Friday, November 8, 2013

भाजपा सरकार की जगह मोदी सरकार क्यों ? भाजपा कहने में कोई दोष है क्या ?

मोदी मन्त्र जपते जपते फील गुड की ओर बढ़ रही है भाजपा !    

   केवल मोदी जी का गुणगान करने से भला नहीं होगा !क्या हम लोग एक बार फिर फीलगुड की ओर नहीं बढ़ते जा रहे हैं ?केवल मोदी जी के गुणगान  कर लेने भर से भला नहीं होगा अपितु हमें भी राष्ट्र के लिए समर्पित सामाजिक वातावरण तैयार करने का संकल्प लेना होगा ।मोदी माहात्म्य इतना अधिक बढ़ा चढ़ा कर महिमा मंडित किया जा चुका है कि यदि भाग्यवश सरकार बन ही जाए तो जनता से किए गए वायदे समय सीमा पर पूरा करना काफी टेढ़ी खीर होगी और रही बात जनाकांक्षांओं की किन्तु उन पर खरा  उतर पाना ऐसे तो काफी कठिन होगा,जिसके लिए सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को मिल जुल कर समर्पण एवं जिम्मेदारी पूर्वक काम करना होगा । 

        जो  लोग मोदी सरकार समझकर यह सोचते हैं कि मोदी जी अकेले जादू की छड़ी घुमाकर सब कुछ ठीक कर देंगे यह भावना बिलकुल ठीक नहीं है ।कई बार देश में देश की सरकार या प्रदेशों में प्रांतीय सरकारों के बदलने पर भी काम पहले की तरह ही चलता रहता है  यहाँ तक कि पिछली सरकार की जिन नीतियों का विरोध करके नई सरकार आई होती है किन्तु कार्यशैली सारी पिछली सरकार की तरह ही बनी रहती है अब दिल्ली नगर निगम को ही लें यहाँ तो भाजपा है तो क्या हुआ पहले भी बिना घूस दिए काम नहीं होता था आज भी नहीं होता है पहले भी निगम स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती थी आज भी वे घनघोर अकर्मण्यता के शिकार हैं निगम से जुड़े अधिकाँश अधिकारी कर्मचारी यहाँ तक कि निगम स्कूलों के शिक्षक अपने बच्चे भी निगम स्कूलों में नहीं पढ़ाते हैं आखिर क्यों ! इसी प्रकार से आज भी निगम स्कूलों से लेकर  चिकित्सालय  तक  सब निरुद्देश्य होकर भटक रहे हैं !दिल्ली नगर निगम में आखिर क्यों नहीं हो पा रहा है सुधार !यहाँ तो नगर निगम में भाजपा ही है यदि सुधार कर पाना भाजपा के बश में है तो दिल्ली नगर निगम में पारदर्शिता लाई जानी चाहिए और सुधार दिखना भी चाहिए ! और यदि भाजपा के बश में नहीं है तो फिर बात हो सकती है मोदी जी की ,और मानना पड़ेगा कि भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता  अब भाजपा की कार्यशैली से निराश हो चुके हैं इसीलिए अब वे भाजपा का नाम भी कम ले रहे हैं या लेने से बच रहे हैं और भाजपा सरकार की जगह मोदी सरकार की बात करने  लगे हैं आखिर भाजपा सरकार ही बनती तो क्या नुकसान हो जाता !मोदी सरकार से उनका अभिप्राय क्या है ?

    कोई कितना भी अच्छा प्रधान मंत्री क्यों न आ जाए लट्ठ के बल पर शासन वह भी नहीं चला सकता है।इस समय सामाजिक माहौल इतना अधिक बिगड़ चुका है सहन शीलता बिलकुल समाप्त हो रही है परिवारों संस्कारों स्वजनों के प्रति आत्मीय भावनाएं बिलकुल मरती जा रही हैं आज तो समाज में संस्कारों का सृजन करने वाले बाबा लोग भी बलात्कार और व्यापार करते पाए जा रहे हैं स्वदेशी के नाम पर दवा दारू सब बेच रहे हैं व्यापार आदि सब कुछ करने लगे हैं विदेश से कालाधन लाने के लिए उछलते घूम रहे हैं किन्तु समाज में संस्कार सृजन जो उनका मुख्य काम था उसमें उनका मन नहीं लगता है जिस गाय के पास दूध होता है वही पेन्हाती है इसी प्रकार जिस बाबा के पास संस्कार होंगे उसी का मन संस्कार बाँटने में लगेगा जिसके अपने ही संस्कार ख़राब होंगे वो क्या दूसरे का संस्कार सुधारेंगे ? बाबाओं की गिद्ध दृष्टि अब धन पर लगी है किसी को काला  पीला धन  किसी को जमीन में गड़ा  हुआ  धन चाहिए !

