केंद्र सरकार का समय कब तक ?
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान के तहत जन जागरण अभियान मैंने प्रारंभ
किया है। स्वस्थ समाज नामक ब्लाग पर लिखना मैंने प्रचार प्रसार के लिए
ही उचित समझा है।
लोकतंत्र में विपक्षी लोग अक्सर यह कहते देखे सुने जा
सकते हैं कि अब सरकार गिर जाएगी किंतु ऐसे अनुमान प्रायः सच नहीं होते हैं
किंतु अबकी
बार मनमोहन सिंह जी की सरकार के शपथग्रहण समय के अनुशार 19-8-2012 से
4-6-2013 तक का समय इस सरकार के लिए सबसे अधिक तनावपूर्ण होगा। अधिक क्या
कहा जाए सरकार को ऐसे गलत, गंदे,अप्रत्याशित और अत्यंत अपमान जनक आरोप इस
समय में झेलने पड़ेंगे । उचित होता कि इस समय से पूर्व ही सरकार गिर जाती तो
फिर भी जनता के बीच चुनाव में जाने लायक छवि बनी रहती। यह सौभाग्य भी उसे
अब नसीब होते नहीं दिखता है।इस बीच इतना अधिक तनाव का योग है कि मनमोहन सिंह जी की सरकार को किसी
दिशा से कोई शुभ समाचार नहीं मिलेगा अच्छा से अच्छा किया गया काम भी अपयश
देकर ही जाएगा।
4-6-2013 के बाद यह सरकार कभी भी गिर सकती है जिसे बचा पाना मुश्किल ही नहीं असंभव भी होगा।
यहॉं एक विशेष बात यह भी है कि इसी बीच किसी अन्य व्यक्ति को यदि दोबारा
किसी अच्छे समय में इसी सरकार का नेतृत्व सौंपा जाता है तो ये भविष्यवाणी
निष्प्रभावी मानी जानी चाहिए अर्थात ऐसा करके सरकार बचाई भी जा सकती है।
इसके बाद भारतीय राजनीति में लंबे समय से अत्यंत प्रभावी भूमिका निभाने
वाला कोई प्रभावी कुटुंब राजनैतिक परिदृश्य से अचानक ओझल हो जाएगा ऐसी ग्रह स्थिति है।
युवावर्ग की राजनैतिक आशा अभिलाषा को बड़ा झटका लग सकता है जो
अप्रत्याशित होगा। जिसमें अनंत संभावनाएँ कल्पनाएँ अचानक अवरुद्ध हो सकती
हैं।युवावर्ग की आस्था का किला केंद्र ढहता दिखता है।बहुत सॅंभल कर चलने की
जरूरत है।देश के विशेष लोकाकर्षक चर्चित एवं राजनैतिक दृष्टि से प्रभावी भूमिका में स्थापित महत्वपूर्ण युवा राजनेताओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। युवा राजनेताओं की सुरक्षा के लिए विशेषकर लोकसभा के आगामी चुनाव 2014 तक अत्यंत आवश्यक है।
इसीप्रकार भारतीय राजनैतिक परिदृश्य
में महिला महाशक्ति के स्वरूप में प्रतिष्ठित कोई बड़ी महिला राजनेता लोकसभा केआगामी चुनाव 2014 के बाद में राजनैतिक क्षेत्र से अचानक आतुर संन्यास हो सकता है।जिसके बाद पुनः राजनैतिक
सक्रियता कठिन सी दिखती है ।मानसिक अवसाद के कारण अपने को सार्वजनिक जीवन
से अलग कर लेना उनकी शारीरिक मानसिक मजबूरी हो सकती है। जिसका
महत्त्वपूर्ण कारण स्वजन वियोग तथा कर्कटब्रण जैसी कोई असाध्य एवं
अप्रत्याशित बीमारी भी हो सकती है । इस प्रकार ये सात वर्ष विशेष तनाव
कारक एवं असाध्य रोगप्रद होंगे।
संभव है यहॉं से भारतीय राजनैतिक क्षितिज में इतिहास अपने को एकबार फिर दोहराए और एक नए
राजनैतिक राजवंश का
उदय हो जो लंबे समय तक भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका का निर्वाह करता
रहे। संभव है कि भारतीय राजनीति में किसी नए नृसिंह भगवान का अवतार हो और वो संभालें देश वासियों के
जीवन की वाग्डोर।हो सकता है कि कुछ राजनैतिक दलों द्वारा पहले से की गई राजनैतिक तैयारियॉं एवं भविष्यवाणियॉं अनुमान आदि निरूपयोगी ही सिद्ध हों।
संभव है
कि ये चुनावी उत्साह अचानक अवसाद में बदल जाए और चाहे अनचाहे अचानक
प्राप्त परिस्थितियों का ही समस्त राजनैतिक दलों को स्वागत करना पड़े। प्राप्त परिस्थितियों के
अनुशार संभव है चुनाव परिणाम स्वरूप किसी नए नरसिंह राव जी जैसे अप्रचारित
महापुरुष का उदय हो।
यहॉं एक विशेष
बात यह भी ध्यान देने लायक है कि कुछ लोगों ने वर्तमान समय में सत्ता के
शिखर पर समासीन महापुरूष को न जाने क्या सोचकर धृतराष्ट
कहा होगा ?किंतु यह जिस समय कहा गया था ज्योतिष के अनुशार उस समय की गई तुलना अक्सर सटीक बैठती है। धृतराष्ट अकेला
तो कोई हो नहीं सकता उसके लिए एक महाभारत जैसी चुनावी युद्धलीला की कल्पना
