Sunday, October 1, 2017

बाबा लोग जेल जाने से कुछ वर्ष पहले से ज्योतिष आदि शास्त्रों की निंदा करने लगते हैं !!

  ज्योतिष आदि शास्त्रों की निंदा पहले बाबा 'कामकरीम' किया करते थे इसलिए उन्हें दिव्य 'कारागार'पद प्राप्त हुआ अब तो उसी लालच में अब ज्योतिष शास्त्र की निंदा करने लगे हैं 'भोगगुरु' बाबा'कामदेव' भी  तो क्या इनकी भी....... ?ईश्वर !यादव जी को सद्बुद्धि दे !
  बाबा जैसे जैसे भ्रष्ट होते जाते हैं वैसे वैसे शास्त्रों की धर्म कर्म की नियम संयम की साधू संतों की बुराइयाँ करने लग जाते हैं क्योंकि अपने कुकर्मों को सही ठहराने लिए ऐसी बकवास करके वो अपने चेला चेलियों की आँखों में धूल झोंकते रहते हैं !ऐसे ढोंग पाखंड करने वाले बाबा हमेंशा कहते सुने जाते हैं कि हम ढोंग पाखंड नहीं मानते !ये इनकी मुख्य पहचान है 
   ज्योतिष पढ़नी पड़ती है इसलिए मूर्खों  को ज्योतिष समझ में नहीं आती तो ऐसे पाखंडी बाबा कहने लगते  हैं कि हम ज्योतिष नहीं मानते !
    ऐसे बेवकूफों को ये भी पता नहीं होता कि छै शास्त्र होते हैं जो वेदों के अंग हैं उन्हीं में एक शास्त्र है ज्योतिष !जिसे वेदों का नेत्र बताया गया है किन्तु पढ़े लिए हों तब न पता हो कि ये वेद शास्त्र क्या होता है !गाय भैंस  चराते चराते उछल कूद में निपुण लोग अपने को योगी कहने लगे और अपने बड़े पेटों से तंग शहरी लोग अपना वजन घटाने के लिए आज की तारीख़ में किसी को भी योगी मैंनने को तैयार हैं उन्हें जीरो साइज चाहिए जो ! 
  वर्तमान समय में राजनैतिक दलों में होड़ सी लगी रहती है कि हम तुम्हारे बाबा पकड़ेंगे तुम हमारे पकड़ना !और जब तक ये पाखंडी पकड़ कर जेलों में बेंडे नहीं जाते तब तक बकवास करते रहते हैं और लोग इनकी मूर्खता को साधू संत मानकर सुना करते हैं ! वो ये नहीं समझते कि पैसे वाले लोग बिगड़ने लग जाते हैं तो पैसे वाले बाबा सुधरे रहेंगे क्या ? फिर भी जो स्त्री पुरुष ऐसे पाखंडी बाबाओं से चिपके रहते हैं वे भोगें उनके द्वारा किए जाने वाले बलात्कार !ऐसे लोग अपने चेला चेलियों के परिवारों को ही चुनते हैं !
      ऐसे कामियों को साधू संत के रूप में उनके बलात्कार प्रिय स्त्री पुरुष  ही स्थापित करते हैं कोई उनकी थोड़ी भी आलोचना कर दे तो मरने मारने को तैयार हो जाते हैं सच्चाई सुनना नहीं चाहते या यूँ कह लिया जाए कि जब तक उस ऐय्यास जीवन में आनंद आता रहता है तब तक  साथ रहते हैं बाद में बाबा को बलात्कारी सिद्ध करके खुद को अलग कर लेते हैं  बाबा की कच्ची पक्की सारी  कहानी उन्हें पता ही होती है इसलिए जब वो पोल खोलना शुरू करते हैं तो बाबा बेचारे अपने बचाव में कुछ कहने लायक रह ही नहीं जाते हैं !तब बाबाओं को लगता होगा कि जिनकी ऐय्यासी में मदद करने के लिए मैं सारी सुख सुविधाएँ उपलब्ध करवाता रहा सारे तेल साबुन शैम्पू की बकवास परोसता रहा आज वही मुझे धोखा दे गए !     
