हर विषय में अपराध एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलने वाले ये टी.वी.चैनल सनातनधर्म से जुड़े शास्त्रीय विषयों एवं धार्मिक विषयों में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर न केवल  मौन हैं  अपितु  कुछ मामलों में लगभग सभी  टी.वी. चैनलों को  ऐसे लोगों का साथ देता देखता हूँ ।
     अक्सर टी.वी.चैनलों
 पर धर्म के नाम पर अधार्मिक बातों को एवं शास्त्रों के नाम पर अशास्त्रीय 
झूठ को अपना शास्त्रीय रिसर्च नाम देकर बड़ी निर्लज्जता पूर्वक बड़ी जोरदारी 
से  लोगों को बोलते  हुए सुना जाता है।कुछ 
लोग सच समझ कर मान भी लेते हैं। कुछ झूठ फरेब कहकर ज्योतिष शास्त्र एवं 
विद्वानों की निंदा करने लगते हैं।मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है 
कि ऐसे अशास्त्रीय झुट्ठों के विरुद्ध कभी किसी टी.वी.चैनल ने  कोई मुहिम 
चलाने की जरूरत ही नहीं समझी, और न ही ऐसे  शास्त्रीय विषयों में किसी टी.वी.चैनल से जन जागरण के लिए कोई स्पष्टीकरण ही दिया जाता है! 
   
 इस समय बढ़ते अपराधों एवं भ्रष्टाचार को रोकने में धर्म एक महत्वपूर्ण 
भूमिका निभा सकता था क्योंकि धर्म ही एक मात्र मन पर असर डाल  सकता है 
किन्तु लोगों में धन की बढ़ी भूख के कारण दुर्भाग्य से धर्म एवं 
शास्त्रीय विषयों में  भी  पाप, अपराध एवं भ्रष्टाचार का ही बोल बाला दिखता
 है। धर्म एवं शास्त्रीय विषयों से सम्बंधित हर पिलर हिल रहा है।आज बढ़ते 
बलात्कार ,पाप, अपराध एवं भ्रष्टाचार के न रुकपाने पाने में कानून व्यवस्था
 का फेलियर कम है धर्म एवं शास्त्रीय विषयों से सम्बंधित महापुरुषों का 
फेलियर मुख्य है क्योंकि अपराध होने पर कानून सजा देता है किन्तु धर्म एवं 
शास्त्र तो अपराध सम्बंधित
 भावना ही न बने इस दृष्टि से मन पर संयम और सदाचार की बात करता है।पहले 
गृहस्थों को महात्मा एवं नौजवानों को अध्यापक ही संयम और 
सदाचार पूर्वक सच्चरित्रता की शिक्षा देते थे।साथ ही दुराचरणों की निंदा 
करते थे।अब निन्दा करने वालों के चारों तरफ   वही सब होता दिख रहा है, 
निन्दा किसकी कौन और क्यों करे?
   अध्यापक वर्ग शिष्याओं के शीलहरण जैसी 
निरंकुश  मटुकनाथों की  निंदनीय  जीवन शैली के आगे विवश है।आखिर कौन 
सत्प्रेरणा दे समाज को?बिना इसके क्या करे अकेला कानून ?किसे किसे फाँसी दे
 दी जाएगी ?आखिर और भी तो कोई रास्ता खोजना चाहिए जो बिना  फाँसी और बिना 
जेल के भी सुधार का पथ प्रशस्त करे
 !क्या समाज के सत्पुरुषों का समाज के लिए अपना कोई दायित्व नहीं बनता 
?सबकी तरह पुलिस भी यदि पल्ला झाड़ ले तो फिर कहाँ जाएगा यह समाज ?
 
