रेल का किराया बढ़ाने पर भी हालात  वैसे ही रहते                            हैं आखिर क्यों  ?
      मैंने किसी से एक कहानी सुनी थी कि किसी 
 गाँव में एक कुत्ता रहता था वो घूम घूम कर खाता पीता था इसलिए मोटा  
ताजा  खूब हट्टा कट्टा था।एक रामू भाईसाहब  थे वो चूँकि माँस खाते थे 
उन्हें  वह कुत्ता इसलिए पसंद आ गया कि उसमें माँस खूब है और वे उसे  बड़ा लाड़ प्यार दिखाने लगे कभी कभी दूध 
रोटी भी खिलाने लगे देखने वालों को क्या एतराज था ?
इसी प्रकार अपने बच्चों से कह देते कि लुक छिप कर कुत्ते का मीट काट कर ले आओ वो आधा एक किलो काट कर ले जाता घर भर मजे से खाते! कुत्ता बेचारा भारतीय रेल की तरह रोते धोते लंगड़ाते लंगड़ाते चलता फिरता तब रामू भाई साहब दया दिखाने का नाटक करते और कुत्ते का इलाज करवाने के लिए लोगों से चन्दा इकट्ठा करते और कुत्ते का इलाज कराते ठीक भारतीय रेल की हालत सुधारने के लिए किराया बढ़ाने की तरह!
इसी प्रकार अपने बच्चों से कह देते कि लुक छिप कर कुत्ते का मीट काट कर ले आओ वो आधा एक किलो काट कर ले जाता घर भर मजे से खाते! कुत्ता बेचारा भारतीय रेल की तरह रोते धोते लंगड़ाते लंगड़ाते चलता फिरता तब रामू भाई साहब दया दिखाने का नाटक करते और कुत्ते का इलाज करवाने के लिए लोगों से चन्दा इकट्ठा करते और कुत्ते का इलाज कराते ठीक भारतीय रेल की हालत सुधारने के लिए किराया बढ़ाने की तरह!
 
      जब कुत्ते का घाव ठीक होने लगे फिर एक किलो मांस निकाल  लिया करते 
कुत्ता  कभी ठीक ही न रहने लगा। लोगों को कुछ शक होने लगा तो उन्होंने सी.बी.आई. की
 तरह उस पर निगरानी रखना शुरू कर दिया एक दिन रामू भाई साहब का लड़का रँगे 
हाथों कुत्ते का मांस काटते पकड़ लिया गया।बहुत बवाल मचा तो पहले तो रामू भाई
 साहब बोले ही नहीं जब ये खबर हर टी.वी.चैनल पर दिखाई जाने लगी तो बाद में सफेद पोशाक पहनकर  निकले और रेलमंत्री की 
तरह पत्रकार लोगों के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहने लगे कि वो हमारा बेटा
 है ये सही है किन्तु हमारी उसकी रसोई अलग अलग बनती है।हमारा उसका मीट लेन 
देन नहीं चलता है !!! रेल मंत्री की तरह उनकी भी बातों का भरोसा कोई नहीं कर रहा था!
      सरकार के हर विभाग की यही दुर्दशा है।हर विभाग में ऐसे ही मांस नोचा जा रहा है !मांस घटते ही बजट पास कर लिया जाता है !  
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