Sunday, August 7, 2016

शरद यादव जी ! शिव भक्तों के अलावा कभी किसी अन्य धर्म वालों के विरुद्ध कुछ बोलकर देखो तो वो मुख नोच लेंगे आपका !

   शरद यादव जी !आपसे बड़ा बेरोजगार कौन है इस धरती पर !आप क्यों नहीं गए काँवड़ लेकर !
आप मुख्यमंत्री नहीं बनाए गए और अध्यक्ष पद भी आपसे छीन लिया गया है  अपनी ही पार्टी पर बोझ बन चुके हैं आप !अन्यथा बिहार के मुख्यमंत्री आप भी तो बनाए जा सकते थे !दो रोटी आप भी तो खाते हैं थोड़ी बहुत अकल तो भगवान् ने आपको भी दी है किंतु आपकी पार्टी आपको अकलमंद मानने को तैयार क्यों नहीं है ?
    ऐसे नेताओं की बातों पर कैसे भरोसा किया जाए !भगवान् शंकर के भक्तों को बेरोजगार बता देना कितनी मूर्खता की निशानी है राजनैतिक स्वार्थों के लिए शिव भक्तों के लिए इतनी बड़ी बात बोल देना ! शरद जी खैर मनाओ !हिंदुओं के विषय में बोला है तो हिंदूलोग सहिष्णु हैं सह भी जाएँगे किसी और धर्म वालों के लिए बोला होता तो वो अब तक मुख नोच लेते आपका !
    धिक्कार है ऐसी राजनीति और ऐसे राजनेताओं को जो दूसरे धर्मवालों को खुश करने के लिए क्या क्या नहीं बोल जाते हैं हिंदुओं को !और हिन्दू लोग थोड़ा भी प्रतीकार करने लग जाएँ तो कह देंगे कि इनमें सहनशीलता नहीं है ।वोट लोभ से राजनेताओं को क्या कुछ नहीं करने पड़ते हैं पाप ! कितना गिर जाते हैं ये लोग !वैसे बयानों की तुलना तो वेश्याओं से भी नहीं की जा सकती है । 
 वेश्याओं ने पेट भरने के लिए शरीर को दाँव पर लगा दिया किंतु चरित्र और सिद्धांतों को बचा लिया !केवल धन ही इकठ्ठा करना था तो वेश्यावृत्ति नहीं अपितु राजनीति करतीं जो सबसे अधिक कमाऊ धंधा है । जहाँ कुत्तों की तरह से केवल दूसरों  की कमाई पर ही नजर गड़ाए रखनी होती है !    वेश्याओं को पता है कि दूसरों की कमाई पर कब्जा करने के लिए वेश्यावृति नहीं अपितु राजनीति करनी होती है !
    राजनीति में आने के बाद चरित्र बचाना कठिन हो जाता है और जिसका चरित्र ही न बचे उसके जीवन का अर्थ और औचित्य ही समाप्त हो जाता है इसीलिए वेश्याएँ बेचारी गरीबत के कारण सारी दुर्दशा सहती हैं यहाँ कि शरीर बेचना स्वीकार कर लेती हैं किंतु चरित्र बचा लेती हैं जिसे राजनीति में आने के बाद बचा पाना अत्यंत कठिन हो जाता है !अपने चरित्र को बचाने के लिए कितनी सतर्क हैं वो!भगवान् दत्तात्रेय ने उनके सिद्धांतों से प्रभावित होकर ही तो उन्हें गुरूबनाया होगा !आखिर उन्होंने किसी राजा या राजनेता को तो गुरू नहीं बना लिया
     !इसलिए नेताओं की तुलना वेश्याओं से नहीं की जा सकती ।वेश्याएँ अपनी आमदनी के स्रोत बता सकती हैं इतनी पारदर्शिता और कानून के प्रति सम्मान की भावना है उनमें किंतु नेताओं की अथाह संपत्ति के स्रोत आकाश से भी अनंत हैं चुने हुए प्रतिनिधियों को मिलने वाली सैलरी से संपत्ति के इतने अंबार नहीं लगाए जा सकते !
      राजनीति में पैसा तो बहुत मिलता है पर चरित्र चला जाता है चरित्र बचाने के लिए वेश्याओं को करनी पड़ी वेश्यावृत्ति !वेश्याएँ भी नेता बनकर इकट्ठा कर सकती थीं अपार संपत्ति !किंतु चरित्र चला जाता !इसलिए शरीर बेच लिया और चरित्र बचा लिया !
