Thursday, January 30, 2014

काँग्रेस राहुल और सरकार का 'कृपा कारोबार' आखिर कब तक सहा जाएगा ?

   गैस सिलेंडरों की संख्या घटा कर फिर बढ़ाना जनता पर राहुल जी की कृपा थोपने की सरकारी शरारत मात्र लगती है !राहुल गाँधी ने बढ़वाए गैस सिलेंडर तो घटाए किसके कहने पर गए थे ?

     गैस सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने का श्रेय  यदि सरकार और काँग्रेस राहुल गाँधी को देना चाहती है तो कोई बात नहीं दे किन्तु एक प्रश्न का उत्तर भी दे कि जब सिलेंडर  घटाए गए थे उसका जिम्मेदार कौन है? देश वासियों को तो उसका नाम जानना है?जिसने यह खेल खेला है और घटाए क्यों  गए इसका कारण जानना है ?यदि कहा जाए कि इतने सिलेंडर दे पाना सम्भव नहीं था तो आज कैसे हो रहा है उसमें भी चुनावों के समय केवल राहुलगाँधी के कहने पर कैसे सम्भव हो गया ?सरकार को अपनी आँखों से क्यों नहीं दिखाई पड़  रही थी आम आदमी की  पीड़ा!और अब कैसे यह बात समझ में आ गई! अब घाटा भी क्यों नहीं पड़  रहा है? अब सरकार को कोई कठिनाई भी नहीं हो रही है आखिर क्यों ?मजे की बात तो  यह है कि जिस दिन राहुल ने बारह सिलेंडरों की माँग की थी देश का बच्चा बच्चा उसी समय कहने लगा था कि अब सरकार बारह सिलेंडर आराम से दे देगी क्योंकि राहुल ने कहा है इतना ही नहीं जिला स्तरीय काँग्रेसी भी बताते घूम रहे थे कि राहुल जी ने डंडा दिया है अब जरूर  मिलेंगे बारह सिलेंडर!और ऐसा किया भी जा रहा है । 

      क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि राहुल गाँधी की ही प्रेरणा से ही सिलेंडरों की संख्या घटाई गई थी उन्हीं के कहने पर अब बढ़ा भी दी गई! इसका सीधा सा मतलब है कि गैस की शार्टेज न होकर अपितु यह राहुल को जनता का शुभ चिंतक सिद्ध करने के लिए सरकार के द्वारा की गई एक  शरारत मात्र थी !केवल यह दिखाना था कि राहुल जी की कृपा पर जी रहे हैं देश के लोग ?राहुल गाँधी जब जैसा चाहेंगे वैसा होगा जो जनता चाहेगी वो नहीं होगा ! 

     इसी प्रकार से सरकार के द्वारा सर्व सम्मति से पास किए गए बिल की कापियाँ राहुल ने फाड़ देने की बात की थी और फिर ऐसा ही हुआ कि सरकार दुम दबाकर बैठ गई और पता नहीं चला कि उस सरकार के सर्व सम्मत सम्माननीय निर्णय का आखिर हुआ क्या ?

           यदि राहुल इतने ही काबिल हैं तो स्वयं क्यों नहीं सँभालते हैं देश की कमान आखिर क्या भय है उन्हें ?जनता के प्रति कोई तो जवाबदेय  होता आज तो कोई नहीं है!ये तो नरसिंहा राव जी  की तरह ही होगा कि सारे अप्रिय निर्णयों का ठीकरा मनमोहन सिंह जी पर फोड़ा जाएगा और खानदान विशेष की स्वच्छता पवित्रता बचा लेंगे ऐसे दुमदार चाटुकार लोग !

    इस छोटी सी बात से बड़ी से बड़ी शंकाएँ उठना स्वाभाविक है जैसे लोकतंत्र में मालिक जनता होती है किन्तु वर्त्तमान सरकार राहुल गाँधी को मालिक मानती है इसी प्रकार से लोक तंत्र में जनता जैसा चाहती है वैसा होता है किन्तु इस सरकार में राहुल जैसा चाहते हैं वैसा होता है !लोकतंत्र में जनता का समर्थन जिसको मिलता है वह प्रधान मन्त्री बनता है किन्तु यहाँ जनता से समर्थन कोई माँगता है और बाद में सरकार किसी की बनती है अथवा यूँ कह लिया जाए कि सरकार बनवाकर बाद में ठेके पर उठा दी जाती है !

