भारतवर्ष में भाजपा और ज्योतिष
राजनाथ सिंह और राहुल गाँधी
राजनाथ सिंह और राहुल गाँधी का आपसी कार्यकाल एक दूसरे के लिए अत्यंत तनावों भरा रहेगा ।इनका आमने होना राजनैतिक चिंता की बात होगी ।बात बात में मुद्दे बनेंगे एक दूसरे पर अमर्यादित आरोप लगाए जाएँगे।असंयमित बात
व्यवहार होगा।छोटी से छोटी बात पर भी घनघोर घमासान हो जाएगा। आपसी बातचीत
से किसी भी बात का समाधान नहीं निकाला जा सकेगा।इस जोड़े के पारस्परिक बात
व्यवहार से लोक तंत्र अक्सर कलंकित होने के योग बन सकते हैं ।आपसी संयम बनाए रखना देश एवं समाज के लिए अच्छा होगा।ज्योतिष की दृष्टि से एक अक्षर से प्रारंम्भ नाम वाले दो व्यक्तिओं को आमने सामने खड़ा नहीं किया जाना चाहिए।
राजनाथ सिंह और राहुल गाँधी
कलराजमिश्र - कल्याण सिंह
ओबामा - ओसामा
अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवी
नरसिंहराव - नारायणदत्ततिवारी
परवेजमुशर्रफ - पाकिस्तान
लालकृष्णअडवानी - लालूप्रसाद
भाजपा - भारतवर्ष
उमाभारती - उत्तर प्रदेश
मनमोहन - ममता - मायावती
अमरसिंह - आजमखान - अखिलेशयादव
अमर सिंह - अनिलअंबानी - अमिताभबच्चन
नितीशकुमार-नितिनगडकरी-नरेंद्रमोदी
प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीमत्रिवेदी अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवी
दिल्ली भाजपा
इसी प्रकार से दिल्ली भाजपा के चार विजय
विजयेंद्र-विजयजोली
विजयकुमारमल्होत्रा- विजयगोयल
जब किन्हीं
दो या दो से अधिक लोगों का नाम यदि एक अक्षर से ही प्रारंभ होता है तो ऐसे
सभी लोगों के आपसी संबंध शुरू में तो अत्यंत मधुर होते हैं बाद में बहुत
अधिक खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनकी पद-प्रसिद्धि-प्रतिष्ठा
-पत्नी-प्रेमिका आदि के विषय में पसंद एक जैसी होती है। इसलिए कोई सामान्य
मतभेद भी कब कहॉं कितना बड़ा या कभी न सुधरने वाला स्वरूप धारण कर ले या
शत्रुता में बदल जाए कहा नहीं जा सकता है।
जैसेः-राम-रावण, कृष्ण-कंस, आदि। इसी प्रकार और भी उदाहरण हैं।
ज्योतिष की दृष्टि से भारतवर्ष में भाजपा की स्थिति बहुत ठीक नहीं है इसीलिए उसे राजग का गठन करना पड़ा जबकि भाजपा
से कम सदस्य संख्या वाले अन्य दलों के लोग पहले भी प्रधानमंत्री बन चुके
हैं ।जिनका अटल जी जैसा विराट व्यक्तित्व भी नहीं था फिर भी सरकार बनाने में सबसे
अधिक कठिनाई भाजपा को ही हुई थी आखिर अन्य कारण भी रहे होंगे किन्तु ज्योतिष की यह एक विधा भी महत्त्व पूर्ण कारण कही जा सकती है ।
आर. यस. यस. के समर्पित पवित्र प्रचारकों
के परिश्रम एवं देश भक्ति भावना से सुसिंचित भाजपा एवं उसका अपना अत्यंत
सक्षम तथा कर्मठ नेतृत्व है प्रतिपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है कई प्रदेशों
में उसकी न केवल यशस्वी सरकारें हैं अपितु अनेक वर्षों से सफलता पूर्वक संचालित हो रहीं हैं किन्तु क्या कारण है कि केंद्र में आकर भाजपा की धार कुंद हो जाती है?क्या अन्य पार्टियों के नेता ज्यादा समझदार और ईमानदार हैं ?जो भी हो यह चिंतन का विषय जरूर है ।
इसी प्रकार दिल्ली की कांग्रेस सरकार है वो अपनी अच्छाई से जीतती है या विपक्षी भाजपा का आपसी असामंजस्य उसकी जीत का कारण बनता है कहना कठिन है यह भी चिंतन का विषय है ।
दिल्ली भाजपा के चार विजय और चारों को दिल्ली में एक साथ ही काम करना होता है इन चारों लोगों ने अपने एवं अपनी पार्टी का यश बढ़ाया भी है फिर भी दिल्ली भाजपा की धार दिनों दिन कुंद होती दिखती है।उस समय तो केवल आलू
प्याज की महँगाई पर भाजपा सरकार की दिल्ली से बिदाई हुई थी ।आज तो सब कुछ
महँगा है सत्ता धारी पार्टी के केंद्र से लेकर प्रदेश तक घोटालों के आरोप
हैं फिरभी
भाजपा
के लोग सरकार के विरुद्ध कोई सशक्त आन्दोलन नहीं खड़ा कर सके हैं ।आज की
तारीख में सरकार यदि जाती भी है तो वो उसका अपना अपयश हो सकता है
