Monday, January 20, 2014

भ्रष्टाचार समाप्त होता नहीं है या किया नहीं जाता है या करने की इच्छा ही नहीं है !

  जाति  क्षेत्र  सम्प्रदाय देखकर गरीबत नहीं आती है तो इनके आधार पर   आरक्षण क्यों दिया जाता है ?

    सरकार के  हर विभाग में  भ्रष्टाचार व्याप्त है उससे छोटे से बड़े तक अधिकांश कर्मचारी लाभान्वित होते हैं इसलिए उन पर  भ्रष्टाचार की जो विभागीय जाँच होती है वहाँ क्लीन चिट  मिलनी ही होती है क्योंकि यदि नहीं मिली तो उसके तार उन तक जुड़े निकल सकते हैं  जो जाँच कर रहे होते हैं इसलिए क्लीनचिट  देने में ही भलाई होगी  और जब विभागीय जाँच में ही कुछ नहीं निकला तो उस जाँच को बेकार में आगे क्यों बढ़ाना ?

      इसी प्रकार हर प्रदेश की सरकारें अपने  अपने यहाँ अपने अपने हिसाब से भ्रष्टाचार की जाँच करवाती हैं वो भी क्लीन चिट देती हैं अन्यथा उसके छींटे उन सरकारों तक पहुँचने लगते हैं इसीप्रकार केंद्र सरकार ऐसे ही छीटों से खुद बचती  रहती है आखिर वो लोग भी तो समझदार हैं !हमारे कहने का अभिप्राय है कि हर विभाग में भ्रष्टाचार है और मजे की बात ये है कि ये बात सबको पता है फिर भी जाँच होती  है उस पर होने वाला खर्च ही बचा लिया जाना चाहिए जब यह पहले से ही सबको   पता है कि इसमें निकलना कुछ है नहीं!आखिर भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए जाँच का ड्रामा होता ही क्यों है यदि इरादे वास्तव में भ्रष्टाचार समाप्त करने के हों तो बिना किसी बड़ी कार्यवाही के हर विभाग में औचक निरिक्षण क्यों नहीं किया जाता !या हर विभाग में उसके कस्टमर बन कर क्यों नहीं भेजे जाते हैं अधिकारी या अन्य जिम्मेदार लोग !किन्तु लाख टके का सवाल ये है कि तब भ्रष्टाचार की जाँच के लिए होने लगेगा भ्रष्टाचार!उसके लिए फिर कराइ जाए एक और जाँच !

    भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण सरकारी विभागों में अयोग्य लोगों को योग्य जगह बैठाया जाना है इसकी जड़ में जाति  क्षेत्र  सम्प्रदायों  के आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण है !आरक्षण के द्वारा गधों को घोड़े बनाने का खेल जब तक चलता रहेगा तब तक कैसे और क्यों बंद होगा भ्रष्टाचार ! वस्तुतः जब जाति  क्षेत्र  सम्प्रदाय देखकर गरीबत नहीं आती तो इनके आधार पर   आरक्षण क्यों दिया जाता है ? कोई अँधा बहरा लंगड़ा लूला अपाहिज चलने फिरने में असमर्थ बीमार बूढ़ा आदि हो तो चलो उसका सहयोग किया जाना जरूरी है किन्तु आरक्षण उनको  जो सबकुछ कर सकते हैं किन्तु करना नहीं चाहते हैं आखिर क्यों करें जब सरकारें उनको सब कुछ देने हेतु हराम में आरक्षण देने के लिए उतावली जो घूम रही हैं इसलिए आरक्षण की अवधारणा ही भ्रष्टाचार पर आधारित है !

       आरक्षण के समर्थन में जो तर्क दिए जाते हैं वो तथ्य हीन हैं जैसे कि पुराने समय में दलितों का शोषण किया गया था !किन्तु कब कितना और किसके द्वारा किया गया था इसका कोई उत्तर नहीं मिलता है दूसरी बात जो दलित वर्ग सवर्णों की अपेक्षा बहुत अधिक संख्या में तब भी रहा होगा  उसने अपना शोषण सहा क्यों होगा ?यदि सहा तो उसके कारण क्या थे ?वैसे भी आज बाप का कर्जा तो बेटा देता नहीं है तो पुरानी  पीढ़ियों का कर्ज क्यों चुकावे सवर्ण समाज !ऐसे काल्पनिक ऋण को आरक्षण नीति के द्वारा जबर्दस्ती क्यों वसूला जा रहा है !इसलिए किसी भी कामचोर व्यक्ति का भिक्षा देकर पेट तो भरा जा सकता है किन्तु सम्मान पाने के लिए उसे अपना ही बलिदान करना पड़ेगा !

