Thursday, September 13, 2018

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 आदरणीय डॉ.साहब 
                    आपको सादर नमस्कार !

        मैं अपने मौसम से संबंधी अनुसंधान की पद्धति के विषय में सामान्य परिचय देने के लिए ये पत्र लिख रहा हूँ मैंने आपके जीमेल पर जून से लेकर सितम्बर तक के वो सारे पूर्वानुमान भेज दिए हैं जिन्हें आप अपनी दृष्टि से देख सकते हैं !
      तापमान अनुसंधान पद्धति पर टिका आधुनिक मौसम विज्ञान की अपेक्षा हम सूर्य के घटते बढ़ते प्रभाव पर गणितीय अनुसन्धान करते हैं !ये वही विधा है जिससे सूर्य चंद्र ग्रहणों का सटीक पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !
      वस्तुतः गर्मी  सर्दी वर्षा आदि ऋतुएँ सूर्य के संचार से निर्मित होती हैं सूर्य के संचार की गति युति आदि में अंतर आने से ऋतुएँ विकृत होती हैं उसके परिणाम स्वरूप समय चक्र बदलता जाता है समय के प्रभाव से सर्दी में गर्मी या गरमी में सर्दी अतिवृष्टि अनावृष्टि जैसी परिस्थितियाँ पैदा होने लगती हैं !
    कुल मिलाकर समय के आधीन मौसम होता है और समय  सूर्य के आधीन है !अक्सर मौसम संबंधी पूर्वानुमान गलत निकल जाने पर कुछ लोग क्लाइमेटचेंज या ग्लोबलवार्मिंग जैसी आधारविहीन मनगढंत बातें करने लगते हैं जबकि ऐसी बातों का कोई आधार नहीं है!ये तो प्राकृतिक प्रक्रिया है इसे स्वरचित किसी पद्धति से बांधकर नहीं रखा जा सकता है !अन्यथा यदि ऐसी बातों में सच्चाई होती तो इसी  'सौरविज्ञान' के आधार पर मेरे द्वारा महीनों वर्षों पहले किए जाने वाले अधिकाँश पूर्वानुमान किसी निश्चित समय पर घटित कैसे होते !वो भी बहक सकते थे !
     मैंने मौसम विज्ञान के DG  साहब की मेल पर 29 अगस्त को आँधी तूफान के विषय में 13 सितंबर को लिखकर जो भेजा था वो आज सही हो रहा है आज 13 सितंबर है तो उधर अमेरिका में तूफ़ान आया हुआ है ! क्योंकि 13 से 17 सितंबर तक आँधी तूफ़ान का समय है ! 
      हमारी सौरगणितीय पद्धति में भी अभी बहुत सारी कमियाँ हैं यहाँ भी अनुसन्धान की आवश्यकता है किंतु आधार ठीक होने से सच्चाई की मात्रा की आशा अधिक है !क्योंकि समय की गणित और प्राकृतिक लक्षणों के मजबूत अनुसंधानों के आधार पर टिका हुआ होता है यह पूर्वानुमान !संसाधनों के अभाव में इसे अभी उतना विस्तार नहीं दिया जा सका है जितना दिया जाना चाहिए किंतु ये विश्वास है कि प्रकृति को पढ़ने का यही सही माध्यम है !भूकंप जैसी बड़ी प्राकृतिक घटनाओं को समझने का भी यही सही माध्यम है इस दिशा में भी काफी कुछ सुलझता दिखने लगा है  फिर भी उसके विषय में सही सही एवं निश्चित समय पर पूर्वानुमान घटित हुए बिना अभी से कुछ कहना उचित नहीं है !
       सौर विधा से प्रकृति को पढ़ने में हमारे द्वारा भी कुछ लोग लगाए गए हैं वो लगातार अपने अपने काम में लगे हुए हैं जिसमें सौर गणित के साथ साथ  प्रकृति में प्रतिपल घट रही बड़ी घटनाओं का भी अनुसंधान यथा संभव सौर पद्धति से करना होता है !प्रक्रिया पिछले तीन दशकों से निरंतर चलाई जा रही है !

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