क्या वेद शास्त्र  पुराणों का निर्माण इसीलिए हुआ था ! 
बंधुओं ,
       आज
 टी.वी.  चैनलों पर जिस प्रकार से ज्योतिष ,वास्तु,तंत्र आदि को विशुद्ध 
व्यापार के रूप में परोसा जा रहा इससे अंध विश्वास बढ़ता है क्योंकि ज्योतिष
 ,वास्तु,तंत्र आदि के नाम पर महँगे महँगे    विज्ञापनों के माध्यम से झूठे
 सपने दिखाकर सामने वाले को पहले अपने जाल में फँसाते हैं फिर उसका सभी 
प्रकार से शोषण करते हैं।कई बार यह शोषण इतने गिरे स्तर का होता है जो न तो
 किसी से कह पाते न सह पाते हैं और आहत होकर अपना जीवन ही समाप्त कर देते 
हैं। ऐसे प्रकरणों में  नियंत्रण के लिए सरकार ने क्या कोई कदम उठाए हैं  ?
1. टी.वी.  चैनलों को लाखों रुपए महीने या प्रतिदिन चुकाया जाने वाला पैसा इन लोगों के पास आखिर कहाँ से आता है ?  
 2. जब सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों  
 में ज्योतिष ,वास्तु,तंत्र आदि का विधिवत पाठ्यक्रम जो आम पाठ्य क्रम की 
तरह ही है इन विषयों में भी एम. ए. पी.एच. डी.आदि की डिग्रियाँ दी जाती 
हैं। जो छात्र परिश्रम पूर्वक पढ़कर ये डिग्रियाँ हासिल करते हैं यदि बिना 
पढ़े लिखे लोग भी न केवल अपने नाम के साथ वही डिग्रियाँ लगाते हैं अपितु इन 
विषयों में प्रेक्टिस भी करते हैं टी.वी.  चैनलों तक पर ये सब होता आसानी से देखा जा सकता है ।ऐसी परिस्थिति में करोड़ों रुपए मासिक वार्षिक आदि सरकारी खर्चे से संचालित संस्कृत विश्व विद्यालयों को चलाने का औचित्य क्या है? इनमें  ज्योतिष ,वास्तु,तंत्र आदि विषय परिश्रम
 पूर्वक पढ़कर कोई डिग्रियाँ क्यों ले जब इनका कोई महत्त्व ही नहीं है!इसलिए
 मेडिकल की तरह ही ज्योतिष आदि के क्षेत्र में भी फर्जी डिग्री वाले 
ज्योतिषियों एवं वास्तु,तंत्र आदिसे जुड़े लोगों को भी क्या नियंत्रित करने पर कोई विचार किया जा रहा है? 
  3.  योग के द्वारा,बीज 
मन्त्रों के द्वारा,निर्मल दरवार की  कृपा के द्वारा  ,यन्त्र तंत्र 
ताबीजों    के द्वारा जंगली जड़ी बूटियों के द्वारा, ईसाइयों  की चंगाई 
सभाओं एवं चौकी आदि लगाने वालों के द्वारा   टी.वी.  चैनलों या अन्य प्रभावी प्रचार माध्यमों के द्वारा बड़े बड़े रोग ठीक करने के जो दावे   किए जाते हैं  उन्हें देख सुन कर आसानी से खिंचे चले जाते हैं लोग!वो कितने प्रतिशत  सही या गलत होते हैं
 उन्हें जाँचने परखने का आम पब्लिक के पास न कोई पैमाना होता है और न ही 
कोई प्राशासनिक ताकत !वे बेचारे अज्ञान,लोभ या रोग वा किसी अन्य प्रकार की 
परेशानी वश इन लोगों के फैलाए हुए अंध विश्वास में फँसते चले जाते हैं   
!ऐसी परिस्थिति में   यह जानने  एवं इसके परीक्षण तथा नियंत्रण  की सरकार ने कोई विधि व्यवस्था   की है क्या जिससे उन भोले भाले लोगों को बचाया जा सके ? 
 4. टी.वी.
  चैनलों या अखवारों में बड़े बड़े महँगे विज्ञापनों के द्वारा जो अपने को 
आत्म ज्ञानी ,ब्रह्म ज्ञानी,सिद्ध,योगी  एवं भूत भविष्य वर्तमान को जानने  
 का  दावा करते हुए देश की भोली भाली जनता को भ्रमित करके उससे लाखों  
करोड़ों रुपए ले लेते  हैं,किन्तु देश में जब बम विस्फोट होता है या भूकंप 
आता है या अभी हाल में ही उत्तराखंड में घटित हुई भयानक जल प्रलय जिसमें 
असंख्य लोग मारे गए । तब ऐसे भविष्य वक्ता लोग कहाँ चले गए थे क्या 
उन्होंने सरकार या समाज को ऐसे प्रकरणों में कोई अग्रिम सूचना  दी थी यदि 
हाँ तो उसके प्रमाण क्या हैं यदि प्रमाण नहीं हैं तो तथाकथित भविष्य वक्ताओं के झूठे  भविष्य भाषण के 
 ऐसे तथ्य हीन दावों पर सरकार के द्वारा प्रतिबंध क्यों नहीं लगा दिया जाता
 है? ऐसे लोगों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने क्या कोई कदम उठाए हैं ।
    राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 
 संपर्क सूत्र-डॉ. एस. एन. वाजपेयी,09811226973  
   यदि किसी को
 केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।
     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप
 शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या 
धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  
हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 
       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है। 
 
      
 
 
 
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