प्रशासन एवं कानून व्यवस्था का प्रश्न उठने पर एक बात स्पष्ट है कि ऐसे दुर्व्यवहारों या किसी प्रकार की आपराधिक या भ्रष्टाचार सम्बन्धी गतिविधि के लिए केवल पुलिस विभाग ही क्यों सरकार का हर विभाग जिम्मेदार है हर विभाग में लापरवाही है
फिर केवल पुलिस पर दोष क्यों मढ़ा जा रहा है?यदि केवल पुलिस का दोष होता तो
अब तक कुछ नियंत्रण जरूर होता किन्तु दुर्घनाएँ दिनोंदिन बढ़ती जा रही
हैं।इसका साफ साफ अर्थ है कि समस्या की जड़ें कहीं और भी हैं।
आज सरकार का कौन
सा विभाग ऐसा है जो अपनी शाख बचाने में कामयाब रह रहा है ?सरकार के पास
सारे अधिकार अर्थात अनंत शक्तियाँ होती हैं सरकारी कर्मचारियों की सैलरी
भी अधिक होती है सरकार के पास संसाधन भी अधिक होते हैं सरकार के काम
में कोई अनावश्यक रूकावट भी नहीं पैदा कर सकता!
दूसरी ओर प्राइवेट संस्थाओं
को सरकारी या गैर सरकारी ऐसी समस्त समस्याओं से जूझना पड़ता है धन की भी
कमी होती है संसाधन भी कम होते हैं उनके कर्मचारियों की सैलरी भी कम होती
है फिर भी सरकार की अपेक्षा वे अच्छी सेवाएँ देती हैं जवाबदेही भी अधिक निभाती हैं वो लोग बात भी प्रेम से करते हैं।
सरकारी विभागों में प्रेम से बात
कौन करता है,शिकायती फोन तक देर से उठाए जाते हैं या उठाए ही नहीं जाते
हैं यदि उठाए भी गए तो कोई और दूसरा नम्बर दे दिया जाता है।कहाँ शिकायत
कौन सुनता है हर कोई टालने की बात करता है।केवल पुलिस विभाग की 100 की काल न
केवल तुरंत उठती है अपितु पुलिस समय से मौके पर पहुँचती भी है।इतना सब कुछ होने के बाद भी बदनाम केवल पुलिस है आखिर क्यों?अकेले पुलिस को क्यों बदनाम किया जा रहा है?इसके
लिए जिम्मेदार सरकार एवं सरकार के सारे विभाग हैं।भ्रष्टाचार एवं अपराध के
कण सरकार के अपने खून में रच बस गए हैं जो सरकारी सभी विभागों में लोगों
में न्यूनाधिक रूप से विद्यमान हैं।इसलिए केवल पुलिस की निंदा न्यायोचित नहीं कही जा सकती !
इस देश के नागरिक जो किसान
,मजदूर, परिश्रमी वर्ग महीने में पाँच हजार कमाने का
लक्ष्य भी पूरा नहीं कर पाते हैं दूसरी ओर सभी विभागों के सरकारी कर्मचारी
पचासों हजार
रुपए महीने बिना कुछ काम करके या कम काम करके भी केवल जीवित रहने के लिए
ले लेते हैं और
अंत में पेंशन वे या उनके परिजन प्राप्त करते हैं।इसके बदले में बहुत कम
लोग हैं जो ईमानदारी से काम करते भी हैं कुछ तो करने के विषय में केवल
सोचते रहते हैं कुछ तो केवल सिस्टम को कोसते रहते हैं।
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