     कुल मिलाकर आरक्षण नाम का इतना बड़ा भ्रष्टाचार जब सरकारी नीतियों में सम्मिलित किया जा सकता है तब  भ्रष्टाचार समाप्त करने का ड्रामा भले ही कोई सरकार करे किन्तु इसे समाप्त कर पाना कठिन ही नहीं असम्भव भी होगा ! 

        आज कुछ सरकारी कर्मचारियों ने अपने को देश वासियों से बिलकुल अलग कर रखा है भ्रष्टाचार का कोई भी  मौका मिलते ही उन्हें डसने में देर नहीं करते हैं इसके बाद भी उन्हें महँगाई ,भत्ता और भी जाने क्या क्या दिया करती हैं सरकारें !उनका बेन आम जनता की आमदनी की अपेक्षा इतना अधिक होता है फिर और भी बढ़ाया करती हैं सरकारें! न  जाने उनके किस आचरण पर फिदा रहती हैं भारतीय  सरकारें ? ये सरकारों के दुलारे लोग ऐसे धन से चौड़े हो रहे हैं विभागों में कुछ काम धाम तो  करते नहीं हैं वहाँ कोई देखने सुनने वाला ही नहीं होता है हो भी तो कोई कहे ही क्यों उसका अपना कोई नुकसान तो हो नहीं रहा है भुगतना जनता को पड़ता है ! जहाँ इतनी ऐशो आराम हो फिर भी काम न करना पड़े तो वो लोग कुछ तो करेंगे ही!

   कभी  यूनिअन बनाएँगे धरना प्रदर्शन करके अपनी ऊल जुलूल माँगे मनवाएँगें!सरकार मानती भी है इससे उनका हौसला और बता है । 

        यदि सरकार वास्तव में भ्रष्टाचार ख़त्म करना ही चाहती है तो सरकारी कर्मचारियों के ऐसे सभी संगठनों को प्रतिबंधित कर देना चाहिए न केवल इतना ही अपितु गैर कानूनी घोषित कर देना चाहिए आखिर वो लोग  सैलरी यूनियन बनाने ,धरना प्रदर्शन करने की लेते हैं या काम करने की !और उन्हें सीधे तौर पर बता दिया जाना चाहिए कि सरकारी व्यवस्था जो आपको दी जा रही है वो समझ में आवे तो काम करो अन्यथा घर बैठो !

            इस प्रकार से उन्हें हटाकर नई नियुक्तियां कर देनी चाहिए जिससे बेरोजगारी घटेगी नए जरूरतवान्  लोगों को काम मिलेगा वो उसकी कदर भी करेंगे मन लगाकर कामभी करेंगे इससे समाज का भी लाभ  होगा काम की गुणवत्ता में सुधार होगा  साथ ही छुट्टी करके गए पुराने कर्मचारियों का  भी भला होगा उनके पास पैसा तो होता ही है उस पैसे से  वो कोई धंधा व्यापार कर लेंगे काम करने के कारण वे भी शुगर आदि बीमारियों से बचेंगे भ्रष्टाचार में कमी आएगी समाज में एक दूसरे के प्रति सामंजस्य  बढ़ेगा आदि आदि । 

           इन विषयों में आप हमारे ये लेख जरूर पढ़ें -

 

दलितों के लिए आरक्षण या सम्मान?दोनों किसी को नहीं मिलते !

दलित शब्द का अर्थ कहीं दरिद्र या गरीब तो नहीं है ?

   समाज के एक परिश्रमी वर्ग का नाम पहले तो दलित अर्थात दबा, कुचला टुकड़ा,भाग,खंड आदि रखने की साजिश हुई। ऐसे अशुभ सूचक नाम कहीं मनुष्यों के होने चाहिए क्या?  वो भी भारत वर्ष की जनसंख्या के बहुत बड़े वर्ग को दलितsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/03/blog-post_2716.html





आरक्षण बचाओ संघर्ष आखिर क्या है ? और किससे ?

         4 घंटे  अधिक काम करने का ड्रामा !

