Saturday, November 9, 2013

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     भाजपा के लिए प्राण प्रण से तपे  तपाए सद्गृहस्थ महात्माओं की उपेक्षा हो रही है और बड़बोले बाबा हरिद्वार से समर्थन के लिए मँगाए जा रहे हैं जो भाजपा की नीतियों के बारे में    

      


इन आचरणों से काँग्रेसी  केंद्र सरकार का निरंकुश होना स्वाभाविक ही था। 

    

   वैसे भाजपा से शिक्षित स्वयंसेवी  जीवितविचारों वाले गैर राजनैतिक लोगों को उम्मीद थी कि भाजपा हमारे  भी बौद्धिक योगदान पर अमल करेगी किन्तु ऐसा नहीं हो सका!और एक बहुत बड़ा वर्ग निराश हुआ है ।इसलिए भाजपा को अब चाहिए कि अपने बचनों और मुद्दों पर कायम रहे । जैसे समान नागरिक संहिता, धारा 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दे  कभी एजेंडे में रखे जाते हैं कभी नहीं।आखिर आम जनता क्या समझे कि आप इनके पक्ष में हैं या विपक्ष में ? यह सब क्या है देश सभी राजनैतिक दलों की चालाकी समझता है इसलिए अब बंद होनी चाहिए शार्टकट की तलाश!और निश्चित मुद्दे बनाए जाएं उर उनपर कायम रहा जाए जो आम जनता के विश्वास को मजबूत करेगा । 

    जैसे रामकृष्ण यादव जी ही हैं ! इसलिए वास्तव में भाजपा के शुभ चिंतक हैं तो उन्हें अपनी निश्चित पहचान समाज के सामने प्रस्तुत करनी चाहिए !कि वो किस हैसियत से भाजपा की  मदद करना चाहते हैं क्योंकि किसी के प्रति भी आधा अधूरा समर्पित होना न उसके लिए हितकारी है और न ही अपने लिए !

       बाबाओं को भी अपनी पहचान तो स्पष्ट करनी चाहिए 

    इस समाज में हर कोई स्वतन्त्र है जो लोग अपने को बाबा सिद्ध करना चाहते हैं तो भजन करें ,विरक्त हैं तो दुनियाँ के आडम्बर से क्या लेना देना! योगी हैं तो योग पंथ का प्रचार प्रसार करें, बैद्य हैं तो दवा बनाएँ, व्यापारी हैं तो खुलकर व्यापार करें और यदि देश की इतनी ही चिंता है तो खुल कर आवें न राजनीति में और करें देश की सेवा कौन रोक सकता है किसी को !दश सेवा भी अत्यंत पवित्र काम है !

     बिरक्ति में मन न लगने के कारण जिससे  भजन नहीं होता है तो कोई बात नहीं भजन करना कौन आसान है भजन के नाम पर जबर्दश्ती अपनी नाक पकड़ कर क्यों बैठना ?यदि बेचनी ही दवा है करना ही व्यापार या राजनीति है तो ब्यर्थ की सधुअई में  समय बर्बाद क्यों करना?दाड़ा झोटा बढ़ाने की आखिर मज़बूरी क्या है जब भजन में मन नहीं लगता है वैसे भी सांसारिक प्रपंचों में फँसे लोग भजन करते कब हैं? इस लिए अपनी इस तथाकथित  मनमानी सधुअई  से वास्तविक विरक्त संतसमाज को संकट में नहीं डालना चाहिए जिनको सांसारिक प्रपंचों से कुछ लेना देना ही नहीं होता है उन्हें क्यों फँसाना ?अपनी पहचान स्पष्ट कर देने से विरक्त संतों की गरिमा तो बची रह जाएगी जिन बेचारों का दीन दुनियाँ से कुछ लेना देना ही नहीं है ऐसे बाबाओं की सजा वे सदाचारी बीतरागी तपस्वी ज्ञानवान दीन दुनियां से दूर केवल ईश्वर भजन में लगे लोग भी भुगतते हैं !

 

इसलिए रामकृष्ण यादव जी को अपनी पहचान स्पष्ट कर देनी चाहिए तब भाजपा को इनका साथ लेने का लाभ मिल सकता है । 

     अभी तक तो एक ही प्रश्न है कि वो हैं क्या?यदि उनका उद्देश्य अपना काला मन सम्हालने के लिए स्वामी बनना था तो रामदेव बने ठीक किया किन्तु क्या उनके विरक्त जीवन लक्ष्य पूरा हो गया?क्या ठीक हो गया उनका काला मन! और यदि अपना काला मन ठीक नहीं कर सके तो वही करते रहते मुद्दा क्यों बदल दिया आखिर क्यों बीच में उठा लिया काले तन अर्थात बीमार शरीरों को स्वस्थ करने का मुद्दा न केवल बड़ी बड़ी बातें करने अपितु रोगों कि लम्बी लम्बी लिस्टें पढने लगे टी. वी. चैनलों पर बड़े दिन पेट हिलाया क्या सब लोग स्वस्थ हो गए और यदि नहीं तो वही करते रहते अर्थात बीमारियाँ घटी नहीं तो मुद्दा क्यों बदल दिया ? आखिर क्यों बीच में उठा लिया काले धन को विदेशों से भारत लाने का मुद्दा ? कब तक टिकेंगे इस पर कह पाना कठिन है । 

    अब सुना है कि आजकल मोदी जी के समर्थन में उतरे हैं किन्तु जिसके अपने समर्थक ही नहीं हैं वह किसी का समर्थन करके सहयोग क्या करेगा? यदि समर्थक होते तो उस दिन सरकारी मशीनरी के विरुद्ध कुछ न कुछ दिन तो धरना प्रदर्शन करते जब रात में  रामदेव को खदेड़ा गया था। वो रामदेव मोदी जी की  हिम्मत बँधा रहे हैं जिनकी अपनी हिम्मत इतनी आसानी से टूट जाती है यदि थोड़ा  भी साहस होता तो बाबाओं के कपड़े  छोड़ कर औरतों के कपड़ों में कभी न भागते !उसके बाद क्या अद्भुत रुदन था उन  रामकृष्ण यादव जी  और बाल कृष्ण जी का !जब रोते हुए मीडिया के चैनलों पर प्रकट हुए थे!

    आज भाजपा का समर्थन कर रहे हैं वो भाजपा अभी इतनी कमजोर नहीं हुई है जो ऐसे कमजोर बाबाओं के बल पर चुनावों में जाए !ऐसे बड़बोले लोगों की  बातों से भाजपा का नुकसान तो हो सकता है फायदा नहीं इसलिए भाजपा को अपने बल पर आगे बढ़ना चाहिए वैसे भी  वैराग्य बिहीन बनावटी बाबाओं के बिरुद्ध समाज में आज आक्रोश है !समाज महात्मा को केवल विरक्त ही देखना चाहता है समाज का सीधा सा प्रश्न है कि जब सारा प्रपंच करना ही है तो बाबा किस बात के?वैसे भी बाबा वेष  में धन कमाने के लिए किसने कहाँ  कितना बड़ा पाप कर रखा है किसी को क्या पता ?भाजपा इनकी वकालत किस मुद्दे पर किस सीमा तक कर पाएगी यह भी सोचना चाहिए 

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