अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी- अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवी
किन्हीं
दो या दो से अधिक लोगों का नाम यदि एक अक्षर से ही प्रारंभ होता है तो ऐसे
सभी लोगों के आपसी संबंध शुरू में तो अत्यंत मधुर होते हैं बाद में बहुत
अधिक खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनकी पद-प्रसिद्धि-प्रतिष्ठा
-पत्नी-प्रेमिका आदि के विषय में पसंद एक जैसी होती है। इसलिए कोई सामान्य
मतभेद भी कब कहॉं कितना बड़ा या कभी न सुधरने वाला स्वरूप धारण कर ले या
शत्रुता में बदल जाए कहा नहीं जा सकता है।
जैसेः-राम-रावण, कृष्ण-कंस आदि।
अन्ना हजारे के आंदोलन के तीन प्रमुख ज्वाइंट थे अन्ना हजारे ,
अरविंदकेजरीवाल एवं अग्निवेष जिन्हें एक दूसरे से तोड़कर ये आंदोलन ध्वस्त
किया जा सकता था। इसमें अग्निवेष कमजोर पड़े और हट गए। दूसरी ओर जनलोकपाल के
विषय में लोक सभा में जो बिल पास हो गया वही राज्य सभा में क्यों नहीं पास
हो सका इसका एक कारण नाम का प्रभाव भी हो सकता है। सरकार की ओर से
अभिषेकमनुसिंघवी थे तो विपक्ष के नेता अरूण जेटली जी थे। इस प्रकार ये सभी
नाम अ से ही प्रारंभ होने वाले थे। इसलिए अभिषेकमनुसिंघवी की किसी भी बात
पर अरूण जेटली का मत एक होना ही नहीं था।अतः राज्य सभा में बात बननी ही
नहीं थी। दूसरी ओर अभिषेकमनुसिंघवी और अरूण जेटली का कोई भी निर्णय अन्ना
हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल को सुख पहुंचाने वाला नहीं हो सकता था। अन्ना
हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल का महिमामंडन अग्निवेष कैसे सह सकते थे?अब अन्ना
हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल कब तक मिलकर चल पाएँगे?कहना कठिन
है।असीमत्रिवेदी भी अन्नाहजारे के गॉंधीवादी बिचारधारा के विपरीत आक्रामक
रूख बनाकर ही आगे बढ़े। आखिर और लोग भी तो थे। अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले
लोग ही अन्नाहजारे से अलग क्यों दिखना चाहते थे ? ये अ अक्षर वाले लोग
ही अन्नाहजारे के इस आंदोलन की सबसे कमजोर कड़ी हैं।
अन्नाहजारे की
तरह ही अमर सिंह जी भी अ अक्षर वाले लोगों से ही व्यथित देखे जा सकते हैं।
अमरसिंह जी की पटरी पहले मुलायम सिंह जी के साथ तो खाती रही तब केवल आजमखान
साहब से ही समस्या होनी चाहिए थी किंतु अखिलेश यादव का प्रभाव बढ़ते ही
अमरसिंह जी को पार्टी से बाहर जाना पड़ा। ऐसी परिस्थिति में अब अखिलेश के
साथ आजमखान कब तक चल पाएँगे? कहा नहीं जा सकता। पूर्ण बहुमत से बनी उत्तर
प्रदेश में सपा सरकार का यह सबसे कमजोर ज्वाइंट सिद्ध हो सकता है
चूँकि
अमरसिंह जी के मित्रों की संख्या में अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही
अधिक हैं इसलिए इन्हीं लोगों से दूरियॉं बनती चली गईं। जैसेः- आजमखान
अमिताभबच्चन अनिलअंबानी अभिषेक बच्चन आदि।
इसी प्रकार और भी उदाहरण हैं।
कलराजमिश्र-कल्याण सिंह
ओबामा-ओसामा
अरूण जेटली- अभिषेकमनुसिंघवी
मायावती-मनुवाद
नरसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी
लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद
परवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान
भाजपा-भारतवर्ष
मनमोहन-ममता-मायावती
उमाभारती - उत्तर प्रदेश
अमरसिंह - आजमखान - अखिलेशयादव
अमरसिंह - अनिलअंबानी - अमिताभबच्चन
नितीशकुमार-नितिनगडकरी-नरेंद्रमोदी
प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन
दिल्ली भाजपा के चार विजय
विजयेंद्र - विजयजोली
विजयकुमारमल्होत्रा- विजयगोयल,
राहुलगॉधी - रावर्टवाड्रा -
राहुल के पिता श्री राजीव जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम रा अक्षर से था
इसीप्रकार रावर्टवाड्रा और उनके पिता श्री राजेंद्र जी इन दोनों पिता
पुत्र का नाम भी रा अक्षर से ही था। दोनों को पिता के साथ अधिक समय तक
रहने का सौभाग्य नहीं मिल सका ।
नाम विज्ञान की दृष्टि से अब राहुलगॉधी के राजनैतिक उन्नत
भविष्य के लिए रावर्टवाड्रा का सहयोग सुखद नहीं दिख रहा है क्योंकि
यहॉं भी दोनों का नाम रा अक्षर से ही है।
इसीप्रकार भारतवर्ष में भाजपा की स्थिति है इसीलिए उसे राजग का गठन करना पड़ा जबकि
भाजपा से कम सदस्य संख्या वाले अन्यलोग पहले भी प्रधानमंत्री बन चुके हैं ।
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