  एक जीवित व्यक्ति को उठाना हो तो आराम से उठाया जा सकता है किन्तु उससे 
चेतना निकलते ही वह शव रूप में  भारी हो जाता है और उसे उठाना कठिन हो जाता
 है।इसी प्रकार आज का समाज पूरी तरह कानून व्यवस्था,
 पुलिस और सरकार के भरोसे सुरक्षित  होना चाहता है।क्या यह अधिक अपेक्षा 
नहीं लगा रखी गई है?समाज को अपने स्तर से भी उपाय सोचने एवं करने होंगे।इस 
प्रकार संस्कारों से सचेतन  समाज को कानून व्यवस्था, पुलिस और सरकार आराम 
से सुरक्षित कर लेगी।हो सकता है कि व्यवस्था,राजनीति
 एवं पुलिस से जुड़ा एक वर्ग भ्रष्टाचार में लिप्त हो किन्तु उतना ही सच यह 
भी है कि एक बहुत बड़ा वर्ग देश को विकास के पथ पर अग्रसर करने में पूर्ण 
प्रयत्नशील अर्थात जी जान से जुटा हुआ   है।गर्मी ,शर्दी ,वर्षा,आग ,बाढ़,से
 लेकर घर में साँप निकलने तक हर प्रकार की आपदा में हमारे साथ दिनरात पुलिस
 प्रशासन खड़ा मिलता है।हर प्रकार के अपराधियों का सामना करते हुए इनकी होली
 दीवाली अक्सर रोडों पर ही बीतती है।फिरभी हरप्रकार 
की परेशानी के लिए प्रशासन को ही कोसते रहना ठीक नहीं है।मैं तो इन सभी 
लोगों का अपने को ऋणी मानता हूँ ,साथ ही सोचता हूँ कि जब हमारा धार्मिक 
समाज सदाचारी था तब बिना पुलिस प्रशासन के भी लोग जंगलों में भी सकुशल रह 
लिया करते थे और जब से धार्मिक समाज सदाचार से दूर होकर  केवल धन कमाने के 
लिए ज्योतिष, वास्तु, कथा, प्रवचनों के नाम पर झूठ बोलने लगा ।साथ 
ही केवल धन कमाने के लिए योग से रोग भगाने का ढोंग करने लगा तो इन पाखंडों 
का दुष्प्रभाव समाज पर तो पड़ना ही था सो पड़ा,अब 
 बस पर बलात्कार हो चाहें जहाज पर हो,सुधरना तो सबको पड़ेगा।कानून के बल पर 
ऐसे रामराज्य की तो आशा हमें भी  नहीं करनी चाहिए कि दो चार किलो सोना खुले
 रोड पर सब को दिखाते हुए लेकर चलेंगे और कोई कुछ
 नहीं बोलेगा।सोना तो कोई छू ले तो उसकी कीमत नहीं नहीं घटती फिर 
सम्माननीय नारी समाज  की इज्जत तो अपवित्र भावना से किसी पर पुरुष के  
स्पर्श करते  ही पीड़ा प्रद हो जाती है।उसमें भी फैशन के नाम पर आधे अधूरे 
भड़कीले वस्त्रों में रहकर वर्तमान परिस्थिति में तो वातावरण सुरक्षित होते 
 नहीं लगता है आगे की ईश्वर जाने ! मैं भी रामराज्य का पक्षधर हूँ किन्तु 
आवे कैसे?
   कई बार मैं टी.वी.पर ज्योतिष
 के नाम पर मनगढ़ंत अशास्त्रीय भाषण करते किसी को सुनता हूँ लोग शास्त्रों 
के नाम पर अशास्त्रीय भाषण करके
 अपने को विद्वान्  सिद्ध करने में भारी भरकम झूठ का सहारा ले रहे होते 
हैं ।ज्योतिष एवं धर्मशास्त्रों  के विराट ज्ञान सागर को न पढ़ पाने,न जानने
 समझने वाले लोग ऐसे ही आधार हीन ब्यर्थ बकवासी कयास लगाया करते हैं,किन्तु
 टी.वी.चैनल उनसे उनकी उस शास्त्रीय 
 विषय की योग्यता जानने की विश्व विद्यालयीय डिग्री प्रमाणपत्र माँगने की 
जरुरत नहीं समझते हैं।वह अज्ञानी व्यक्ति उनके चैनल पर चाहे जितना 
अशास्त्रीय गंध बक कर चला जाए!ज्योतिष
 आदि धार्मिक विषयों में फर्जी डिग्री वालों पर कोई कानूनी शिकंजा भी नहीं 
कसा जाता है फिर मैं मीडिया के मित्रों एवं कानून प्रशासन से लेकर समाज
 के हर वर्ग से कहना चाहता हूँ कि सुधरना हम सबको पड़ेगा हमें किसी जादू की 
छड़ी की आशा में अब और अधिक समय व्यर्थ में नहीं गँवाना चाहिए ।  
       ज्योतिष
 शास्त्र में बी.एच.यू. से हमारी शिक्षा पूर्ण हुई है। ज्योतिष  हमारी 
पी.एच.डी. की थीसिस से जुड़ा विषय होने के कारण अक्सर लोग हमसे भी 