   नेता बनते समय पैसे पैसे के लिए मोहताज नेतालोग अचानक अरबों खरबों के मालिक हो जाते हैं न कोई धंधा न कोई रोजगार फिर भी संपत्तियों के भरे हैं  भंडार ! किंतु नेताओं की तरह पाप करने के लिए वेश्याओं का मन नहीं माना !वो नेताओं की तरह अपना कालेजा कठोर नहीं कर सकीं !वो भी नेता बनकर अपराधियों से ले सकती थीं घूस !दलितों के नाम पर शोर मचाकर योजनाएँ पास करवातीं और खुद हड़पजातीं !अशिक्षित लोगों से घूस लेतीं उन्हें शिक्षक बना देतीं !सरकारी नौकरी दे देतीं !प्रमोशन कर देतीं !मिड डे मील बेचलेतीं !मरीजों के हिस्से की दवाइयाँ बेच लेतीं !गरीबों के हिस्से का राशन बेच लेतीं !अधिकारियों से भ्रष्टाचार करके धन कमवातीं कुछ अपने पास रख लेतीं और कुछ से उनकी सैलरी बढ़ दिया करतीं सारे खुश ! अरबों इकठ्ठा कर सकती थीं बड़ी बड़ी कोठियाँ बना सकती थीं किंतु नेताओं की तरह बच्चों गरीबों मरीजों को दगा देने के लिए वेश्याओं का मन नहीं माना !    
    नेताओ खबरदार! वेश्याओं से नेताओं की तुलना की तो !जिस डर से वेश्याएँ बेचारी सारी मुसीबतें सह लेती हैं !आर्थिक परिस्थितियों के कारण शरीर बेचती हैं किंतु अपना चरित्र बचा लेती हैं उन पर गर्व किया जा सकता है किन्तु नेताओं पर नहीं ! 
    वेश्याओं को भी पता होता है कि राजनीति सबसे अधिक कमाऊ धंधा है नेताओं की कमाई के आगे वेश्याओं की कमाई फीकी है !किंतु चरित्रवती वेश्याएँ सोचती हैं कि कमाई के लालच में राजनीति करनी शुरू की तो चरित्र चला जाएगा !चरित्र की चिंता में बेचारी सारी दुर्दशा सहती हैं किंतु नेता कहलाना पसंद नहीं करती हैं । 
    वेश्याओं को लगता है कि राजनीति में कमाई भले ही कितनी भी क्यों न हो किंतु वो हुई कैसे इस बात का नेता के पास कोई जवाब नहीं होता है ।गरीब से गरीब लोग जिनकी जेब में किराया नहीं हुआ करता था राजनीति में आने के बाद वो अरबों खरबों के मालिक हो गए आखिर ये चमत्कार हुआ कैसे !व्यापार कोई किया नहीं पुस्तैनी संपत्ति इतनी थी नहीं और यदि  गरीबों अल्प संख्यकों का हक़ नहीं हड़पा तो अपने आयस्रोत बताइए !जनता स्वयं जाँच कर लेगी कि कितने कमाऊ और कितने इज्जतदार हैं नेता लोग !चले वेश्याओं को नीची निगाह से देखने !जिनके काम में पारदर्शिता है राजनेताओं के काम में कोई पारदर्शिता  नहीं है !वेश्याएँ अपने शरीर की कमाई खाती हैं किंतु नेता लोग दूसरों के हक़ हड़पते हैं ।
     महिलाओं के हकों के लिए लड़ने का नाटक करने वाले नेता महिलाओं के लिए पास किया गया फंड खुद खा जाते हैं इस ही अल्पसंख्यकों के हितैषी नेता खा जाते हैं अलप संख्यकों के हक़ !दलितों के नाम पर राजनीति चमकाने वाले नेता नीतियाँ दलितों के हक़ हड़प जाते हैं ।दूसरों के हक़ हड़पकर सुख सुविधाएँ भोगते घूम रहे अकर्मण्य लोग चले वेश्याओं का सम्मान घटाने !
     वेश्याएँ किसी की माँ बहन बेटियाँ होती हैं वो इस देश की  सम्मानित नारियाँ हैं वो हमसबकी तरह ही देश की नागरिक हैं !उनमें सभी धर्मों और सभी जातियों की महिलाएँ होती हैं !वो नहीं चाहती हैं कि राजनीति में आवें उनके भी घपले घोटाले उजागर हों उनकी अकर्मण्यता के कारण उनके नाते रिश्तेदारों सगे संबंधियों को आँखें झुकानी पढ़ें !ये वेश्याओं का अपना गौरव है । 
