मुझे यह समझ में नहीं आता है कि यदि हमने सरकारी पाठ्यक्रम के हिसाब से भारतीय कानून का अनुपालन करते हुए हिंदी (ज्योतिष))
में डॉक्टरेड किया है फिर भी यदि किसी को ज्योतिष अंधविश्वास लगता है तो
उसे शिकायत हमसे नहीं सरकार से होनी चाहिए इसलिए हम फेस बुक के अपने सभी
मित्रों से केवल इतना ही निवेदन करते हैं !
यदि कोई ज्योतिष या वास्तु के किसी भी विषय में कोई भविष्यवाणी करता है और वह गलत हो जाती है अथवा वो किसी के जीवन से जुड़ी कोई समस्या या उसके समाधान बताता है किसी को किसी आधार पर लगता है कि वो गलत हैं या उसे भ्रमित किया जा रहा है या उसके साथ धोखाधड़ी की जा रही है ऐसी परिस्थिति में उसके लिए चिकित्सा पद्धति की तरह ही इसमें भी कानून के दरवाजे खुले हैं कानूनी प्रक्रिया में वो जवाब देय होगा कि किन ग्रंथों प्रमाणों के आधार पर ज्योतिर्विद ने ऐसी बात कही है वो काम उसका है वो अपना पक्ष कोर्ट में रखेगा या सजा भुगतेगा !
हर भविष्यवाणी गलत होने पर गलती ज्योतिषी की ही नहीं होती है क्योंकि ज्योतिष जैसे गंभीर विषय को सँवार कर फलित करने की सारी जिम्मेदारी केवल ज्योतिष वैज्ञानिकों की ही नहीं है आम समाज को इसमें सहयोग करने की आवश्यकता है ।कई बार जन्म पत्रियाँ गलत होती हैं या कम्प्यूटर से बनी हुई होती हैं उनमें उतनी शुद्धता न होने के कारण वो पूर्ण विश्वनीय नहीं होती हैं कई बार जिसकी जन्मपत्री लोग दिखाते हैं किन्तु दोष उसमें नहीं होता दोष घर के किसी अन्य सदस्य की कुण्डली या वास्तु आदि का होता है जिसे भुगत वो रहा होता है ऐसी परिस्थिति में उन सारी चीजों की गहन जाँच करनी होगी ,उसका खर्च भी अधिक आएगा और समय भी अधिक लगेगा ये स्वाभाविक है किन्तु जो लोग अज्ञान,कंजूसी या चालाकी के कारण उस पर लगने वाला खर्च वहन नहीं करना चाहते हैं इसका मतलब यह नहीं होता है कि हम अपनी श्रद्धा से जो चाहें सो दें पंडित जी वो लेंगे और पंडित जी मेहनत पूरी करेंगे !किन्तु ऐसा कभी नहीं होता है ज्योतिषी के साथ जैसा व्यवहार आप करेंगे ज्योतिषी भी वैसा ही व्यवहार आपके साथ करेगा ! ये कभी नहीं सोचना चाहिए कि ज्योतिषी यदि विद्वान है तो वो तो हमारा भाग्य सही सही बताएगा ही उसे परिश्रम चाहें जितना करना पड़े !ये भ्रम है जैसे बिजली किसी जगह चाहें जितनी हो किन्तु जितने बाड का बल्व लगा होता है प्रकाश उतना ही होता है ।इसी प्रकार से समुद्र में पानी चाहे जितना हो किन्तु पानी उतना ही देता है जितना बड़ा बर्तन होगा ठीक इसी प्रकार से कोई ज्योतिषी विद्वान चाहे जितना हो और किसी से सम्बन्ध चाहे जितने अच्छे हों किन्तु जितना आपका धन लगता है उतना ही ज्योतिषी का मन लगता है यदि धन नहीं तो मन नहीं, हाँ ,जैसे और जितनी चिकनी चुपड़ी बातें आप करके चले आओगे उतनी ही चिकनी चुपड़ी बातें करके ज्योतिषी लोग आपको प्रेम पूर्वक भेज देंगे !यदि आप सोचते हैं कि मैंने चतुराई से काम निकाल लिया तो ज्योतिषी सोचता है कि मैंने परन्तु पैसे कम देने में आप भले सफल हो गए हों किन्तु जिस काम के लिए आप ज्योतिषी के पास गए थे वो काम आप बिलकुल बिगाड़ कर चले आए हो लेकर कई लोग अपनी समस्याओं से निपटने के लिए ज्योतिष पर उतना विश्वास नहीं कर पाते हैं जितना अन्य माध्यमों पर जैसे कोई बीमार है तो डाक्टर जाँच पर जाँच बताते जाएँगे इलाज पर इलाज बदलते जाएँगे उसमें धन खर्च करने में उतनी दिक्कत नहीं होती है किन्तु ज्योतिष विद्वान यदि उस हिसाब से समस्या की जड़ तक पहुँचना चाहे तो काम बढ़ जाएगा जिसका खर्च भी बढ़ेगा जिसके लिए लोग तैयार नहीं होते ऐसी परिस्थिति में ज्योतिषी भी उस कठिन परिश्रम से बचते हुए उतने में ही जो कुछ संभव हो पता है वो बता कर अपना पीछा छुड़ा लेता है ऐसे लोग बाद में सोचते हैं कि भविष्यवाणी गलत हो गई जो गलत है। मेरी तो सलाह ऐसे लोगों को है कि आधी अधूरी श्रद्धा लेकर किसी ज्योतिष वैज्ञानिक के पास जाना क्यों आखिर कोई विद्वान किसी के घर बुलाने तो जाता नहीं है कि हमें दिखा लो अपनी कुंडली !