    समाज को ये बात अच्छी प्रकार से पता है कि चरित्रवान साधू संत न धन इकठ्ठा करते हैं और न व्यापार आदि प्रपंच करते हैं उन्हें कच्ची पक्की घानी के शुद्ध सरसों के तेल से क्या लेना देना !वो विशुद्ध  चरित्रवान लोग होते हैं वो अच्छे काम करने के लिए समाज को प्रेरित करते हैं ताकि सारा समाज सुधरे !खुद करने भी लगें तो इन प्रपंचों की आड़ में उन्हें अपने गुप्त बीबी बच्चों को छिपाने में मदद भले मिल जाए बाक़ी समाज का कितना भला होगा ये तो अभी भी दिखाई पड़ ही रहा है समाज में बढ़ते अपराधों का जखीरा !
    समाज से जिसे इतनी ही हमदर्दी थी तो पहल्रे यही कर लेते !जब सारी  सुख सुविधाएँ भोगकर तृप्त हो चुके होते तब बाद में कर लेते साधना संयम आदि !इससे संन्यास में मिलावट तो नहीं होती !सधुअई तो पवित्र बनी रहती !संन्यास में मिलावट करने वाले किसी भी व्यक्ति से ये आशा ही नहीं की जानी चाहिए कि वो सामानों में मिलावट नहीं करेगा !
     जो बाबा लोग धन इकट्ठा करके उसे भोगें न इतने संयमी होते तो प्रपंचों में फँसते ही क्यों ?और यदि संयम टूटा है तो बहकर विवाह तक जाएगा ही अब वो लुक छिपकर हो या प्रत्यक्ष !पकड़े जाएँ या चेला चेलियों की मदद से मुदी ढकी चलती रहे तो सिद्ध !प्रपंचों में फँसने  से अपने को जो बाबा नहीं रोक सके वो अपने मन को शादी से कैसे रोक लेंगे !
    जिन बाबाओं के चेले चेलियों से अपने बच्चे हो जाते हैं वे उन्हें छिपाने के लिए आडम्बर शुरू करते हैं !कहीं बाल कल्याण के कार्यक्रम चलाने लगते हैं उसभीड़  में उनके बच्चे भी पल बढ़ जाते हैं बाबा रहते हुए भी ऐसे भोगते हैं गृहस्थी का संपूर्ण आनंद !इसी लालच में  कुछ लोग व्यापार आदि प्रपंच फैला लेते हैं इतने बड़े आडंबर होने के बाद भी क्लाइंटों या मीडिया वालों को देखकर गायों को गुड़ खिलाने लगते हैं ऐसे सभी प्रकारों से उनके भी पचीस पचास बच्चे होकर पल बढ़ जाते हैं किसी को पता ही नहीं लगता है उन्हीं के लिए फैलाते जाते हैं बड़े बड़े व्यापार !उनके बाद वे ट्रस्टों के मालिक बनते हैं वे भी सब सुख भोगते रहते हैं और बताते रहते हैं मेरे पास एक भी पैसा नहीं है जबकि जहाजों के नीचे कदम नहीं रखते !दुनियाँ  के सारे झूठे मर गए किन्तु ऐसे झूठों को जुकाम भी नहीं होता !कलियुग का प्रभाव है !सरकार सजग होती है तो पिता पुत्र दोनों कानूनी शिकंजे में होते हैं और जब तक सरकारी नेता लोग भी इनकी आश्रमी  ऐय्याशियों का आनंद लेते रहते हैं तो वो बचाए रहते हैं ऐसे बाबाओं को !
     गुरू जी के बच्चे गुरु जी का परिवार कोई चली चेला उनकी बुराई करने का साहस भी कैसे कर सकता है !उसे स्वर्ग नर्क की इतनी धमकियाँ पहले ही दे चुके होते हैं पहले ही जैसे यम लोक में कोई अपार्टमेंट बुक करवा रखा हो !
     व्यापारी बाबा अपने प्रोडक्ट का विज्ञापन ऐसे करते हैं जैसे उनके अलावा बाकी सभी व्यापारी बेईमान हों और वे देश वासियों को जहर ही खिला पिला रहे हों !अरे वो भी देश के अंग हैं वो भी अपने हिसाब से देश वासियों की सेवा कर रहे हैं उनकी निष्ठा का अपमान करने का अधिकार बाबाओं को किसने दिया है !और वो साधू संत समझकर आलोचना करने से डरते हैं व्यापारी बनकर आए होते फिर ऐसा बोलकर दिखाते तो वो भी अपने हिसाब से निपट लेते !इसी लिए तो असली  साधू संत प्रपंचों में पड़ते नहीं हैं !

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