अन्धविश्वास से जुड़े  प्रश्न  पूछते हैं । 
     टी.वी.चैनलों पर ज्योतिषादि विषयों पर अक्सर चल रही बकवास सुनकर भी लोग उनके विषय में हमसे भी प्रश्नोत्तर करना चाहते हैं क्या कहें किसकी क्यों निंदा की जाए?केवल इतना कहा जा सकता है कि आजकल ज्योतिष  बिना पढ़े लिखे बकवासी लोग दिनभर टी.वी.आदि पर बैठकर
 ज्योतिष  के बिषय में झूठ बोल रहे होते हैं उनका उद्देश्य भी बकवास करके 
उनके अज्ञान का विज्ञापन करना होता है।टी.वी.चैनलों का या तो उनसे कोई स्वार्थ होगा या उनका टी.वी.चैनलों से
 कोई स्वार्थ होगा या फिर ऐसे दोनों लोगों का लक्ष्य ही शास्त्रों का अपमान
 करना होगा।हो सकता है कि ये लोग अपने अज्ञानी होने का बदला ले रहे हों 
शास्त्रों से !
      आप सबको पता है कि ज्योतिष एवं वास्तु के ग्रन्थ संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं।टी.वी.चैनलीय ज्योतिष एवं वास्तु वालों के मुख से इंग्लिश  के शब्द तो आपने सुने भी  होंगे लेकिन संस्कृत भाषा के शब्द तो मुख पर आते ही नहीं हैं तो बोलें क्या ?कुछ लोग आधा अधूरा गलत सही कोई श्लोक बोल  भी रहे होते हैं तो उसका  अर्थ कहीं और का बता रहे  होते  हैं जिसका उस विषय से कोई लेना देना ही नहीं होता है।कई चालाक लोग तो  आधे अधूरे टूटे फूटे
 संस्कृत शब्दों के बाद में नमः लगाकर  उन्हें मंत्र बता देते हैं और  
गारंटी से कह रहे होते हैं कि यह मंत्र आपको और कहीं नहीं मिलेगा। यह सुनकर पत्रकार बन्धु हौसला बढ़ा रहे होते हैं।धोती कुर्ता आदि  संस्कृत विद्वानों की हमेंशा से वेषभूषा मानी जाती रही है किन्तु अक्सर टी.वी.चैनलों पर 
 लोग पैंट शर्ट  पहन  कर रहे होते हैं अपनी अपनी विद्वत्ता का गुणगान !यदि 
उनकी जगह कोई पढ़ा लिखा संस्कृत भाषा एवं शास्त्रों का विद्वान होता तो वो 
अपनी वेष भूषा पर शर्म नहीं अपितु गर्व करता! खैर क्या कहा जाए ये सब 
पुरानी बातें हो गईं हैं अब तो मार्केट में और अधिक एडवांस माल आ गया है। 
ऐसे लोग भी हैं जो  किसी का गोलगप्पे आइसक्रीम आदि 
खिलाकर उद्धार कर  रहे होते हैं किसी से दसबंद माँगकर ! एक और  हैं वो उससे
 भी चार कदम आगे हैंएजो कुछ लुटे पिटे अभिनेता अभिनेत्रियाँ पकड़कर उनके बल 
पर भीड़ इकट्ठी करते हैं फिर कुछ उनसे झूठ बोलवाते हैं कुछ खुद बोलकर इस 
छलहीन समाज के सब दुःख दूर करने के मंत्रों के बीज बो रहे होते हैं सब कुछ 
करने का दावा ठोकते हैं किन्तु बेचारे मंत्र को मंत्र कहना अभी तक नहीं सीख
 पाए मंतर  या बीज मंतर ही बोलते हैं । मन्त्रों के बोलने में तो एक एक 
मात्रा का असर होता है ।अब आपही सोचिए जो  मंत्र को मंतर कहते हैं उनके 
मंत्रों  के अन्दर कितना डालडा होता होगा किसी को क्या पता ! खैर किसी का 
क्या दोष ऐसे अधर्मी धर्मवान लोग कलियुग के साक्षात् स्वरूप ही माने जा 
सकते हैं । 
    प्राचीनकाल
 में जिस ज्योतिष विद्या का इतना अधिक महत्व था कि आकाश  में स्थित सूर्य 
चंद्रमा के ग्रहण उस युग में इसी से तो पता लगा लिए जाते थे तब तो दूरबीन 
मोबाइल टेलीफोन राकेट आदि की कोई सुविधा नहीं थी। आकाश  स्थित ग्रहों की 
गति का ज्ञान करने का भी एक मात्र ज्योतिष  ही रास्ता था। एक दूसरे के सुख 
दुख का पता लगाने का भी एक मात्र ज्योतिष  ही रास्ता था।मंगल ग्रह का रंग 
लाल है,सूर्यमंडल में गड्ढा है।इसके अलावा भी जीवन से जुड़ी असंख्य 
जानकारियॉं भी तो ज्योतिष से ही मिलती थीं।ज्योतिष शास्त्र मानव जीवन का   अनंत काल से अभिन्न अंग रहा है।  
     