इसी प्रकार से विवाह विचार में लड़के लड़की की कुंडली मिले जाती है और सास बहू की लड़ाई होकर तलाक हो जाता है इसमें ज्योतिष का क्या दोष ?या तो पहले ही विचार सारे घर के सदस्यों को लेकर किया गया हो फिर तो बात है । इसीप्रकार विवाह के दस वर्ष बाद एक बीमार हो जाता है या नहीं रहता है या संतान नहीं होती है या व्यापार बिगड़ जाता है इसमें ज्योतिष गलत कहाँ है ? इन विषयों में विचार करने के लिए ज्योतिषी को पर्याप्त काम करने की उतनी आर्थिक स्वतन्त्रता ही नहीं मिली !इसमें ज्योतिष का क्या दोष ?
रही बात वास्तु की इसे हमेंशा तीन भागों में बाँट कर चलना होता है 33 प्रतिशत उसकी जन्म पत्री में,33 प्रतिशत वास्तु भूमि के अंदर ,और 33 प्रतिशत भवन निर्माण कला में होता है। जन्मपत्री से हमारा अभिप्राय यह है कि जब भाग्य में भवन सुख होगा तभी तो मिलेगा ऐसा प्रत्यक्ष तब देखा जाता है जब कोई किसी एक कमरे में रहते रहते एक कोठी बना लेता है जबकि उस कमरे में जगह की कमी के कारण वह किन्हीं वास्तु नियमों का पालन नहीं कर पाया फिर भी कोठी बन गई ये भाग्य है इसमें जन्मपत्री का विषय होता है। दूसरा वास्तु भूमि के अंदर से आशय उस विषय से है जब जमीन के अंदर कुछ ऐसी चीज गाड़ी गई हो या गड़ी हो जो वहाँ किसी को बसने न दे रही हो जैसे जीवित शल्य अर्थ ऐसे व्यक्ति की हड्डी जो पूर्णायु का भोग किए बिना ही किसी दुर्घटना आदि में शरीर छूट गया हो उसकी हड्डियाँ जीवित शल्य होती हैं जिनका दुरूपयोग तांत्रिक लोग किया करते हैं जो गलत है ऐसी जमीनों को शुद्ध करने के लिए ज्योतिषीय गणित के द्वारा पहले उनका पता लगाया जाता है फिर उन्हें शास्त्रीय शल्यानयन विधि से निकला जाता है । उसके बाद वहाँ रहने लायक भवन बनाया जा सकता है तीसरे नंबर 33 प्रतिशत भूमिका वास्तुकला की होती है जिसमे किस दिशा में क्या बनाना है इसमें आवश्यकतानुशार कुछ समझौते भी किए जा सकते हैं जिनका बहुत बड़ा असर नहीं होता है यदि बाकी दोनों चीजें सही हुईं तो और यदि वो दो बिगड़ गईं तो सब कुछ बिगाड़ा ही जानना चाहिए ऐसी परिस्थिति में केवल वास्तु कला किसी काम नहीं आएगी इसीलिए केवल वास्तु कला मानकर नहीं चला जा सकता है जैसा आजकल हो रहा है क्योंकि अधिकाँश दोष जमीन के अंदर होते हैं और विशेष प्रभाव वास्तु का होता है।
अब बात मौसम की सरकारी मौसम विभाग आजकल बड़ी चालाकी से काम ले रहा है जैसे अबकी बार ही अभी से बोल दिया कि सूखे की संभावना है इसका प्रमुख कारण है कि यदि पानी बरस जाएगा तो लोग खुश होकर ऐसी भविष्य वाणियाँ भूल जाएँगे और यदि बरसा नहीं हुई तो भविष्य वाणी तो सच हो ही गई !यदि इन्होंने अच्छी वर्षा होने की भविष्यवाणी की होती और फिर सूखा पड़ जाता तो दुःख में भविष्यवाणियाँ बहुत याद आती हैं सुखी लोग कहाँ सोचते हैं भविष्यवाणियों के विषय में !
