश के कोने कोने के
गाँव गाँव में जन जन से मिलकर प्राचीन राष्ट्र भक्तों का बताया हुआ सन्देश
प्रचारित करते हैं।उनका सादा जीवन एवं सहज रहन सहन होता है।
इसलिए जो लोग आर.एस.एस.की कठपुतली कहकर भाजपा की निंदा करना चाहते हैं
उन्हें यह भी जानना चाहिए कि उनसे निंदा नहीं अपितु भाजपा के संस्कारों की
प्रशंसा हो रही है ।
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
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