Monday, June 26, 2017

नेता बनता ही वही है जिसे घर वाले कामचोर समझते हैं जिसने अपने घर में काम न किया हो वो मंत्री बनकर वो काम करने लगेगा क्या ?

मंत्री हो और घमंडी न हो, नेता हो और काम करे ऐसा कभी हो सकता है क्या ?मंत्री बदलते रहने से ये बात ढकी रहती है बहाना बनाने का मौका मिलता रहता है !
    मंत्री सांसद विधायक आदि बनने के बाद घमंडी सभी हो जाते हैं ! काम करना न आता है और न ही करना चाहते हैं संवेदनाएँ मर सी जाती हैं !मंत्री बदल बदल कर सरकार अपना मुख साफ दिखाने की कोशिश किया करती है किंतु जनप्रतिनिधियों के आचरणों के दाग धब्बे तो आ ही जाते हैं |काश !संयमशील होते अपने भी देशभक्त नेता लोग !!!
  विधायकों सांसदों मंत्रियों आदि को जब होने लगता है सत्ता का नशा !तब ऐसे स्वयंभू भगवानों को इंसान बना देती है जनता !इसलिए सत्ता की ऐसी नशाखोरी से बचने में ही हर किसी की भलाई है !
    राजनेता हों या राजनैतिक दल ये स्वयं में न अच्छे होते हैं न बुरे !सत्ता पाते ही पागल हो जाते हैं बस !इनकी सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि जिसे सत्ता मिलती है वो घमंडी हो जाता है बिना सत्ता के सब सुंदर शालीन मनुष्यता पसंद गाँवों गरीबों किसानों मजदूरों के हमदर्द दिखते हैं !
     नेता जब सरकार में रहते हैं वो स्वार्थी घमंडी आदि दुर्गुणों से भरपूर हो जाते हैं और सत्ता जाते ही फिर इंसान के इंसान ! भूल जाता है देवता बनना !तब याद आने लगते हैं जनता कार्यकर्ता गाँव गरीब किसान आदि सब !इसलिए दोष राजनेताओं का नहीं अपितु दोष तो सत्ता का होता है इसीलिए सत्ता छीनकर अपने को भगवान् समझने वाले नेताओं को इंसान बना देना जानती है जनता !
         विरोधी पार्टियां जब सरकार  थीं तब उनसे बड़ी शिकायत थी उनके नेताओं की मैं निंदा किया करता था किंतु जब अपनी पार्टी सत्ता में आ गई तो समझ में आ गया कि वो नेता सही और मैं ही गलत था !मैं उन बेचारों को समझ नहीं पाया कि इतने मासूम होते हैं वे बेचारे !सत्ता का नशा होता ही ऐसा है कि बड़े बड़े ज्ञानियों गुणियों को भी अंधा बना देता है | सच्चाई यही है कि सत्ता में पहुँचने के बाद प्रायः नेता लोग होश में नहीं रह जाते !जो नेता पहले कभी आपके साथ  बात बिना बात हँसते हाथ मिलाते गले मिलते रहे थे वे सत्ता में आने के बाद उनसे वैसी उम्मींद नहीं की जानी चाहिए ! 
      सत्ता में सम्मिलित नेता कब किसका किस बात पर कितना अपमान कर दें पता ही नहीं चलता !सत्ता में रहकर  उठने बैठने बोलने मिलने जुलने का शिष्टाचार तो बिल्कुल समाप्त हो ही जाता है! अपने दरवाजे मिलने आए हर व्यक्ति को बिना कुछ दिए भी भिखारी समझने लगते हैं सत्ता में आ जाने वाले  सत्तामूर्च्छित नेतालोग ! 
    कोमल भावनाओं वाले अधिक संवेदन शील भावुक  लोगों को नेताओं या पूर्व परिचित नेताओं के पास कभी मिलने नहीं जाना चाहिए !जरूरी जाना पड़े भी तो अपमान और अप्रिय व्यवहार उपेक्षा आदि सहने के लिए तैयार होकर जाना चाहिए !