    वेश्याएँ सेक्स करती हैं ये बुरा होता है या जो ग्राहक ज्यादा पैसे दिखाए उसके पीछे भाग खड़ी होती हैं ये बुरा है !आखिर वेश्याओं में बुराई क्या है सेक्स तो सभी करते हैं एक से अधिक लोगों से सेक्स करना बुरा है तो प्रेमी जोड़े नाम के सेक्स व्यापारी भी तो अधिक  स्त्री पुरुषों से सेक्स करते हैं वो नहीं बुरे इसका मतलब वेश्याएँ अधिक लोगों से सेक्स के कारण बदनाम नहीं हैं अपितु बदनाम इसलिए हैं कि जो ज्यादा पैसे दिखाए उसकी हो जाती हैं । वेश्याएँ यदि केवल इस दोष के कारण दोषी होती हैं तो राजनीति में तो ये खूब हो रहा है प्रत्याशियों  का चयन करते समय अधिकाँश तो पैसा ही देखा जाता है बाकी  शिक्षा  चरित्र सदाचरण आदि सबकुछ तो गौण होता है एक से एक चरित्रवान विद्वान् कार्यकर्ता पैसे न होने के कारण पीछे कर दिए जाते हैं और पैसे वाले एक से  एक खूसट जिन्हें ये भी नहीं पता होता है कि किससे कैसे क्या बोलना है क्या नहीं या हम जो बोल रहे हैं उसका अर्थ क्या निकलेगा फिर भी उनका पैसा देखकर पार्टियाँ उन्हें न केवल उन्हें अपना प्रत्याशी बनती हैं अपितु अपनी पार्टी और संगठन के जिम्मेदार पदों पर भी ऐसे ही लोगों को बैठा देती हैं फिर उन पैसे वालों का जो मन आता है वो उसे बोल देते हैं और उन पार्टियों का लालची केंद्रीय नेतृत्व पीछे पीछे खेद प्रकट करते माफी माँगते चलता है !ये राजनैतिक वैश्यावृत्ति नहीं तो है क्या ?
    वेश्याओं के भी कुछ तो तो जीवन मूल्य होते होंगे ही किंतु राजनेताओं के तो वो भी नहीं रहे !उन्हें तो केवल कमाई दिखाई पड़ती है ! जो लोग दबे कुचलों लोगों के हकों के लिए दम्भ भरते हैं उन्हें कुछ कह दिया जाए  इतनाबुरा लगता है किंतु वही शब्द किसी और को बोल दिया जाए तो बुरा क्यों नहीं लगता !
    अरे !दबे कुचलों के हिमायती ड्रामेवाजो !ये क्यों नहीं सोचते कि जो शब्द हमें कह दिया जाए तो इतना बुरा लग जाता है जिन महिलाओं की पहचान ही वही शब्द हो उन्हें कितना बुरा लगता होगा उनकी दशा सुधारने के लिए कितने आंदोलन किए अपने !दबे कुचलों के नाम पर सरकारी खजाना लूटकर अपना घर भर लेने वालो !यदि कर्म इतने ही अच्छे होते तो CBI का नाम सुनते ही पसीना क्यों छूटने लगता है !इसके पहले की सरकार तो जब जिस मुद्दे पर हामी भावना चाहती थी छोड़दिया पार्टी थी CBI सारे घोटालेवाजों को जब जहाँ चाहती थी तब तहाँ मुर्गा बना दिया करती थी !हिम्मत थी तो तब न मानते उनकी बात !आज आए इज्जतदार बनने !!
    वेश्याओं को राजनेता  इतनी गिरी दृष्टि से देखते हैं जिनके अपने कोई जीवन मूल्य नहीं होते !वेश्याओं का चरित्र राजनेताओं से ज्यादा गिरा होता है क्या ?वेश्याओं को इतनी गंदी दृष्टि से देखते हैं नेता लोग !
   वेश्याएँ भी चाहें तो और कुछ कर पावें न कर पावें किंतु वेश्यावृत्ति को छोड़कर राजनीति तो वो भी कर सकती हैं और वो भी कर सकती हैं अनाप शनाप कमाई किंतु उन्हें अपना चरित्र प्यारा है वो शरीर बेच लेती हैं किंतु चरित्र बचा लेती हैं ।    
   वेश्या से तुलना कर देना किसी को यदि इतना बुरा लग सकता है तो जो वास्तव में वेश्याएँ हैं कितना  दुःख सह रही हैं वे महिलाएँ !क्या उनके लिए इस राजनीति की कोई जिम्मेदारी नहीं है !

1 comment:

  1. दिलको छूने वाली हकीकत बात कह दी

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