       हमारी शंका इस बात की है कि  आखिर क्या कारण है कि सरकार की जवाब देही  जनता के प्रति न होकर केवल एक परिवार के प्रति है ये दब्बू लोग कैसे रख पाते होंगे विदेशीमंचों  पर भारत का पक्ष !आखिर क्यों काटे जाते हैं भारतीय सैनिकों के शिर और जाँच के नाम पर क्यों उतरवाए जाते हैं भारतीयों के कपड़े!फिर ऐसे लोगों या देशों से कैसे निपट पाती है सरकार !खैर ,देशवासियों को जो सहना है सो तो सहना ही है किन्तु बड़ी पीड़ा के साथ !

       जब सरकार केवल एक परिवार के प्रति ही जवाब देय  है तब तो सरकार की सारी  मशीनरी भी केवल उसी परिवार को सजाया सँवारा करती है उसी की सुरक्षा की जाती है बाकी पूरा देश चोरी लूट बलात्कार अपहरण हत्या जैसी दुखद पीड़ाएँ सहता रहे तो सहे किन्तु इस देश का एक परिवार सुरक्षित रहे बस एक परिवार ! कहीं यही कारण तो नहीं है कि राहुलगाँधी के कहे बिना इन सरकारी ड्राइवरों को यह होश भी नहीं होता है कि ये लोग सरकार को जिस दिशा में लिए जा रहे हैं वो उचित है भी या नहीं !कहीं रेड़ी चलाने वाले की तरह ही तो नहीं चलाई जा रही है सरकार ! जिसे राहुल गाँधी जिस दिशा में उठाकर रख देते हैं ये उधर ही धकियाए चले जाते हैं उसका प्लस माइनस राहुल जी जानें इन्हें तो धकियाने से मतलब!

     यदि यह सब कुछ ऐसा ही है तो इसे लोकतंत्र कहना कहाँ तक ठीक होगा !क्या इस देश का यही लोकतंत्र है जिस पर गर्व किया जाए !खैर ,और जो भी हो ठीक ही है मेरा निवेदन मात्र इतना है कि देशवासी भी यदि आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान पूर्वक जीवन जीना चाहते हैं तो उनकी भी कुछ जिम्मेदारी बनती ही है उन्हें भी सोचना होगा कि देश की आजादी पर केवल किसी एक व्यक्ति या परिवार का ही  अधिकार तो नहीं है और न ही केवल  एक परिवार की ही कुर्वानियों से आजादी मिली है! इस देश को अपना समझकर ही इसे स्वतन्त्र कराने के लिए सारे देशवासियों ने अपने अपने बलिदान दिए थे उनका कतई उद्देश्य नहीं रहा होगा कि उनकी संतानों को गैस सिलेंडरों जैसी छोटी एवं सर्वाधिक जरूरी चीजों के लिए के कोई राहुल इस प्रकार का खिलवाड़  या अपनी मन मानी करेगा!
    केवल चुनावी वर्ष में ही उसमें जनहित साधना की भावना जागेगी बाक़ी सोती रहेगी !पहले महँगाई बढ़ने दी  जाएगी बाद में फूड सिक्योरटी बिल लाकर अपनी पीठ थपथपायी  जाएगी !समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस तरह से क्यों खेला  जा रहा है जनता के जीवन से ! देश में सबसे अधिक वर्ष तक सत्ता में रही पार्टी यदि देश वासियों को इतने वर्षों में भोजन भी न उपलब्ध करा पाई हो और इतने वर्षों बाद अब ऐसी कोई पहल की गई हो तो ये गर्व का विषय कैसे हो सकता है इसके लिए तो देश से माफी माँगी जानी चाहिए कि जो काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था वो हम किन्हीं मजबूरियों के कारण इतने बिलम्ब से कर पा रहे हैं  जिसके लिए आप लोगों ने शांति पूर्ण वातावरण बनाकर सरकार का सहयोग किया है आपके ऐसे सदाचरण पूर्ण सहयोग के लिए सरकार आपकी आभारी है । इस प्रकार के विनम्र बचनों से घटाए जा सकते हैं जनता के दुःख और जीता  जा सकता है जनता का अपनापन !इससे जनता को भी लगेगा कि हमारे सदाचरण पूर्ण सहयोग का सम्मान सरकार के मन में भी है अर्थात सरकार भी हमारे समर्पण से सुपरिचित है और हमें भी धैर्य बनाए रखना चाहिए किन्तु राहुल जी सोनियाँ जी , सोनियाँ जी  राहुल जी का स्तुति गान सुनते सुनते अब तो आत्मा भी थक गई है !सरकार की गलत नीतियों या अभावों के कारण दुःख तो जनता ने सहे हैं और तारीफ सोनियाँ राहुल की आखिर क्यों ?