     सत्तापक्ष के सरकारों में सम्मिलित नेताओं के अप्रिय एवं उपेक्षा पूर्ण व्यवहारों से आहत कार्यकर्ता लोगों की समस्याओं के समाधानों एवं उनकी शिकायतों के निवारण के लिए अक्सर सत्तासीन नेताओं की कुंडी खटखटाना मैं अपना कर्तव्य समझता रहा हूँ अभी भी कुछ ऐसा ही करना पड़ा !कुछ कार्यकर्ताओं की आलोचना से आहत होकर उनकी बात ठीक जगह पहुँचाने के उद्देश्य से मैंने सरकार से संबंधित कुछ जगहों पर और कुछ नेताओं से संपर्क करने के प्रयास किए किंतु परिणाम वास्तव में दुखद थे !सरकारें लोकतान्त्रिक पद्धति से काम पैतृक व्यवसाय की तरह अधिक संचालित की जा रही हैं सेवा भाव तो खोजने पर भी नहीं मिलता शक और शंका की दृष्टि से हर किसी को देखा जा रहा है न जाने क्यों ?ऐसी स्थिति से मैं स्वयं आहत हुआ कि कार्यकर्ता को जो संगठन अपना नहीं समझते कार्यकर्ता ही उन्हें अपना क्यों समझे और कहाँ तक अपनी सेवा भावना की परीक्षा देता रहे !कैसी दुविधा है सच्चे कार्यकर्त्ता के सामने !आलोचना की नहीं जाती उपेक्षा सही नहीं जाती !ऐसा असमंजस !!
    मैं सनातन हिंदू विचार धारा के संगठन के विविध आयामों से सन  1986 से जुड़ा चला आ रहा हूँ !कभी किसी दायित्व की परवाह नहीं की सेवाकार्य समझ कर करते चले गए विचार धारा कभी नहीं बदली !धार्मिक संगठनों के सभी सामाजिक कार्यकर्ता लोग धार्मिक नैतिक आदि मधुर बात व्यवहार करने के लिए जाने जाते रहे हैं एक परिवार की तरह सबका सबसे कितना अपनापन हुआ करता था एक दूसरे के सुख दुःख में लोग बड़े छोटे का भाव भूलकर खड़े हो जाया करते थे कितना उत्साह बर्द्धन किया करते थे वे ! श्रेष्ठ संगठन के लिए अपनी क्षमता के अनुशार कोई दायित्व लिए बिना समर्पित रहा हूँ अयोध्या बनारस कानपुर से लेकर दिल्ली तक के जितने भी लोग मुझे जानते हैं वो इसी रूप में जानते हैं ! किसी को संगठन परिवार के प्रति मेरे समर्पण पर संशय नहीं है यहाँ तक कि शोशल साइटों पर मेरे साथ जुड़े हजारों लोग भी मुझे इसी रूप में मानते हैं !
     मेरी तीन फेस बुक और 9 ब्लॉगों पर कुछ हजार आर्टिकल विभिन्न विचारों पर प्रकाशित हैं जो  संगठनात्मक विचारधारा एवं समाज और संगठन की भलाई के लिए सामाजिक सुधार एवं भ्रष्टाचार समाप्ति के लिए विपक्षियों को तर्कयुक्त जवाब आदि से संबंधित हैं | इस प्रकार से संगठन और पार्टी के लिए जो कुछ अच्छा से अच्छा कर सकते थे वो करने का प्रयास प्रभावी रूप से किया है | संगठन के कार्यों में भी सहभागी रहता रहा हूँ | यहाँ तक कि 2013 चुनावों के लिए एक एक दिन में 14 -14 घंटे लगातार सोशल साइटों पर समर्पित भावना से संगठन और पार्टी के लिए काम किया है | एक क्रम 2 वर्ष लगतार चलता रहा जो अभी कुछ महीने पहले तक चला अब भी जारी है किन्तु निराशा होने के कारण अब  उतना मन नहीं लगता है  !
      सरकार बने पिछले तीन वर्ष हो गए सरकार के अनेकों मंत्रालयों सांसदों एवं पार्टी पदाधिकारियों के पास मिलने का समय स्वयं मैं माँग चुका हूँ सैकड़ों पत्र डाल चुका हूँ न समय मिला न पत्रों का उत्तर !यहाँ तक कि निजी तौर पर PM साहब और उनके PA श्री ओम प्रकाश जी के भी संपर्क में कभी मैं रह चुका हूँ तब माननीय मोदी जी मेरी मदद करने के लिए कभी फोन भी कर दिया करते थे किंतु जब से सरकार बनी तब से वे भी... !