     आरक्षणबचाओसंघर्ष या बुद्धुओं को बुद्धिमान बताने का संघर्ष आखिर क्या है ?ये संघर्ष उससे है जिसका हिस्सा हथियाने की तैयारी है।ये अत्यंत निंदनीय है ! 
    
     जिसमें  चार घंटे अधिक काम करने की हिम्मत होगी वो आरक्षण माँगेगा ही क्यों ?उसे अपनी कमाई और योग्यता का भरोसा होगा  किसी और की कमाई की ओर देखना ही क्यों? आरक्षण इससे ज्यादा कुछ है भी नहीं !
        चूँकि राजनैतिक दलों को पता है कि  देश में आरक्षण समर्थकों के वोट अधिक हैं औरsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3571.html

अथ श्री आरक्षण कथा !

    गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की भीख  मिलेगी ?

     चूँकि किसी भी प्रकार का आरक्षण कुछ गरीबों, असहायों को दाल रोटी की व्यवस्था करने के लिए दिया जाने वाला सहयोग है इससे जिन लोगों का हक मारा जाता है वे इस आरक्षण को भीख एवं जिन्हें दिया जाता है उसे भिखारी समझते हैं।इस दृष्टि से भीख में दाल रोटी तो मिल सकती है किन्तु कोई  घी लगा लगा कर रोटी दे ऐसा उसे कैसे बाध्य किया जा सकता है।इसी प्रकार शर्दी में ठिठुरते देखकर किसी को कुछ कपड़े तो भीख या सहयोग में मिल सकते हैंsee  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3184.html

आरक्षण एक बेईमान बनाने की कोशिश !

    गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की भीख  मिलेगी ?
     जो परिश्रम करके अपने को जितना ऊँचे उठा लेगा वह उतने ऊँचे पहुँचे यह  ईमानदारी है लेकिन जो यह स्वयं मान चुका हो कि हम अपने बल पर वहाँ तक नहीं पहुँच सकते ऐसी हिम्मत हार चुका हो । दूसरी ओर कुछ लोग सारी मुशीबत उठाकर भी ऊँचा पद पाने के लिए कठोर परिश्रम कर रहे हों ! ऐसे संघर्ष शील वर्ग को आरक्षण के माध्यम से  आगे बढ़ने से रोकना न केवल अन्याय अपितु अपराध भी माना जाना चाहिए ।यदि यही छेड़खानी शिक्षा को लेकर चलती रही तो क्यों कोई पढ़ेगा ?आखिर जो जिस लायक है उसे वो मिलना नहीं है और जो जिसsee  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_8242.html


पहले नेताओं की संपत्ति जाँच तब हो आरक्षण की बात!

   
                  प्रतिभाओं के दमन का षड़यंत्र
     जब गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात उठी तो उस समय एक मैग्जीन में मेरा लेख छपा था   कि  आरक्षण एक प्रकार की भीख है जो किसी को नहीं लेनी चाहिए, तो आरक्षण समर्थक कई सवर्ण लोगों के पत्र और फोन आए कि जब सभी जातियों को आरक्षण चाहिए तो हमें भी मिलना चाहिए।मैंने उनका विरोध करके कहा था कि किसी को आरक्षण क्यों चाहिए।
   यहsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_6099.html

आरक्षण समर्थक नेताओं की संपत्ति की जाँच होनी चाहिए !

              
      गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की भीख  मिलेगी ?
             
                  प्रतिभाओं के दमन का षड़यंत्र

     जब गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात उठी तो उस समय एक मैग्जीन में मेरा लेख छपा था   कि  आरक्षण एक प्रकार की भीख है किसी को नहीं लेनी चाहिए, तो आरक्षण समर्थक कई सवर्ण लोगों के पत्र और फोन आए कि जब सभी जातियों को आरक्षण चाहिए तो हमें भी मिलना चाहिए।मैंने उनका विरोध करके कहा था कि किसी को आरक्षण क्यों चाहिए।
   यह बात सच है कि अमीर गरीब आदि सभीप्रकार के लोग हर वर्ग में होते हैं।दुनियाँ में वैसे सभी काम सभी के लिए कठिन होते हैं किंतु पढ़ाई उनमें सबसे कठिन काम है।जो लोग ईमानदारी से पढ़ाई करते हैं। मन को सारे विकारों से दूर रखकर शिक्षा की ओर ले जाना कोई हँसी खेल नहीं है।और काम तो विकारों के साथ भी कुछsee  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_4640.html


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