बाबाओं की प्रतिष्ठा बनाना बिगड़ना मीडिया के लिए बहुत आसान है
इधर कुछ समय से साधु संत नाम के
कुछ धर्म बिहीन अशास्त्रीय मंत्र व्यापारियों से भारतीय समाज में धर्म एवं
धार्मिकों को लेकर तमाम
प्रश्नोत्तर उठने लगे हैं!पाप इन पाखंडियों का होता है शर्मिंदा चरित्रवान
साधु संतों को होना पड़ता है उन्हें सफाई देनी पड़ती है!जिन आरोपों के लगने
से पहले मरना पसंद करेंगे हमारे चरित्रवान धार्मिक महापुरुष!वैसे आरोप
बाबाओं पर मीडिया में आम रूप से छाए हुए हैं आश्चर्य है!इसके बाद भी इन्हें
संत कहकर संबोधित कर रहा है मीडिया!न जाने मीडिया की समझ कब सुधरेगी !
मेरे विचार से आज बाबाओं के चरित्र पर प्रश्न उठाना मीडिया की गलती कही
जा सकती है क्योंकि बाबाओं की प्रशंसा और निंदा करने में केवल धन ही सबसे
बड़ा कारण है।आज हर बाबा को संत प्रचारित किया जाने लगा,कथा बाचक तक अपने को
संत लिखने या कहलाने लगे!ये मीडिया की ही देन है वो पैसे देकर जो चाहते
हैं कहलाते हैं !रही बात शास्त्रीय धार्मिक समाज न इन्हें कभी ब्रह्मचारी
मानता था और न ही आज भ्रष्ट मान रहा है।यह मीडिया जाने मीडिया का काम जाने !
पहले मलमल बाबा हर चैनल पर छाए हुए थे फिर न जाने क्या सौदा बिगड़ा कुछ बात
अनफिट हुई तो सारे चैनल पानी पी पीकर उन्हें कोसने लगे और मलमल बाबा अचानक
सब चैनलों से गायब हो गए !फिर उन्होंने चैनलों से गिला शिकवा दूर किया फिर
गोलगप्पे खिलाकर शक्तियाँ लुटा रहे हैं। अब मीडिया के किसी व्यक्ति को ऐसे
मलमलों से कोई शिकायत नहीं सुनाई पड़ती है! जबकि शास्त्रीय धार्मिक समाज
मलमल बाबा को पहले भी गंभीरता से नहीं ले रहा था न मीडिया के बताने से
उन्हें भ्रष्ट ही माना गया और न बाद में ही पवित्र स्वीकार किया गया।अब जो
हो रहा है यह सब मीडिया जाने मीडिया का काम जाने !मीडिया प्रभावित होकर
धर्म एवं धर्म शास्त्रों को मानने वाले लोग जानें !
ज्योतिष के नाम पर फर्जी झोला छाप बिना किसी विश्वविद्यालयी डिग्री वाले
ज्योतिषीय अनपढ़ों को विश्वविख्यात ज्योतिषाचार्य बताता है मीडिया! संस्कृत
विश्वविद्यालयों में ज्योतिषाचार्य एक डिग्री है जो ज्योतिष विषय में
एम.ए.करने पर मिलती है किंतु बिना डिग्री वालों को भी टी.वी.चैनलों पर ही तो ज्योतिषाचार्य बोला जा रहा है,क्या कभी मीडिया के किसी व्यक्ति ने जिम्मेदारी समझी कि जिसका परिचय वो ज्योतिषाचार्य के रूप में दे रहे हैं वो ज्योतिषाचार्य है भी कि नहीं !इसीप्रकार जिसे
योग का ककहरा नहीं आता उसे योग गुरु कहकर प्रचारित करता रहा मीडिया!कुल
मिलाकर ये कहा जा सकता है कि टी.वी.चैनलों की कृपा के बिना न कोई मलमल बाबा
बन सकता है और न ही भोग गुरु कामदेव और न ही तमाशाराम !
कोई कितना भी बड़ा विद्वान् क्यों न हो समाज और देश हित में कितना भी
शोधपूर्ण शास्त्रीय सच क्यों न बोलना चाहता हो किन्तु उसके पास
टी.वी.चैनलों को देने के लिए पैसे नहीं होते इसलिए उसकी शास्त्रीय सत्य बात
भी मीडिया में नहीं सुनी जाती किन्तु कितना भी पाप करके कोई पैसे लाकर यदि
टी.वी.चैनलों को दे तो अनपढ़ों को भी विश्वविख्यात ज्योतिषाचार्य बना देते
हैं टी.वी.चैनल! आज बाबाओं की आलोचना करने से बात नहीं बनेगी अब तो जो होना
था हो चुका किन्तु धर्म से जुड़े ऐसे लगभग सभी पाप पुरुषों को पाल पोष कर
बड़ा करने वाला तो मीडिया ही है !