         कथा बाचक लोगों का काम संस्कार देना था वो भागवत कथाओं के नाम पर भोगवत कथाएँ   करते नाचते गाते घूम रहे हैं ये लोग  योग और संस्कारों को सिखाने के नाम पर लाखों रूपए माँगते हैं । 

       सरकारी प्राइमरी स्कूलों में चले जाओ कोई अध्यापक पढ़ाना ही नहीं चाहता जो पढ़ाना भी चाहते हैं उन्हें  भी उन्हीं के बीच के काम चोर अध्यापक पढ़ाने ही नहीं देते। बच्चों के भविष्य से कैसे खेल रहे हैं  ये लोग ? अध्यापक समय से स्कूल नहीं जाते ,कक्षाओं में नहीं जाते केवल मीटिंग चला करती हैं कि बच्चों को पढ़ाया कैसे जाए किन्तु बच्चों से कभी किसी अध्यापक का लेना देना ही नहीं होता ऐसी  कामचोरी के चंगुल से निकले बच्चे क्या चरित्रवान ईमानदार निकलेंगे ?और निकल ही आवें तो वो उनका भाग्य और उनके परिवार के संस्कार! अधिकारी इतने लापरवाह हैं कि स्कूलों में झाँकने नहीं जाते हैं जाते होते तो कुछ तो असर होता !अंधे पीसें कुत्ते खाएं  वाली दशा है कोई बात कहो तो कहते हैं लिखित कम्प्लेन दो! क्या बिना कम्प्लेन उनका अपना कोई कर्तव्य नहीं है ?

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्कारों से सुसंस्कारित भाजपा का कब्ज़ा दिल्ली के दो एम.सी. डी.जोन में है एम.सी. डी.के स्कूलों में शिक्षा की क्या दुर्दशा है वहाँ जाकर देखा जा सकता है । इसका मतलब यह कतई नहीं है कि जहाँ काँग्रेस का कब्ज़ा है वहाँ सब ठीक है वहाँ भी वही दुर्दशा है ! इसलिए यदि एक जैसी स्थिति ही रहनी है तो क्या काँग्रेस क्या भाजपा ?भाजपा यदि देश में सुशासन देने का दावा करती है तो उसे चाहिए कि कम से कम राष्ट्रीय राजधानी के एम.सी. डी.स्कूलों में ही कुछ अच्छा करके दिखाए तो जनता खुद चिल्लाती फिरेगी कि भाजपा अच्छा काम  कर रही है उसी से भला होगा, अपने मुख मियां मिट्ठू बनने से कुछ नहीं होगा !स्कूलों में जाकर देखा जा सकता है कि  शिक्षा विभाग के एम.सी. डी.दुलारे क्या गुल खिला रहे हैं !भाजपा के किसी व्यक्ति का इस ओर ध्यान जाता नहीं दिख रहा है।भाजपा कार्यकर्ताओं पर संघ के शिक्षा संस्कार एम.सी. डी.के स्कूलों की शिक्षा के विषय में  निष्फल दिख रहे हैं !

     धर्म से लेकर शिक्षा तक से जुड़े धर्म एवं कर्तव्य भ्रष्ट लोगों ने समाज को ऐसे रसातल में पहुंचा दिया है कि आज दो दो वर्ष की बच्चियों से बलात्कार हो रहे हैं कितने शर्म की बात है !ऐसी बीमार परिस्थिति में अकेले नरेंद्र मोदी जी क्या कर लेंगे ? निस्संदेह वो बहुत अच्छे एवं कर्तव्य के प्रति समर्पित व्यक्ति हैं उनकी परिश्रम शीलता एवं ईमानदारी पर शक करने की कोई गुंजाइस ही नहीं है उनकी टीम भी उनके अनुरूप होनी चाहिए जो अभी तक नहीं है अन्यथा राजधानी के एम.सी. डी.स्कूलों में शिक्षा की यह हालत नहीं होती!

       इसलिए सुधारना सबको होगा और सबको संकल्प लेकर हर घर हर वर्ग हर समाज के प्रतिष्ठित बयोवृद्ध  लोगों में संतों की  परिकल्पना करनी होगी और ईमानदारी पूर्वक सबसे प्रार्थना करनी होगी कि सभी लोग मिलजुल कर समाज को सबसे पहले बलात्कार भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने में मदद करें ! इसके बाद देखा जाएगा कि क्या करेगी सरकार !अन्यथा किसी सरकार से जादू की छड़ी लेकर आने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए - धन्यवाद

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