    सरकार बनने के बाद ऊपर से नीचे तक सबको न जाने क्या हुआ जा रहा है कि वो विचारधारा वो सहजता वो सत्यवादिता वो सेवाभावना वो जिम्मेदारी के भाव न जाने क्यों छूटते जा रहे हैं |उन्हें  लगता है जैसे केवल उनके अपने और उनके अपनों  के लिए सरकार बनवाई गई थी बाकी सबको आश्वासन लेटर आदि देकर पीछा छुड़ाने में लगे हैं विधायक संसद मंत्री आदि लोग | 
     पार्टी परिवार में अपनों के साथ इतना उदासीन वर्ताव किया जा रहा है ऊपर से नीचे तक ! पार्टी पदाधिकारी हों या सरकार में सम्मिलित लोग !इनके स्वभाव पहले ऐसे तो नहीं थे !माना कि व्यस्तता बढ़ी है किंतु इसका मतलब ये भी तो नहीं है कि सेवा भावना से जुड़े पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं की बात सुनने के लिए कोई जिम्मेदारी और  जवाबदेही  ही न समझी जाए ! समाज के जो लोग हमारे संपर्क में रहे हैं आज वो हमारे पास काम के लिए संपर्क करते हैं मैं उनके नैतिक काम भी करवा पाने की स्थिति में नहीं हूँ | 
     पार्टी की उदासीनता के शिकार ऐसे बहुत लोग होंगे !स्वयं मुझे अपने जरूरी कामों के लिए कई बार घूस माँगने वाले अफसरों का सामना पड़ता  है ! ऐसी परिस्थिति में मैं अपनी पार्टी और सरकार के अच्छे कामों का प्रचार प्रसार कैसे करूँ और सरकार के किन गुणों की प्रशंसा करूँ ?कहाँ तक सूखा सूखा फीलगुड करूँ !
     इतना ही नहीं वैदिकविज्ञान के द्वारा मनोरोग चिकित्सा मौसम और भूकंप जैसे रहस्यमय विषयों पर मैंने सार्थक शोधकार्य किया है उससे इन विषयों में चल रहे शोध कार्यों को बड़ी मदद मिल सकती हैं किंतु इन विभागों से जुड़े लोग मेरी बात इसलिए सुनने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि वो वैदिक विज्ञान को विज्ञान मानने को तैयार ही नहीं हैं |मुझे अपने जरूरी शोधकार्य  को और आगे बढ़ाने के लिए सरकार से मदद चाहिए किंतु मदद तो दूर सरकार या पार्टी में कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं | 
   पहले हमारी विचारधारा से संबंधित सभी लोग जिन बातों विचारों व्यवहारों के लिए सत्तारूढ़ अन्य दलों और उनके नेताओं की आलोचना किया करते थे उन्हें कहा करते थे कि वे सत्ता मूर्छित लोग हैं !किंतु आज... !
     कई बार ऐसा लगता है कि क्या ये दोष उस समय उन पार्टियों और नेताओं का नहीं था जिन्हें हम सभी लोग गलत समझकर जिनकी निंदा करते करते जिन्हें सत्ता से बाहर धकेला गया !वस्तुतः ये दोष सत्ता देवी का ही है जो भी सत्ता में आएगा वो ऐसा हो ही जाता है !किंतु अटल जी की सरकार विभन्न मंत्रियों और सांसदों के यहाँ मैं भी मिलने गया किंतु सबके यहाँ केवल सहजता दिखती थी अपितु होती भी थी बातें सुनी भी जाती थीं मानी भी जाती थीं !
       यही PMO था !अटल जी से मिलने के लिए मैंने समय माँगा था तो बाकायदा हमारे नाम पत्र भेजकर  हमें यह  कहकर मना कर दिया था कि अभी वे व्यस्त हैं किंतु  उसी दिन शाम 8 बजे मैंने पुनः फ़ोन किया और कल का ही  समय लेने  की जिद कर दी ये  उनके लिए कितना कठिन रहा होगा कि रात 12 बजे PMO से फोन आया कि आप कल 13. 40 पर पहुँच जाओ !मैं गया और वे मिले ! 
      तब तो माननीय जोशी जी ,श्री अडवाणी जी , श्रद्धेय रज्जू भैया जी ,माननीय अशोक सिंघल जी के पास भी पहुँच कर अपनी बात आसानी से कही जा सकती थी अब तो पूरी सरकार और संगठन बिल्कुल पैक है आखिर क्यों ? सामान्य कार्यकर्ता को भी समझाइए सबसे अधिक उसी को जूझना पड़ता है जनता से !
     अब तो न किसी की कोई सुनेगा न उनके समाधान के विषय में कुछ बोलेगा और न कुछ देखेगा !केवल सरकार दौड़े जा रही है क्यों ?आखिर क्या किया जाए ऐसी मैराथनों  का !सरकार है तब उसकी उपेक्षा सरकार न हो तब तो उपेक्षा होती ही है ! 
     सरकार बनाने के लिए पार्टी के द्वारा चलाए जा रहे प्रयासों में एक एक कार्यकर्ता अपनी संपूर्ण सामर्थ्य से समर्पित रहा है फिर भी यदि सरकार उसके लिए नहीं है तो वो सरकार के लिए क्यों होगा !ऐसे भोजन बैठक और विश्राम के नाम पर बहुमूल्य स्वाँसें ब्यर्थ में क्यों नष्ट करेगा !
