Wednesday, July 9, 2014

बधाई श्री अमितशाह जी को !

 भाजपा के अभिनव अध्यक्ष जी को  बहुत बहुत बधाई !

     किसको किसकी बधाई दी जाए मैंने सुना है कि उत्तर प्रदेश में अमित शाह जी ने भयंकर  परिश्रम किया है उस कारण से मोदी जी प्रधान मंत्री बन पाए इस नाते बधाई अमित शाह जी के लिए बनती है फिर एक बात आई कि आजकल पार्टी में मोदी जी की  ही चलती है और उन्होंने ही अमित शाह जी को पार्टी का अध्यक्ष बनवाया है तो मैंने सोचा कि ऐसे तो बधाई मोदी जी की बनती है तो मैंने सोचा मोदी जी को बधाई दे देते हैं तब तक विचार आया कि उस समय अध्यक्ष राजनाथ सिंह जी थे उनकी कार्यकुशलता और सुन्दर प्रबंधन को इस जीत का श्रेय जाता है यदि ऐसा न हुआ होता तो शायद ऐसे सुखद अवसर नहीं मिल पाते तो बधाई तो राजनाथ सिंह जी की बनती है तब तक जोशी जी आडवाणी जी अटल जी जैसे सभी महान नेताओं के वट वृक्षीय विराट व्यक्तित्व की साधना की ओर दृष्टि गई तो चिंतन करते ही आँखें भर आईं और अधीर हो उठा मन पहले उन्हें नमन करने के लिए !

     हे अभिनव अध्यक्ष जी ! मुझे यह संवाद अत्यंत सुखद लगा और एक क्षण के लिए कौंध गया भाजपा की संघर्ष यात्रा का विराट परिदृश्य और अपने बयोवृद्ध नेतृत्व का  त्याग तपस्या और बलिदान का जीवन ! सबसे बड़ी पार्टी होकर उभरने के बाद भी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सत्ता से खदेड़े जाते हुए देखा गया है -कैसे भूल जाया जाए वह दिन जब -

 "रो चला था देश देख उनकी विनम्रता को

                       तेरह दिनों का ताज हँसके उतारा था "

    श्री अटल जी आडवाणी जी जैसे धवल चरित्र लोगों का उपहास आज भी वो लोग उड़ाते हैं जिनका चरित्र से कोई सम्बन्ध ही नहीं है फिर भी उन्होंने रथयात्रा का रथ तो रोक ही लिया था इसलिए वो कह भी सकते हैं इसीलिए वो लोगों के सामने खिल्ली उड़ाने के लिए कहते भी हैं किन्तु उन बेचारों को यह नहीं पता है कि आप आडवाणी जी की रथयात्रा रोकने में भले ही सफल हो गए हों किन्तु उन्हीं आडवाणी जी की मनोरथ यात्रा रोक नहीं पाए थे और उसी का परिणाम है कि आज उन्हीं अटल आडवाणी जी की अँगुली पकड़ कर राजनीति में चलाए गए भाजपा के राष्ट्र साधक लालकिले पर झंडा फहराने को तैयार हैं जिस भगवा ध्वज से भगवा विरोधियों को चिढ़ थी आज उसी भगवा की छाँव में पले बढ़े लोग संसद को प्रणाम करके संसद का गौरव बढ़ा रहे हैं जिन्हें भगवा से चिढ़ थी उनका कहीं अता  पता नहीं है अजीब सा सूखा  पड़ा है वहाँ !अजीब सा सन्नाटा है! बिलकुल महाभारत समाप्त होने के बाद जैसा !ऐसा सूखा पड़ा है जिसमें कहीं कहीं कोई बबूल वृक्ष विवश है अपना आस्तित्व बनाए रहने के लिए बाक़ी भगवा ही भगवा है अब 'जय श्री राम' के अमर उद्घोष को सांप्रदायिक कहकर कैसे दबाया जा सकेगा !

       इस प्रकार का सौभाग्य छोटे बड़े समस्त भाजपा साधकों  की जिस कठिन साधना से संभव हो सका है उन समस्त साधकों को नमन करते हुए बहुत बहुत बधाई भाजपा के अभिनव अध्यक्ष जी को !



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