 वास्तु शास्त्र में किसी भूखंड  को रहने योग्य बनाने के लिए उस जमीन का 
परीक्षण पहले करना होता था। जमीन के अंदर कहॉं धन गड़ा है।कहॉ कौन हड्डी गड़ी
 है ।वैसे तो हड्डियॉ सारी जमीन में ही होती हैं किंतु यदि जीवित हड्डी 
कहीं गड़ी है तो वहॉं रहने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता 
है।जिस व्यक्ति की आयु ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से अस्सी वर्ष  हो और वह 
चालीस वर्ष की उम्र  में आत्महत्या कर ले अथवा उसकी हत्या कर दी जाए तो बचे
 हुए चालीस वर्ष  उसकी आत्मा को प्रेत योनि में रहना पड़ता है इसी प्रकार 
उसकी हड्डियॉं उतने वर्षों तक जीवित मानी जाती हैं ऐसी शास्त्र मान्यता 
है।तो उन्हें वास्तु शास्त्र से पता लगाकर निकालना होता है।वास्तु के नाम 
पर भाषण वाजी करने वाला कोई भी व्यक्ति इस तरह कि जानकारी इसलिए नहीं देता 
है कि यह विषय उसे पता नहीं है।इसमें जनता उसे फॅंसा देगी।इसी प्रकार 
कुंडली नहीं बना पाते हैं तो कंप्यूटर और वेद मंत्र नहीं पढ़ पाए तो नग 
नगीना यंत्र तंत्र ताबीजों के धंधे या उपायों के नाम पर कौवा, कुत्ता 
,चीटी, चमगादड़, मेढकों,
 मछलियों आदि की सेवा बताने लगे।सभी योनियों में श्रेष्ठ मनुष्यों को कौवे 
कुत्ते पूजना सिखाते हैं साग सब्जी आटा दाल चावलों से ,रंग रोगनों से 
,नामों की स्पेलिंग में अक्षर जोड़ घटा कर आदि सारी बातों से कर करा रहे 
होते हैं ग्रहों को खुश! यह सब ज्योतिष शास्त्र का उपहास नहीं तो क्या 
है?जो मीडिया
 और प्राच्य विद्याओं के व्यापारी मिलजुल कर कर रहे होते हैं।
   