सरकारी मौसमविभाग केवल चालाक ही नहीं कृषि आदि के कुछ विषयों में अप्रासंगिक भी है जैसे पशुओं का चारा आनाज आदि खाद्य सामग्री तो फसल पर ही संग्रह करना होता है इसलिए अगले काम से कम छै महीने अथवा पूरे वर्ष के मौसम की जानकारी किसान को फसल तैयार होने से पहले हो जानी चाहिए इससे वो फसल तैयार होने पर अपने एवं अपने पशुओं के लिए खाद्य सामग्री का संग्रह वर्ष भर के लिए कर लेता है !किन्तु जब वो फसल तैयार करके कुछ महीनों की खाद्य सामग्री का संग्रह करके बाक़ी फसल बेच लेता है क्योंकि उसे पता होता है कि कुछ महीने में अगली फसल आनी है। इसके कुछ महीने बाद मौसम विभाग यदि सूखे की भविष्यवाणी कर भी देता है तो किसान के किस काम की और सरकार के किस काम की क्योंकि सरकार यदि किसी अन्य देश से लेकर आपूर्ति करना भी चाहे तो समय तो उसके लिए भी चाहिए !
ऐसी परिस्थिति में मौसम विभाग क्या करता होगा कैसे करता होगा उसकी तो वाही जानें किन्तु ज्योतिषीय मौसम विभाग के विषय में विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है कि कोई भी भविष्यवाणी पचास से साथ प्रतिशत तो सच होगी ही किन्तु इसका एक लाभ और है कि इस ज्योतिषीय मौसम भविष्यवाणी को कुछ महीनों ही नहीं अपितु वर्षों पहले भी किया जा सकता है!मेरे कहने का अभिप्राय है कि यदि पचास प्रतिशत का इशारा भी किसानों तथा सरकार एवं सरकारी संस्थाओं को पहले से मिल जाए तो वो यथासंभव आवश्यक व्यवस्था कर लेंगी किन्तु ज्योतिषीय मौसम भविष्यवाणी के लिए सरकार को संसाधन उपलब्ध कराने से लेकर आर्थिक सहयोग तक में पूर्ण रूचि लेनी होगी और परिणामों में जितनी छूट सामान्य वैज्ञानिकों को मिलती है उतनी ही ज्योतिष वैज्ञानिकों को भी देनी होगी मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास भी है कि इसे देश एवं समाज का महत्वपूर्ण लाभ होगा ।
इसी प्रकार से किसी की बीमारी आदि के विषय में मान लीजिए उसे ग्रह जनित दुष्प्रभाव से बीस से सत्ताईस वर्ष बीमार रहना है तो इसका पता जन्म के समय भी लगाया जा सकता है जिससे सतर्क रहते हुए उसके उपाय करते हुए पाठ्य परहेज पूर्वक उस समय को निकला जा सकता है अन्यथा जाँच चिकित्सा में डाक्टर बदलते अस्पताल बदलते शहर शहर में या विदेशों में भी इलाज के नाम पर भटककर समय पार करना पड़ता है कई लोग तो इलाज कराते कराते सब जगह से थक हारकर किसी तीर्थ में यह सोचकर बस जाते हैं कि सब जगह इलाज कराकर थक गए अब जो होगा सो होगा और वहीँ किसी वैद्य आदि के यहाँ से कोई सामान्य दवा काढ़ा आदि लेते हैं देवी देवताओं बाबा बैरागियों आदि के दर्शन करते रहते हैं । इसी बीच वो अचानक ठीक होने लगता है और ठीक हो जाता है तब तक उसका वो बीस से सत्ताईस वर्ष अर्थात सातवर्ष का समय पार हो जाता है अब वो अपने ठीक होने का श्रेय उन उन लोगों को देने लगता है जो जो उपाय उसने बाद में किए थे जब कि वो समय के प्रभाव से बीमार हुआ था समय के प्रभाव से ठीक हो गया !यही कारण है कि प्रतिकूल समय में दवाएँ भी उतना असर नहीं करती हैं जितना करना चाहिए। इसलिए किसी व्यक्ति पर चिकित्सा को प्रभावी बनाने के लिए ज्योतिष का भी इस रूप में सहयोग लिया जा सकता है।
इन समस्त बातों में कहीं कोई लीपा पोती नहीं है चिकित्सा के क्षेत्र की तरह ही सारी सरकारी एवं कानूनी पारदर्शिता है जिसे सबको मिलजुलकर पालन करना चाहिए ज्योतिष शास्त्र को गाली देना ठीक नहीं नहीं है और न ही ज्योतिषियों को !जैसे कोई किसी अन्य सब्जेक्ट का अध्ययन करता है वैसे ही कोई ज्योतिषी ज्योतिष विषय का जैसे चिकित्सा आदि किसी अन्य क्षेत्र में डिग्रियाँ सरकारी विश्व विद्यालयों द्वारा छात्रों को दी जाती हैं वैसे ही ज्योतिष पढ़ने वाले छात्रों को पढ़ाई पूरी करने पर सरकारी विश्व विद्यालय डिग्रियाँ देते हैं ।भारतीय संविधान के दायरे में रहकर जैसे कोई भी व्यक्ति किसी भी विषय को पढ़ने में स्वतन्त्र होता है इसी स्वतंत्रता से ज्योतिषी लोग ज्योतिष पढ़ते हैं तो उनका अपराध क्या है ?
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