     कम से कम आभाव के कारण तो सोनियाँ राहुल कभी भूखे नहीं रहे उनके भोजन से लेकर सुरक्षा समेत सारी सुखसुविधाओं का भारी भरकम खर्च आखिर सरकार ही तो बहन कर रही है !इसलिए ये नहीं भूला जाना चाहिए कि वो जनता का पैसा होता है ये उसी जनता का जो स्वयं भूखी रहती है किन्तु आपके उत्तमोत्तम भोजन के खर्च को बहन करती है न केवल इतना अपितु स्वयं असुरक्षित रह कर भी अपने खर्च से तुम्हें सुरक्षा उपलब्ध करवाती है फिर भी उस पर ही सोनियाँ जी  राहुल जी की कृपा का कारोबार करने की कोशिश की जाए तो इसे कैसे सहा जा सकता है आखिर देशवासियों के इतने सारे त्याग बलिदान सेवा एवं समर्पण की सराहना क्यों नहीं की जानी चाहिए ?

        यदि अटल जी के घुटने का इलाज स्वदेश में हो सकता है तो सोनियाँ जी का क्यों नहीं हो सकता !क्या यहाँ के चिकित्सकों पर विश्वास नहीं है या वे योग्य नहीं  हैं यदि ऐसा भी है तो आपकी सरकार के आधीन जब सारे देशवासी हैं तो आपको केवल अपनी जान ही प्यारी क्यों है देश की जनता की परवाह क्यों नहीं होनी चाहिए!आखिर आपके मन में उनके स्वस्थ्य का महत्त्व क्यों नहीं है यदि है तो आपकी सरकार दस वर्ष में और कुछ नहीं कर पाई तो न सही कम से कम अपने लायक एक अस्पताल ही यहॉं बनवा लेते! जहाँ देश की जनता इलाज तो खैर क्या करवा  पाती! कम से कम उसे देखकर ये कह तो सकती थी कि यह उनका अस्पताल है जो इस देश एवं देशवासियों को केवल भाषणों में तो अपना कहते  हैं किन्तु भरोसा बिलकुल नहीं करते हैं!सोनियाँ जी !आखिर इन भावुक भारतीयों के साथ इतना अन्याय क्यों ?         

      इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए देश वासियों से मेरा निवेदन है कि हम सक्षम लोकतंत्र हैं यदि अपनी ऐसी प्रतिष्ठा वैश्विक स्तर पर किसी प्रकार से बन ही गई है तो उसमें जनता की सहनशीलता का बहुत बड़ा योगदान है उसे भूला नहीं जाना चाहिए साथ ही उसकी पोल खुलने से पहले क्या देश वासियों को अपनी शासन पद्धति बदल नहीं लेनी चाहिए और अब समय आ गया है जब इन ठेके की सरकारों को 'राम राम' कह देना चाहिए और अपनी भावना साफ कर देनी चाहिए कि अब देश वासियों के साथ इस प्रकार का खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा !आखिर देश वासियों की मजबूरी क्या है कि वो इस प्रकार की छीछालेदर को बर्दाश्त करें!किसी सोनियाँ जी या राहुल जी की कृपा पर आखिर कब तक किया जाएगा जीवन यापन ? देश में क्या और राजनैतिक दल नहीं हैं या और सक्षम नेता नहीं हैं!आखिर ! क्यों राहुल और सोनियाँ जी की बात मानकर मनमोहन सिंह जी का पल्लू पकड़कर चलना देशवासियों की मजबूरी है ?


 

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