एक ओर वे ब्राह्मण हैं जिन्होंने आरक्षण कभी माँगा नहीं इतना उनमें स्वाभिमान होता है  उनकी बच्चियाँ उन आरक्षण भिखारियों के साथ कैसे विवाह कर सकती हैं जिनका जीवन ही आरक्षण जैसी भीख पर टिका होता है !किसी स्वाभिमानी परिवार की लड़की ऐसे सामाजिक बोझ को कितने दिन और कैसे ढो सकती है ! 
    
 मीडिया और कानून के हिसाब से बच्चों पर माता पिता का कितना होता है अधिकार
 !बालिग़ होने के बाद बच्चे बाप हो जाते हैं क्या ?बच्चे बालिग होकर अपनी 
मर्जी से विवाह करें तो ठीक और वही बच्चे अपराधी या आतंकवादी बन जाएँ तो 
मातापिता दोषी क्यों ?बालिग़ बच्चों के फैसले को तब कानून और मीडिया महत्त्व
 क्यों नहीं देता है !जब कोई बच्चा बालिग़ होकर अपराधी या आतंकवादी बन जाता 
है उसके अपराध के कारण जब उसे फाँसी की सजा सुनाई जाती है तो कोई मीडिया का
 भड़ुआ वहां आंसू बहाने नहीं जाता है अपितु वही माता पिता रो रोकर अपना जीवन
 जीने पर मजबूर होते हैं!किसी दलित ने बरगला कर किसी ब्राह्मण की लड़की को 
अपने साथ विवाह करने का झांसा दिया है जो अपराध है ऐसे अपराधी के विरुद्ध 
कठोर कार्यवाही होनी चाहिए !क्योंकि ऐसे अनुचित संबंध को विवाह माना ही 
नहीं जा सकता !
     विवाह एक संस्कार 
है जिसके अपने शास्त्रीय नियम कानून हैं जिनका पालन   सजातियों के साथ  ही 
संभव है जिनका पालन किए बिना पशुओं की तरह सेक्सुअल संबंध तो बनाए जा सकते 
हैं किंतु उसे विवाह नहीं माना जा सकता !
 
   यदि केवल सेक्स और संतान पैदा करने से ही विवाह भाव की संपूर्णता संभव 
होती तब तो  पशु भी तो आपस में संबंध बनाकर बच्चे पैदा करते हैं क्या उनका 
भी आपस में विवाह  हुआ है ऐसा माना जाएगा !
  
   मीडिया के महामूर्ख लोग ऐसे मसलों पर अपनी राय की रेवड़ियाँ बाँटते घूम
 रहे हैं क्यों !ऐसे बेशर्मों को ये समझ में क्यों नहीं आता है कि वो बच्चे
 के युवा जाने के बाद कानून के नाम पर माता पिता को उनके पदों से सस्पेंड 
क्यों किया जा रहा 
है !जिन माता पिता ने बच्चों को जन्म दिया उनका पालन पोषण करके उन्हें 
सक्षम बनाया युवा होने तक अपने छाती पेट से चिपकाए रखा उनके सम्मान 
स्वाभिमान का ध्यान रखा !आज कोई आरक्षण भिखारी यदि उनके बच्चे का माइंडवास 
करके उसे यदि अपनी हवस का शिकार बना लेता है !तो ऐसे संबंधों को  ब्यभिचार 
माना जाएगा विवाह नहीं !
     बच्चों 
के लिए बलिदान देना हो तो माई बाप और बच्चे बालिग हो गए तो उनके जीवन को 
मंडी का माल समझकर नीलाम कर रहे होते हैं समाज के वो आवारा लोग जिन्होंने 
अपनी जिंदगी में भी ऐसे ही कुत्तों  बिल्लियों की तरह अपने ब्यभिचार से 
समाज को प्रदूषित किया है !जिसका असर अब समाज में दिखने लगा है !ऐसे आवारा 
लोग मीडिया से लेकर सभी जगहों पर हैं जो अपनी  कामुकता के लिए समाज को 
बर्बाद करने को तैयार घूम रहे हैं !ऐसे पापियों से बचा जाना चाहिए !
   
 माता पिता यदि अपने कुल खानदान के हिसाब से अपने बच्चे का विवाह करना 
चाहते हैं तो इसमें बुरा क्या है !युवा 
होने के बाद भी बच्चे का आधा जीवन और बच रहा होता है !वह उसका महत्वपूर्ण 
अंश होता है उसे भी सुरक्षित रखने के लिए यदि माता पीटा चिन्तित होते हैं 
तो ये उनका पवित्र कर्तव्य है !उन्हें बच्चे के भविष्य के विषय में अच्छा 
बुरा निर्णय करने का अधिकार होता है !बच्चा बालिग़ होने के बाद भी बच्चा ही 
रहता है बाप बाप होता है ! 
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