 जैसे कई बाल बढ़ाने वाले शैम्पुओं का टी.वी.पर 
विज्ञापन किया जाता है बाद में पता लगता है कि उससे तो बाल गिर रहे होते 
हैं ।ठीक इसी प्रकार से ज्योतिष  का विज्ञापन भी समझाना चाहिए।वो सौ प्रतिशत 
झूठ पर आधारित होता है।चाहे राशिफल हो या कुछ और एक ही दिन में एक ही 
व्यक्ति के बिषय में सौ लोग सौ प्रकार का तथाकथित राशिफल नाम का झूठ बोल 
रहे होते हैं। अपने झूठ को सच सिद्ध करने 
के लिए ही ऐसा बारबार बोला भी करते हैं कि मैंने इस विषय पर रिसर्च किया है।
       
पैसे लेकर गुरू जगद्गुरू, ज्योतिषाचार्य आदि सब कुछ बना देने वाला मीडिया 
भी इस पाप में अक्सर सम्मिलित रहता है। प्रायः टी.वी.ज्योतिष  परिचर्चा 
या वाद विवाद के लिए रखे गए किसी कार्यक्रम में वैज्ञानिक वगैरह तो कोई पढ़ा
लिखा  साइंटिस्ट होता है  किंतु ज्योतिष  का पक्ष रखने के लिए कोई गोबर गणेश लाल पीले
 कपड़े पहनाकर चंदन आदि लीप पोत कर पूरी तरह भूत बना कर केवल गाली खाने के लिए 
बैठा लेते हैं,और फिर पत्रकार, दर्शक , साइंटिस्ट आदि पढ़े लिखे  प्रबुद्ध लोग छोड़ दिए 
जाते हैं उसे नोचने को या उस पर हमला करने के लिए।
    