करनी होगी। जिसके लिए एक गांधारी ढूँढ़नी होगी ढूँढ़ना होगा एक युवराज। जिसका
साथ देने वाले उसके सौ भाई भी हों। वहॉं युवराज के जीजा जयद्रथ ने
अभिमन्यु को पीछे से गदा मारकर युवराज का सबसे ज्यादा अपयश किया था।मामा
शकुनी जो युवराज को युद्ध की ओर ही धकेला करते थे वह भी ढ़ूढ़ने होंगे।संयोग
वश इस समय किसी न किसी रूप में इन महाभारती पात्रों की पहचान होती दिखती है,फिर
भी हम भगवान से यही प्रार्थना करेंगे कि चुनाव हो किंतु न हो यह चुनावी
महाभारत और न करो किसी को धृतराष्ट जैसे अप्रिय शब्द से संबोधित और सुरक्षित रहे इस देश का प्रचारित युवराज। कुल मिलाकर शब्द शक्ति सुधारते हुए हम सब करें शुभ शुभ बोलने का शुचि प्रयास और सभी के लिए दीर्घायुष्य की ईश्वर से पवित्र कामना, साथ ही एक दूसरे को सम्मान देने की भारतीय परंपरा का सम्मान राजनीति में भी किया जाना चाहिए ।
हम पहले अपना परिचय तथा ज्योतिष शास्त्र के विषय में बताना चाहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में बी.एच.यू. से हमारी शिक्षा पूर्ण हुई है। ज्योतिष
हमारी पी.एच.डी. की थीसिस से जुड़ा हुआ विषय होने के
कारण अक्सर लोग हमसे भी इस तरह के प्रश्न पूछते हैं कि सरकार कब तक
चलेगी?यद्यपि इन बातों का उत्तर ज्योतिष से इसलिए निकल पाना कठिन होता है
क्योंकि सबकी कुंडली तो अपने पास होती नहीं है।जो हैं भी उनका जन्म समय
कितना सच है उसकी क्या प्रामाणिकता? यदि यह सच मान भी लिया जाए तो भी एक
बड़ी कठिनाई की बात यह होती हैं कि प्रधानमंत्री बनने के लिए राजयोग की
आवश्यकता होती है।पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक के किसी भी प्रतिष्ठा
प्रदान करने वाले पद के विषय में यदि ज्योतिष से पता लगाना है तो एकमात्र
राजयोग ही देखना होता है इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होता है।अब पार्षद,विधायक,मेयर, मंत्री,मुख्यमंत्री,राज्यपाल, प्रधानमंत्री राष्ट्रपति आदि सभी प्रतिष्ठा प्रदान
करने वाले पद आई.ए.एस., आई.पी.एस.,पी.सी.एस.और भी जो भी अधिकार या सम्मान
प्रदान करने वाले पद हैं।सब एकमात्र राजयोग से ही देखने होते हैं इनके पदों
का अलग अलग वर्गीकरण करने का ज्योतिष शास्त्र में कोई निश्चित नियम नहीं
है।इसका एक और प्रमुख कारण है जिस समय में ज्योतिष की परिकल्पना की गई उस
समय पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत राजा चुनने का प्रचलन भी नहीं था।इसलिए
भी इसका वर्णन ज्योतिष शास्त्र में नहीं मिलता है।यह भी संभव है कि
ज्योतिष शास्त्र से लोकतांत्रिक आदि पदों की पहचान कर पाना ही संभव न
हो,क्योंकि अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को भी तो भयवश जनता चुनावों में
विजयी बना देती है। यह राज योग नहीं हुआ। इस तरह की बातों का भ्रम निवारण करने के लिए ही राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
यदि
किसी को
केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय
प्राचीन
विद्याओं सहित शास्त्र के किसी भी नीतिगत पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई
जानकारी लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक
भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।
यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप
शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या
धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक
अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं
स्वस्थ समाज बनाने के लिए
हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के
कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके
सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका तन , मन, धन आदि सभी
प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है।
सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान है।
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