न अपने नाम पर न अपने काम पर केजरीवाल जीतेंगे औरों को बदनाम कर ?
आम आदमी पार्टी का चुनाव जिताऊ फार्मूला सफल हुआ भाजपा की लापरवाही से !
  राजनीति बुरी है मीडिया बुरी है राजनैतिक दल बुरे हैं राजनेता बुरे है कर्मचारी भ्रष्ट हैं जनता बेचारी है !अब सतयुग आएगा केजरीवाल लाएँगे बिलकुल दिल्ली जैसा जहाँ चरण पड़े वहाँ चौपट हुआ पहले अन्ना हजारे को भूखों मार डाला किन्तु लोकपाल बिल पास नहीं हुआ इनके हटते ही पास हो गया!इसी प्रकार से जबसे दिल्ली में चरण पड़े दिल्ली वासियों को कोई सरकार नसीब हुई है और न  निकट भविष्य में ऐसी कोई उम्मींद दीखती है अब यू. पी.का नंबर है ये कितनी बर्बादी करेंगे समय ही बताएगा !
       दिल्ली में भाजपाइयों की कलह और लापरवाहियों  
के कारण कुछ सीटें अधिक पा गई आम आदमी पार्टी का इतना दिमाग ख़राब हो गया है
 जिस यू. पी. उनका अपना कोई जनाधार ही नहीं है आज तक कोई सेवा कार्य ही 
नहीं हैं वो आम आदमी पार्टी वाराणसी में मोदी जी को ललकारने पहुँच रही है 
ये लोकतंत्र का उपहास नहीं तो क्या है !इससे बड़ा राजनैतिक  भ्रष्टाचार  का 
उदाहरण  और क्या हो सकता है ? 
     केजरीवाल
 जी !केवल पुण्यवान व्यक्ति के ही झूठ को भी समर्थन मिलता है वह भी तब तक 
जब तक पुण्य पास  होते हैं किन्तु वास्तव में पूजा तो सदैव सत्य ही जाता है
 !
    अरविन्द केजरीवाल जी! इसमें आश्चर्य क्या है ! सच का साथ सभी हमेंशा देते हैं इसीलिए जब
 तक आपके पास पुण्य और सच रहे तब तक आप पर भरोसा रहा जनता एवं मीडिया का और
 आपको उठाए फिरता रहा मीडिया ! अब उसी मीडिया को आपके पुण्य क्षीण होते दिख
 रहे हैं तो मीडिया आपको अच्छी लगने वाली बातें नहीं बोल पा रहा है!इसलिए 
आप मीडिया पर अकारण क्रोध क्य़ों कर रहे हैं  ये तो आपके अच्छे बुरे कर्मों 
एवं पुण्यों के अभाव का ही प्रभाव है। पुण्यों के अभाव में ही आपको सबसे 
ठेस लग रही है यह सब पुण्यों का अभाव और आपके विपरीत समय का ही दोष है !
जानीहि सत्यं  जगत् सारमेतत् मृषा भाषितं यद् भवान् पुण्य क्षीणः |          इयं  केजरीवाल जी  कालक्रीडा सदा  क्षीणपुण्यं  देवतापि  त्यजन्ति ||
                                     -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 
  
केजरीवाल जी! आप 
तो सुशिक्षित हैं आपको पता ही होगा कि जो आपके द्वारा जाने अनजाने में  उन 
अन्ना जी को ठेस लगी  होगी जो आपको ही सब कुछ मानते  थे, इसी प्रकार से 
जनता को जो आश्वासन जिस रूप में आपने दिए वे पूरे नहीं कर सके इसीप्रकार से
 सादा जीवन जीने की प्रतिज्ञा करके जो बिलासिता के वैभव एकत्रित करने लगे 
इन सब बातों से झूठ और छल नाम का जो दोष आपको लगा है उससे आपके संचित पुण्य
 क्षीण हुए हैं। महोदय !ये सब तो समय और उन्हीं पुण्यों का ही खेल है इसमें
 मीडिया का क्या दोष ?पुण्य क्षीण होने पर तो देवता भी साथ छोड़ देते हैं 
मीडिया किस खेत की मूली है ! 
         see more ……इस लिंक को  जरूर पढ़ें -
         गॉंधी जी के तीन बंदर  और  भ्रष्टाचार 

 
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
No comments:
Post a Comment