       इसलिए जिम्मेदार लोगों पार्टी और सरकार के जिम्मेदार शीर्ष लोगों से निवेदन है कि यदि संभव हो तो कार्यकर्ता की ओर भी देंखें उसे भी  समय दें कुछ उसके भी काम करें क्योंकि कार्यकर्ता उचित अनुचित बिचार किए बिना पार्टी और सरकार के साथ खड़ा होता है | फिर भी आप कार्यकर्ता का अनुचित काम मत कीजिए उचित तो कीजिए अन्यथा जिम्मेदारी से उत्तर तो दीजिए कारण और निवारण के उपाय तो बताइए !कोई  बताइए जहाँ कार्यकर्त्ता भी पहुँच कर अपनी बात रख सके और उसे आम जनता से कुछ तो अधिक अपनापन मिले !
    विशेष -मेरा उद्देश्य सरकार की आलोचना कतई नहीं हैं किंतु आम आदमी हो या कार्यकर्त्ता उसकी बात उठाना भी अपना धर्म है !यदि सरकार कोई समाधान निकालकर कोई ऐसा मंच संस्था या फोन नंबर उपलब्ध कराती है जो जिम्मेदारी पूर्वक आम कार्यकर्ता के साथ वर्ताव कर सके और संपूर्ण रूप से नैतिक कार्यों में कार्यकर्ता की मदद कर सके और अनैतिक कार्यों के लिए साफ साफ मना कर सके तो मुझे ख़ुशी होगी और मैं सम्पूर्ण निष्ठा के साथ उस संपर्क सूत्र का प्रचार प्रसार करके सरकार की छवि को अधिक से अधिक स्वच्छ और बेदाग़ बनाने के लिए प्रचार प्रसार करूँगा !
     

संस्थापकः-  राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान seemore....http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/06/blog-post_3979.html
हमारी शिक्षा -
व्याकरणाचार्य (एम.ए.)संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
ज्योतिषाचार्य (एम.ए.ज्योतिष)संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
एम.ए. हिन्दी कानपुर विश्व विद्यालय
पी.जी.डिप्लोमा पत्रकारिता ,उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी
पी.एच.डी. हिन्दी (ज्योतिष)बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बी. एच. यू. वाराणसी(काशी हिंदू विश्वविद्यालय) 
विशेष योग्यताः- वेद, पुराण, ज्योतिष, रामायणों तथा समस्त प्राचीन वाङ्मय एवं राष्ट्र भावना से जुड़े साहित्य का लेखन और स्वाध्याय
हमारेलिखी हुई पुस्तकें-
प्रकाशितः- पाठ्यक्रम की अत्यंत प्रचारित प्रारंभिक कक्षाओं की हिन्दी की किताबें
   कारगिल विजय (काव्य )
श्री राम रावण संवाद (काव्य )
श्री दुर्गा सप्तशती (काव्य अनुवाद )
श्री नवदुर्गा पाठ (काव्य)
श्री नव दुर्गा स्तुति (काव्य )
श्री परशुराम (एक झलक)
श्री राम एवं रामसेतु
(21 लाख 15 हजार 108 वर्षप्राचीन)
कुछ मैग्जीनों में संपादन, सह-संपादन, स्तंभ लेखन आदि।
अप्रकाशित साहित्यः- श्री शिव सुंदरकांड, श्री हनुमत सुंदरकांड,
संक्षिप्त निर्णय सिंधु, ज्योतिषायुर्वेद, श्री रुद्राष्टाध्यायी, वीरांगना द्रोपदी, दुलारी राधिका, ऊधौ-गोपी संवाद, श्रीमद्भगवद् गीताकाव्यानुवाद
रुचिकर विषयः- प्रवचन, भाषण, मंचसंचालन, काव्य लेखन, काव्य पाठ एवं शास्त्रीय विषयों पर नित्य नवीन खोजपूर्ण लेखन तथा राष्ट्रीय भावना के विभिन्न संगठनों से जुड़कर कार्य करना।
जन्मतिथिः 9.10.1965
जन्म स्थानः- पैतृक गाँव - इंदलपुर, पो.- संभलपुर, जि.- कानपुर,उत्तर प्रदेश
तत्कालीन पता :
के -71, छाछी बिल्डिंग चौक,
कृष्णा नगर, दिल्ली-110051
दूरभाष : 01122002689, 01122096548,
मो. 9811226973, 9968657732
ई - मेल : vajpayeesn @gmail.com 
आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एवं श्री श्याम बिहारी मिश्र जी के साथ 
आचार्य डॉ.शेष नारायण  वाजपेयी

श्रद्धेय श्री रज्जू भइया जी के साथ आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 


आदरणीय  डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी के साथ 
आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी                श्रीमान कुशाभाऊ ठाकरे जी के साथ आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
श्रीमती सुषमा स्वराज जी के साथ आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
        श्री मदनलाल खुराना जी के साथ आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी