फाँसी की जगह सुसंस्कारों की आवश्यकता !किंतु दे कौन ?
साधू संत साधना में व्यस्त हैं बाबा ब्यापार करने में मस्त है धार्मिक कथा क्षेत्र में नचैयों गवैयों ने कमान सँभाल रखी है शिक्षा में सेक्स एजुकेशन जैसी भावनाएँ भरने की तैयारी है फैशन डिजाइनर नंगा करने पर आमादा हैं फिल्में प्यार परोस रही हैं जवानी के पहले दिन से विवाह पर्यन्त मजबूरीबश समय पास करने के लिए बनाए गये सेक्स साथियों को प्रेमी प्रेमिका समझना और तकरार हो तो उन्हें बलात्कारी बताकर पुलिस प्रशासन को कोसने लगना ,और बलात्कारियों को फाँसी जैसी सजा का प्रावधान !किंतु फाँसी जैसी कठोर सजा पाने वाले बलात्कारियों की बहन ,बेटियाँ, पत्नी, पुत्री , माताओं जैसी महिलाओं की सुरक्षा के लिए आखिर क्या प्रबंध हैं ऐसे कानूनों में ?आखिर उनका दोष क्या होता है ?जबकि सबसे अधिक प्रताड़ना उन्हें सहनी पड़ती है !इसलिए कोई ऐसा रास्ता क्यों न खोज जाए जिससे ऐसी महिलाओं की भी हो सके सुरक्षा !
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