दूसरी बात जो महिलाएँ या लड़कियाँ बाबाओं के आस पास या सान्निध्य में
विशेष रहती हैं वो यह क्यों नहीं समझती हैं कि ब्रह्मचर्य का पालन करना
सबसे कठिन होता है गिने चुने चरित्रवान तपस्वियों की अलग बात है भीख माँग
माँग कर आश्रम पर आश्रम बनाने वाले भिखमंगे बाजारू बाबाओं के बश का कहाँ
है ब्रह्मचर्य !ये इतने छिछले लोग हैं कि बिना किसी चरित्र और तपस्या के ही
अपने को आत्मज्ञानी, ब्रह्मज्ञानी ,सिद्ध साधक आदि सब कुछ कहने लगते हैं-
दो. सकल भोग भोगत फिरहिं प्रवचन में वैराग। जिनके ये चेला गुरू तिनके परम अभाग ॥ - श्री हनुमत सुंदर कांड
ब्रह्मचर्य का पालन जो लोग करना चाहते हैं या करते हैं उनका रहन सहन चाल
चलन खान पान आदि बिलकुल अलग होता है वे लोग जंगलों में या एकांत में रहना
रूखा सूखा खाना आदि पसंद करते हैं!फिर भी बासनात्मक चित्रों तक से परहेज
करते हैं!इनके शरीरों में तपस्या का तेज तो होता है किन्तु शौक शान श्रंगार
नहीं होता है। अक्सर इनके शरीर देखने में अत्यंत सामान्य एवं अंदर से
मजबूत होते हैं । हमें हर किसी से ब्रह्मचर्य की आशा भी नहीं करनी चाहिए
उसका एक और कारण है ,आयुर्वेद में मनुष्य शरीर के तीन उपस्तंभ बताए गए हैं
-
१.आहारअर्थात भोजन
२. निद्रा अर्थात सोना
३. मैथुन अर्थात सेक्स
उपस्तंभ अर्थात एक प्रकार के पिलर, बिल्डिंग बनाने में जो महत्त्व पिलर्स
का होता है वही महत्त्व शरीर सुरक्षा में इन तीन उपस्तम्भों का होता है ।
इसलिए आहार,निद्रा और मैथुन तीनों के घटने से भी स्वास्थ्य ख़राब होता है और
बढ़ने से भी स्वास्थ्य ख़राब होता है!फिर आश्रम, योगपीठ, प्रवचन दवा ब्यापार
आदि दुनियाँ के झूठ साँच झमेले पालने वाले संयम बिहीन लोग मैथुन अर्थात
सेक्स के बिना कैसे स्वस्थ और प्रसन्न रह सकते हैं यह बिलकुल असंभव बात है
!जो धन कमाने की ईच्छा पर नियंत्रण नहीं रख सका वो धन भोगने की ईच्छा पर
नियंत्रण क्यों रखेगा !यदि दवा दारू ही बनाना बेचना या और प्रकार के धंधे
ही फैलाने हों तो बाबा बनने की जरूरत ही क्या थी ?
इतना अवश्य है कि जो ऐसे कलियुगी ब्रह्मचारियों का शिकार बनने से बच
गया उसके लिए तो कैसे भी बाबा जी हों ब्रह्मचारी ही हैं इसलिए संयम शील
स्त्रियों या लड़कियों को इन संदिग्ध गृहस्थी बाबाओं से मध्यम दूरी बनाकर
तो चलना ही चाहिए!
अभी देश विदेश की मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है देश के सर्वाधिक प्रसिद्ध एक बाबा के द्वारा एक सोलह साल की लड़की के साथ बासनात्मक छेड़ छाड़ का मामला है!
मीडिया की कृपा से मामला तूल पकड़ गया तो बाबा जी बेचारे बहुत परेशान
हैं यद्यपि संगठनों के कुछ लोग यद्यपि बाबा जी को साफ सुथरा बताने की पूरी
कोशिश कर रहे हैं किन्तु मीडिया है कि मानने को तैयार ही नहीं है!
इस
पर सोचने लायक यह है कि उस लड़की के माता पिता को अकेले कमरे में अपनी
बेटी छोड़नी ही नहीं चाहिए थी यदि कोई बीमारी थी भी तो उसका इलाज कराना
चाहिए था ऐसे किसी बाबा के आश्रम में अपनी लड़की को अकेले पहले भी नहीं
छोड़ना चाहिए था!खैर जो हुआ सो हुआ आगे उनके यहाँ नहीं छोड़ना चाहिए था और
शांत होकर बैठ जाते!रही बात बाबा जी की तो शास्त्रीय धार्मिक लोगों के लिए
वे कभी श्रद्धा केंद्र नहीं रहे फिर भी बहुत बड़ी जन संख्या उन पर आस्था
रखती है एक लड़की के कह देने मात्र से सारे विश्व में प्रसिद्ध किसी बाबा
नुमा व्यक्ति को मीडिया में बार बार दुष्प्रचारित क्यों किया जा रहा है?
कोई आरोप लगा है उसकी जाँच चल रही है उसके बाद जो होगा सो होगा किंतु बिना
किसी जाँच के ही दुष्प्रचारित क्यों किया जा रहा है? यदि एक प्रतिशत भी
असावधानी उस लड़की से ही हो गई हो क्योंकि कोई और साक्ष्य तो था नहीं ऐसी परिस्थिति में बाबा जी की बिगाड़ी जा रही सामाजिक प्रतिष्ठा की भरपाई मीडिया कैसे करेगा?
किसी को महात्मा गुरु आदि आप मानें न मानें स्वतंत्र हैं किन्तु ऐसे बाबा
भी हमारे देश के ही नागरिक हैं बयोवृद्ध हैं प्रतिष्ठित हैं और बहुत सारे
लोगों के श्रद्धा केंद्र भी हैं ?सारे मामले की जाँच हो दोषी को दंड मिले
इसके साथ साथ इतना भी ध्यान रखा जाए कि यदि वे एक प्रतिशत भी निर्दोष सिद्ध
हुए तो उसकी भरपाई करना मीडिया के हाथ से कहीं बाहर न हो जाए !
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