लालच  600 रुपए महीनें का !   आखिर फ्री  में क्यों देने ?
                     600 रुपए महीनें फ्री  में क्यों देने ?
        जिसके  हाथ पैर ठीक हैं शरीर स्वस्थ है उन्हें फ्री में पैसे देकर  आदत क्यों बिगाड़नी ?आखिर किसी के लिए ये फ्री में दिया जाने वाला पैसा आएगा कहाँ से ?  किसी से लेकर किसी को देना है तो ऐसा करना ही क्यों ?आखिर ये कब तक चलेगा ?जब तक कुछ  परिश्रमी लोग सरकारी तंत्र पर विश्वास करना छोड़ नहीं देते ?
   जो लोग काम करने लायक नहीं हैं उनकी तो चलो मजबूरी है किन्तु जो काम  करने लायक हैं उन्हें तो काम चाहिए कृपा नहीं !और ऐसा काम जिससे भर पेट भोजन की व्यवस्था हो सके।ये सबको पता है कि इतने कम पैसों में क्या होगा महीनें का ?ये सरकार को भी पता होगा किन्तु फिर भी  दयालु सरकार को ये बात चुनावों के समय ही याद क्यों आई?आखिर इतने वर्षों से सरकार थी ?यद्यपि ये हर चुनावों के समय हर किसी की बात है कोई प्लाट बाँटता है कोई मकान देने की बात करता है।कोई दल देश में  आरक्षण  की आग लगाने के लिए पलीता लिये घूम रहा है।
     कुछ लोग तो जब कुछ करने लायक होते हैं तब अपनी एवं अपने आकाओं की मूर्तियाँ बनवाने लगाने में जनता की गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा नष्ट कर रहे होते हैं और जब जनता धक्का देकर  हटा देती है तब उन्हें गरीब एवं गरीबत याद आती है।अब क्या फायदा रोने धोने से ?
    वैसे पहले भी चरित्रवान महापुरुषों की मूर्तियाँ लगाने या चित्र टाँगने की पवित्र परंपरा अपने यहाँ  रही है  किन्तु जिनका कुछ प्रेरणा प्रद चरित्र रहा हो जिन्हें देखकर लोग कुछ सीख सकें।जिनके प्रति आम समाज में श्रृद्धा होती तो ठीक होता  उनकी मूर्तियों की सुरक्षा पर होने वाला खर्च ही कम से कम बचता!किन्तु घोटाले करने  के कारण सरकारी जाँच एजेंसियों के भय से जो लोग भयभीत हैं और अपनी जान बचाने के लिए केंद्र सरकार के घाँघरे में छिपकर  उसी की हाँ में हाँ मिला रहे हैं  ऐसे घोटालू लोगों से क्या प्रेरणा लेंगे लोग ?ऐसे लोगों की मूर्तियाँ देखकर लोग  हमेंशा घृणा करते रहेंगे।ऐसे पापप्रिय लोगों की पहले मूर्तियाँ लगाने में देश का धन बरबाद किया जाए फिर उनसे घृणा करने वालों से बचाकर रखने की सुरक्षा पर खर्च ! आखिर बरबाद करने के लिए इतना धन सरकारों के पास होता है इसके बाद भी चाहे जितना लगे किन्तु गरीबों के लिए 600रूपए मात्र !
 अभी कुछ लोग मंदिर मस्जिद मुद्दा धो पोंछ कर जनता के सामने रखेंगे ।जिसका मुद्दा चल गया उसकी सरकार बन जाएगी फिर सारे मुद्दे जहाँ के तहाँ बंद करके रख दिए जाएँगे। 
 सभी राजनैतिक दलों से मेरा निवेदन मात्र इतना है कि आप जनता को अपना पन देने की जगह ये सब क्या कर रहे हैं आखिर कब तक चलेगा यह खेल ?   
    
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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