 इस प्रकार से की तथा कराई जाती है सनातन शास्त्रों की छीछालेदरउस बेचारे 
तथाकथित  ज्योतिषी की अपनी शास्त्रीय इज्जत तो होती ही नहीं 
है,ज्योतिष शास्त्र और शास्त्रीय ज्योतिषियों की बेइज्जती जरूर करा रहा 
होता है।केवल उसे भी लोग ज्योतिषी मानें बस इतने से लालच में।
      पत्रकार चिल्ला चिल्ला कर कह रहा 
होता है कि ज्योतिषियों एवं साइंटिस्टों की महाबहस!सुनने वाले भी यही समझ रहे 
होते हैंकि ऐसा ही होगा किंतु याद रखिए कि यदि चैनल के इरादे ही नेक होते 
तो साइंटिस्ट की तरह ही वहॉं ज्योतिष  का पक्ष रखने के लिए भी किसी संस्कृत 
विश्वविद्यालय में ज्योतिष  विषय का कोई रीडर प्रोफेसर या ज्योतिष में 
एम.ए. पी.एच. डी.आदि किसी विद्वान को उस बहस में बैठाया जा सकता था तो  वो
 रख सकते थे 
ज्योतिष का सशक्त पक्ष ।समाज को समझने का वास्तव में मौका मिलता कि ज्योतिष
 है क्या? और उसकी सीमाएँ क्या हैं?किंतु इससे ज्योतिष को गाली दिलाने या 
उसकी आलोचना करने की 
चैनल की अभिलाषा अधूरी रह जाती, साथ ही ज्योतिष  के बनावटी कागजी शेरों की 
पोल भी खुल जाती कि उनकी बातों में कितना अधिक झूठ होता है?
       कितना पाखंड हो रहा है शास्त्रों के नाम पर ! 
प्रायःशास्त्रीय
 ज्योतिष से अपरिचित अनजान लोग राशिफल के नाम पर बोल रहे होते हैं सौ 
प्रतिशत झूठ,चैनलों पर पढ़ा रहे होते हैं ज्योतिष,ताकि लोग समझें कि जरूर 
पढ़े होगें नहीं पढ़ाते कैसे?  स्टूडियो के अन्दर से या अपने परिचितों या 
नाते  रिश्तेदारों से गुरू जी,माता जी आदि कह  कहाकर किए
 कराए जा रहे होते हैं फोन। कराई जाती है झूठी प्रशंसा  ।अपनी प्रशंसा में 
घर से लिखकर ले गए काल्पनिक पत्र पढ़ या किसी और से पढ़ा रहे होते हैं ।कई तो
 नेताओं मंत्रियों के साथ बनाई गई अपनी तस्वीरें दिखा रहे होते हैं । अन्य 
लेखकों की लिखी हुई किताबों का मैटर अपने नाम से  छपाकर दिखा रहे होते 
हैं मोटी मोटी किताबें।क्या कुछ नहीं होता है आम आदमी को डरा धमका कर 
भविष्य के अच्छे  अच्छे सपने दिखाकर अपनी ओर खींचने के लिए ! 
      इन्हीं सब बातों को सही सही समझने के लिए हमारे राजेश्वरी 
प्राच्यविद्या शोध संस्थान के ज्योतिष जनजागरण अभियान के तहत संस्थान
 के सदस्य बनकर सभी प्रकार के शास्त्रीय शंका समाधान के लिए सुबिधा प्रदान 
की जा रही है ।आप कहीं भी बैठ कर फोन पर भी केवल ज्योतिष ही नहीं अपितु सभी
 प्रकार की शास्त्रीय शंकाओं का समाधान पा सकते हैं। इसी प्रकार वास्तु , 
उपायों  आदि समस्त प्राचीन विद्याओं से संबंधित 
ज्योतिष शास्त्रीय प्रमाणित सच्चाई जानने के लिए हमारे राजेश्वरी 
प्राच्यविद्या शोध संस्थान के ज्योतिष जनजागरण अभियान के तहत बहुत सारी 
जानकारी संस्थान की बेवसाइट  www.grahjyotish.com पर उपलब्ध कराने का 
भी प्रयास किया गया है।जिसे आप कभी भी देख सकते 
हैं।और इसप्रकार के किसी भी 
अंधविश्वास में फॅंसने से बचने के लिए आप ज्योतिष  विषय का अपना जर्नल 
नालेज बढ़ा सकते हैं। और यदि आप ज्योतिष  वास्तु आदि समस्त प्राचीन विद्याओं
 
से जुड़ी कोई निजी जानकारी भी शास्त्र प्रमाणित रूप से लेना चाहें तो भी 
आपको संस्थान की तरफ से यह सुविधा संस्थान संचालन के लिए सामान्य शुल्क 
जमा करा कर लिखित या प्रमाणित रूप से दी जाती है। जिसमें किसी भी प्रकार की
 गलती होने पर हर परिस्थिति में संस्थान अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करता 
है।जो चीज ज्योतिष शास्त्र से संभव नहीं है। उसे स्पष्ट  रूप से मना कर 
दिया जाता है।किसी भ्रम में नहीं रखा जाता है।संस्थान केवल सलाह देता 
है।यहॉं किसी प्रकार के बिक्री व्यवसाय,या नग नगीना यंत्र तंत्र ताबीजों का
 क्रय बिक्रय या कमीशन कार्य आदि की कोई व्यवस्था नहीं होती है।हमारे 
संस्थान का उद्देश्य  केवल प्राचीन विद्याओं की जानकारी आप तक पहुँचाकर 
अंधविश्वास में फॅंसने से बचाना है।यदि आप भी किसी भी प्रकार से शास्त्रीय 
प्रचार प्रसार में संस्थान का सहयोग करना चाहें तो संस्थान आपका आभारी 
रहेगा ।   
 
 
 
 
  
 
 
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