Saturday, May 24, 2014

महीने के अंदर हो जाएगा हिंदुओं का मोदी से मोहभंग: मुलायम - पंजाब केशरी



      मुलायम सिंह जी यह भंग होने वाला मोह नहीं अपितु पवित्र भावना से किया गया प्रेम है जो जनता और मोदी जी दोनों ओर से ही उमड़ रहा है जनता ने मोदी जी को पूर्ण और प्रचंड बहुमत दिया है वो मोदी जी के प्रति उमड़े प्रेम का ही प्रमाण है ये तो रहा जनता का पक्ष अब जानिए मोदी जी का पक्ष ! मोदी जी जैसे हमेंशा  गरजते रहने वाले शेर दिल  आदमी को पहले भी कभी रोते देखा गया था क्या ! आखिर क्यों बात बात में रोने लगते हैं मोदी जी !ये जनता के द्वारा दिए गए प्रचंड प्रेम के एहसास का शूल है जो चुभा है मोदी जी के हृदय में कि मुझ जैसे गरीब आदमी को अपने शिर पर बैठाने में जनता जनार्दन ने कोई कसर नहीं छोड़ी है तो इस स्नेह को सँभाल कर रखने में हमसे कहीं कोई कमी न छूट जाए ! ये इस प्रेमोत्कर्ष में कृतज्ञ भाव  के आँसू होते  हैं मुलायम सिंह जी !
            इसी  प्रकार से साहित्य में प्रेम के विषय में कहा गया है  प्रेम वही है जो दोनों ओर से उमड़े और एक ओर से उमड़े दूसरी ओर से न उमड़े  इसे मोह कहते हैं जैसा आपके यहाँ होता है जनता की ओर से उमड़ता है वह बहुमत दे  देती है किन्तु आपका  प्रेम सैफई महोत्सव में नाच के लिए उमड़ता है जनता के लिए नहीं उमड़ता है । इसीप्रकार से जैसा मायावती जी का अपनी मूर्तियों एवं हाथियों की मूर्तियों के लिए उमड़ता है जनता के लिए नहीं उमड़ता है ।। मुलायम सिंह जी ! ऐसे प्रेम को मोह कहते हैं जो भंग हो जाता है ! किन्तु मोदी जी  और जनता के बीच अभी बना प्रेम सम्बन्ध जो दिनोदिन बढ़ेगा घटने की आशा ही आप मत रखिए !इसके लिए मुझे आशा ही नहीं अपितु विश्वास भी है कि मोदी जी खरे उतरेंगे !
 
          ! प्रेम नहीं है किन्तु नेता  जी !'प्रेम' ,'मोह' ,और 'लोभ'  ये तीन शब्द हैं तीनों के अंतर को समझिए जब कोई निर्जीव वस्तु को चाहने  लगे  किन्तु वह वस्तु तो उसे चाह नहीं सकती  इसलिए इसे उस व्यक्ति का लोभ कहा जाएगा !
      जब कोई व्यक्ति किसी स्त्री पुरुष आदि अपने निजी लोगों को चाहे किन्तु वो लोग उसे महत्त्व  न दें या मतलब न रखें इसे मोह कहते हैं इसमें हमेंशा ठेस लगा करती है इसलिए यह भंग अर्थात टूट जाता है !
     तीसरा प्रेम होता है जब दोनों लोग आपस में एक दूसरे से प्रेम करें तो इसे प्रेम कहते हैं जो कभी घटता नहीं है अपितु बढ़ा ही करता है यहाँ तो जनता ने मोदी से प्रेम किया है और मोदी ने जनता से प्रेम किया है  तो इसमें घटने और भंग होने का सवाल ही नहीं है


















 मोदी जी जैसे हमेंशा  गरजते रहने वाले शेर दिल  आदमी को पहले भी कभी रोते देखा गया था क्या !
         जनता का अपार स्नेह  सँभालकर रखने की जिम्मेदारी अकेले मोदी जी की ये बहुत बड़ा काम है इसलिए संसद की सीढ़ियों पर लोग पैर रखते हैं मोदी जी ने शिर रखकर शुरुआत की थी संसद की अधिष्ठात्री वास्तु देवता से यही प्रार्थना की थी कि माते ! इस जनस्नेह को सँभाल कर रख  सकने की सामर्थ्य दो !
      इसके पहले जिस प्रधान मंत्री को ऐसा प्रचंड बहुमत मिला था क्या उसे भी ऐसा करते देखा गया था !
     जिनके लिए वो अक्सर कहा करते हैं कि मैंने अटल जी , आडवाणी जी की अँगुली पकड़ कर राजनीति में चलना  सीखा  है ऐसे अपनी पार्टी के सबसे अधिक बयोवृद्ध सक्रिय राजनेता श्री अडवानी जी के पैर छू कर उन्होंने आशीर्वाद  लिया था ये व्यक्ति के नाते तो आडवाणी जी अभिवादन तो था ही साथ ही साथ एक राज नेता के नाते भी था जिन्होंने अपने परिश्रम एवं सबके सहयोग से पार्टी को विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने का गौरव दिलाया है इसप्रकार से पार्टी के स्वभाव स्वीकृत शीर्ष नेता के प्रति नमन करके आशीर्वाद लेने का अभिप्राय भी तो यही था कि हम जनता के स्नेह को  सँभाल कर रख सकेँ !

ने शिर  सौंपते  देखता था आपने रहे हैं यही इस बात का प्रमाण है        दूसरी ओर मोदी जी की आँखों में बार बार प्रेमाश्रु (प्रेम के आँसू ) आ रहे हैं ये जनता के इस समर्पण के एहसास के वहाँ

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