कम से कम भाजपा की सामर्थ्य बढ़ रही है इस कारण काँग्रेस सरकार जायगी अभी तक तो ऐसा कहना उचित नहीं होगा ।यह भी नहीं है कि भाजपा के लोग ही अयोग्य हों आखिर इन्हीं शूरमाओं ने दिल्ली नगर निगम में जीत हासिल की है क्योंकि वहाँ इन चारों विजयों में को प्रतिस्पर्द्धा नहीं थी ।खैर जो भी हो इस दृष्टि से भी चिंतन अवश्य होना चाहिए,अन्यथा
आगामी चुनावों में भाजपा के राजनैतिक भविष्य के लिए चिंता प्रद हैं।इन
चारों में आपसी तालमेल बेहतर बनाने के लिए किसी मजबूत व्यक्तित्व की
व्यवस्था समय रहते कर लेना उत्तम होगा ।
विजयेंद्रजी -विजयजोलीजी
विजयकुमारमल्होत्राजी - विजयगोयलजी
उत्तर प्रदेश
इसीप्रकार उत्तर प्रदेश के विगत चुनावों में भाजपा ने अत्यंत प्रसिद्ध, परिश्रमी ,धार्मिक ,अद्भुत वक्ता सुश्री उमाभारती जी के नेतृत्व में चुनाव करा दिए उसे क्या पता था कि उत्तरप्रदेश और उमाभारती में
नाड़ी दोष है।यदि उमा जी प्रचार करतीं और नेतृत्व किसी और का होता तो भाजपा
का प्रदर्शन इससे अच्छा होने की संभावना मानी जानी चाहिए।
इसलिए ज्योतिष शास्त्र के इन सिद्धांतों समेत अन्य समस्त चुनावी विजयदायिनी शास्त्रीय विचारधारा का परिपालन अवश्य किया जाना चाहिए।इसका सकारात्मक असर अवश्य पड़ेगा ।
इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में कहा जा सकता है कि इन चारों विजयों का दिल्ली भाजपा में एक साथ काम करना भाजपा की दिल्ली विजय पर कभी भी भारी पड़ सकता है ।इसलिए इन्हें बहुत सावधानी एवं सहनशीलता पूर्वक काम करनाही इनके एवं पार्टीके लिए विशेष कल्याणकारी रहेगा ।
इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में कहा जा सकता है कि इन चारों विजयों का दिल्ली भाजपा में एक साथ काम करना भाजपा की दिल्ली विजय पर कभी भी भारी पड़ सकता है ।इसलिए इन्हें बहुत सावधानी एवं सहनशीलता पूर्वक काम करनाही इनके एवं पार्टीके लिए विशेष कल्याणकारी रहेगा ।
एक विशेष बात और यह है कि दिल्ली
भाजपा में इन चार विजयों के अलावा भी जो प्रमुख नेतागण हैं उन्हें विशेष
सामंजस्य बनाने का प्रयास करते रहना श्रेयस्कर रहेगा।इतना सब होने पर
भी यदि थोड़ी भी आपसी सहमति में कमी आई तो इन चारों लोगों को अपनी अपनी राजनैतिक
विकास यात्रा में ब्रेक लेनी पड़ सकती है। ।
गुजरात
केशुभाई पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात परिवर्तन पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनावों में या गुजरात की सम्पूर्ण राजनीति में गुजरात परिवर्तन पार्टी के तत्वावधान में जो कमर कसी है वो उनके लिए किसी भी प्रकार से गुजरात में लाभप्रद नहीं रहेगी।प्रदेशों या देशों के नामों वाली पार्टियाँ कभी भी सफलता प्रद नहीं रहती हैं ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिखता है ।इस लिए गुजरात परिवर्तन पार्टी का गुजरात में कोई भविष्य नहीं है और नरेंद्र मोदी सभी दलों पर अपनी बढ़त बनाने में सफल होते दिखते हैं ।
अन्ना हजारे
इसीप्रकार अन्ना हजारे के आंदोलन के तीन प्रमुख ज्वाइंट थे अन्ना हजारे ,
अरविंदकेजरीवाल एवं अग्निवेष जिन्हें एक दूसरे से तोड़कर ये आंदोलन ध्वस्त
किया जा सकता था। इसमें अग्निवेष कमजोर पड़े और हट गए। दूसरी ओर जनलोकपाल के
विषय में लोक सभा में जो बिल पास हो गया वही राज्य सभा में क्यों नहीं पास
हो सका इसका एक कारण नाम का प्रभाव भी हो सकता है। सरकार की ओर से
अभिषेकमनुसिंघवी थे तो विपक्ष के नेता अरूण जेटली जी थे। इस प्रकार ये सभी
नाम अ से ही प्रारंभ होने वाले थे। इसलिए अभिषेकमनुसिंघवी की किसी भी बात
पर अरूण जेटली का मत एक होना ही नहीं था।अतः राज्य सभा में बात बननी ही
नहीं थी। दूसरी ओर अभिषेकमनुसिंघवी और अरूण जेटली का कोई भी निर्णय अन्ना
हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल को सुख पहुंचाने वाला नहीं हो सकता था। अन्ना
हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल का महिमामंडन अग्निवेष कैसे सह सकते थे?अब अन्ना
हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल कब तक मिलकर चल पाएँगे?कहना कठिन
है।असीमत्रिवेदी भी अन्नाहजारे के गॉंधीवादी बिचारधारा के विपरीत आक्रामक
रूख बनाकर ही आगे बढ़े। आखिर और लोग भी तो थे। अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले
लोग ही अन्नाहजारे से अलग क्यों दिखना चाहते थे ? ये अ अक्षर वाले लोग
ही अन्नाहजारे के इस आंदोलन की सबसे कमजोर कड़ी हैं।
अमर सिंह
अन्नाहजारे की
तरह ही अमर सिंह जी भी अ अक्षर वाले लोगों से ही व्यथित देखे जा सकते हैं।
अमरसिंह जी की पटरी पहले मुलायम सिंह जी के साथ तो खाती रही तब केवल आजमखान
साहब से ही समस्या होनी चाहिए थी किंतु अखिलेश यादव का प्रभाव बढ़ते ही
अमरसिंह जी को पार्टी से बाहर जाना पड़ा। ऐसी परिस्थिति में अब अखिलेश के
साथ आजमखान कब तक चल पाएँगे? कहा नहीं जा सकता। पूर्ण बहुमत से बनी उत्तर
प्रदेश में सपान की अखिलेश सरकार के सबसे कमजोर ज्वाइंट आजमखान सिद्ध हो सकते हैं।
चूँकि अमरसिंह जी के मित्रों की संख्या में अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही अधिक हैं इसलिए इन्हीं लोगों से दूरियॉं बनती चली गईं। जैसेः- आजमखान अमिताभबच्चन अनिलअंबानी अभिषेक बच्चन आदि।
राहुलगॉधी - रावर्टवाड्रा - राहुल के पिता श्री राजीव जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम रा अक्षर से था इसीप्रकार रावर्टवाड्रा और उनके पिता श्री राजेंद्र जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम भी रा अक्षर से ही था। दोनों को पिता के साथ अधिक समय तक रहने का सौभाग्य नहीं मिल सका ।
अब राहुलगॉधी के राजनैतिक उन्नत भविष्य के लिए रावर्टवाड्रा का सहयोग सुखद नहीं दिख रहा है क्योंकि कि यहॉं भी दोनों का नाम रा अक्षर से ही है।
चूँकि अमरसिंह जी के मित्रों की संख्या में अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही अधिक हैं इसलिए इन्हीं लोगों से दूरियॉं बनती चली गईं। जैसेः- आजमखान अमिताभबच्चन अनिलअंबानी अभिषेक बच्चन आदि।
राहुलगॉधी - रावर्टवाड्रा - राहुल के पिता श्री राजीव जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम रा अक्षर से था इसीप्रकार रावर्टवाड्रा और उनके पिता श्री राजेंद्र जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम भी रा अक्षर से ही था। दोनों को पिता के साथ अधिक समय तक रहने का सौभाग्य नहीं मिल सका ।
अब राहुलगॉधी के राजनैतिक उन्नत भविष्य के लिए रावर्टवाड्रा का सहयोग सुखद नहीं दिख रहा है क्योंकि कि यहॉं भी दोनों का नाम रा अक्षर से ही है।
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
यदि
किसी को
केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय
प्राचीन
विद्याओं सहित शास्त्र के किसी भी नीतिगत पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई
जानकारी लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक
भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।
यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप
शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या
धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक
अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं
स्वस्थ समाज बनाने के लिए
हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के
कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके
सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका तन , मन, धन आदि सभी
प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है।
सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान है।
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