वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई के जन्म दिवस पर कोटिशः नमन !
        क्षमा याचना के साथ विनम्र निवेदन !
         माते !आपने जिस देश प्रेमी भावना से  भारत वर्ष की गौरवमयी  अस्मितता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी आज उसी भारत वर्ष की मर्यादाएँ उन्हीं अपनों के द्वारा तार तार की जा रही हैं! जिन फिरंगियों से लड़ते लड़ते आप घायल होकर जिन महात्मा जी की कुटिया के पास गिरी थीं और प्राण त्यागने से पहले आपने महात्मा जी से कहा था कि फिरंगी हमारा पीछा कर रहे हैं वो घोड़े पर सवार हैं आ ही रहे होंगे आप मेरे  शरीर  को फिरंगियों से स्पर्श मत होने देना यह कह कर आपने प्राण छोड़ दिए थे आप कि इच्छा पूर्ति के लिए उन महात्मा जी ने अपनी कुटिया में ही आग लगा दी थी तब तक घुड़ सवार अंग्रेज सैनिक आ गए किन्तु वे आपके पावन शरीर को छू भी नहीं पाए थे  उस आग में जलकर आपका शरीर पञ्च तत्व में विलीन हो गया  था !
      फिरंगियों के स्पर्श से आपके शरीर को तो बचा लिया गया था  किन्तु  हमें माफ करना हम आपके दुलारे भारत को नहीं बचा पाए फिरंगियों के स्पर्श से !आज भी जैसा वो चाह रहे हैं वैसा ही कर रहे हैं!वैसा ही देश में हो रहा है !
      सरकारें जब बनाई जाती है तो नेताओं के अयोग्यता प्रमाण पात्र मँगाए जाते हैं जो जिस विषय में जितना अधिक अयोग्य होता है उसे उस विषय का उतना बड़ा पद दे दिया जाता है जैसे घपले घोटाले के कारण जिसकी देश में बदनामी होती हो उसे विदेशमंत्री बना दिया जाता है ,जो कभी चुनाव न जीत सकता  हो  उसे प्रधान मंत्री बना दिया जाता है जिसे कभी किसी ने बोलते न सुना हो उसे लोक सभा  स्पीकर बना दिया जाता है जिसका  प्रदेश की राजनीति से आगे कोई राष्ट्रीय प्रवेश ही न रहा हो उसे राष्ट्रपति इसी प्रकार और भी सारे पद लिए दिए जा रहे हैं । 
    जिन पर समस्त पूर्वजों समेत आप को बड़ा सहारा था आज आपके देश में बनावटी नेता और
 बनावटी बाबा देश को लूट लूट कर अपने अपने घर एवं आश्रम भर रहे हैं 
बलात्कार जैसे अपराधों में बड़े बड़े लोग फँसते दिखाई दे रहे हैं भ्रष्टाचार 
तो धर्म  ,राजनीति और व्यापार का अंग सा बनता जा रहा है। सरकारी नौकरी उन्हें दी
 जा रही हैं जो या तो कम करने लायक नहीं हैं या काम करना नहीं चाहते हैं  
या काम करते नहीं हैं जो काम करते भी हैं उन्हें भी रोका जा रहा है सरकारी 
स्कूलों को शिक्षा मुक्त रूप में संचालित किया जा रहा है किसी की  कहीं कोई जवाब 
देही नहीं है । 
 
             डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 
संस्थापक -राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान   
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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