Sunday, October 21, 2012

रावण के जनम का रहस्य !

   रावण का पुतला ही  क्यों उसकी मॉं का क्यों नहीं ?


  एक बार शाम के समय रावण के पिता जी पूजापाठ संध्यादि नित्य कर्म कर रहे थे।उसी समय रावण की मॉं के मन में पति से संसर्ग  की ईच्छा हुई वह रावण के पिता अर्थात अपने पति विश्रवा ऋषि के पास पहुँची और  उनसे संसर्ग  करने की प्रार्थना करने लगी।यह सुनकर तपस्वी विश्रवाऋषि ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया किंतु वह हठ करने लगी अंत में विवश  होकर विश्रवा ऋषि  को  पत्नी की ईच्छा का सम्मान करते हुए उससे संसर्ग करना पड़ा जिससे  वह गर्भवती हो गई । यह समझ कर विश्रवा ऋषि  ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा कि देवी मैंने आपको रोका था कि यह आसुरी बेला है। इसमें संसर्ग नहीं करना चाहिए तुम मानी नहीं, अब तुम्हारे इस गर्भ से महान पराक्रमी राक्षस जन्म लेगा हमारा अंश  होने के कारण विद्वान भी होगा।इसी गर्भ से रावण का अवतार हुआ था।
      यह कथा प्रमाणित है। यदि यह बात सही है तो न्याय  यह है कि जब रावण के अवतार से पहले ही उसके राक्षस बनने की भूमिका बन चुकी थी जिसकी मुख्य कारण उसकी माता एवं सहयोगी पिता थे।उस समय रावण तो कहीं था  ही  नहीं  जब उसके राक्षस होने की घोषणा कर दी गई थी। अब कोई बता दे कि बेचारे रावण का दोष क्या था? 

   अपने को देवता मानने वाले पापी कलियुगी बेशर्मों को रावण का पुतला जलाने में उनकी आत्मा उन्हें धिक्कारती क्यों नहीं है?
      सिद्धान्त है कि गर्भाधान के समय माता पिता में जितने प्रतिशत वासना होगी  होने वाली संतान में उतने प्रतिशत रावणत्व होगा और जितने प्रतिशत  उपासना होगी उतने प्रतिशत रामत्व होगा।
      यह बात सबको सोचने की जरूरत है सबको अपने अपने अंदर झॉंकने की जरूरत है कि क्या हमारे बच्चे बासना से नहीं हो रहे हैं ?रावण के सारे बच्चे अपने पिता के इतने आज्ञाकारी थे कि पिता की गलत ईच्छा की बलिबेदी पर बेशक शहीद हो गए किंतु पिता की आज्ञा नहीं टाली। वे सब शिव भक्त और सब पराक्रमी थे सब वेदपाठी थे और सब परिश्रमी थे।
       आज अपने माता पिता को वृद्धाश्रम भेज देने वाले लोग,शिव आदि देवताओं की पूजा से दूर रहने वाले घूसखोर आलसी लोग,रावण ने सीताहरण किया था बलात्कार नहीं, आज के बलात्कारी लोग कहॉं तक कहा जाए लुच्चे टुच्चे छिछोरे घोटालेवाज लोग रावण का पुतला जलाकर उसका क्या बिगाड़ लेंगे  इससे श्रीराम नहीं बन जाएँगे।अगर अपने घरों में धधकती प्रतिशोध की ज्वाला बुझा लो तो भी कल्याण हो सकता है। कुछ नचइया गवइया कथाबाचकों ने हमलोगों की बुद्धि कुंद कर दी है जिससे हम यह सोचने लायक भी नहीं रह गए कि अपने घरों का आचरण खाने पीने से पहिनना ओढ़ना बात व्यवहार आदि में श्रीराम बाद के पास तो नहीं ही रहे नीचता में रावण बाद को भी लॉंघ चुके हैं।
      हमारी भक्तराज रावण पुस्तक में यह विषय डिटेल किया गया है कि आपसे पैसे लूटने के लिए किसी साजिश  के तहत आपके मनों में रावण के पुतले के प्रति घृणा घोली गई है । आज श्रीराम वाद के  द्वारा  अपने एवं अपने परिवारों को सुधारने की जरूरत है !  

   बंधुओ ! आपको पता होगा कि रावण ज्योतिष का बहुत बड़ा पंडित था जिसके आधार पर वो भूत भविष्य वर्तमान जान लिया करता था !किंतु दुर्भाग्य से अनपढ़ लोग बिना कुछ जाने समझे ही रावण से घृणा करने लगे उसकी ज्योतिष आदि विद्वत्ता को समझ नहीं पाए!

    बंधुओ ! मैंने उसी शास्त्रीय ज्योतिष पर BHU (काशीहिन्दू विश्व विद्यालय) से Ph.D.की है !ज्योतिष काफी सटीक होती है जिसके द्वारा भूत भविष्य का सटीक ज्ञान किया जा सकता है     
इसी विषय में पढ़िए हमारे ये लेख भी -
  •  दशहरा महिलाओं के अपमान का बदला लेने का सबसे बड़ा पर्व !    महिलाओं के सम्मान का सबसे बड़ा पर्व है नवरात्र !
         दशहरा और नवरात्र जैसे त्योहारों पर  श्रद्धा रखने वाले लोग बलात्कारी नहीं हो सकते !
    शास्त्रों में कन्याओं के पूजन का विधान तो है ही साथ ही देवी रूप में सौभाग्यवती स्त्रियों के पूजन का विधान भी है जो सनातन हिन्दू संस्कृति के अलावा किसी अन्य धर्म संप्रदाय में नहीं दिखता !दूसरे की स्त्री को माँ मानने के संस्कार भी सनातन हिन्दू संस्कृति में ही मिलते हैं ।प्यार की परंपरा भारत में सबसे अधिक प्राचीन है हमारी संस्कृति में माता पिता भाई बहनsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/10/blog-post_21.html


  • रावण बेचारा अपने माता पिता की एक गलती का दंड भुगत रहा है आज तक !अन्यथा उसमें और कौन कौन से गुण नहीं थे !
  माता पिता की एक गलती से आज तक अपमानित होता है रावण और हर वर्ष जलाया जाता है उसका पुतला ! अब क्या माता पिताओं को भी नहीं सुधरना चाहिए!!बंधुओ !यदि हम स्वयं संस्कारों का पालन नहीं करेंगे तो बच्चों से संस्कारित आचरण की अपेक्षा कैसे रख सकते हैं !रावण के माता पिता की गलती क्या थी जानिए आपभी और ऐसी गलतियाँ होती भी सबसे हैं तभी तो हो रहे हैं बलात्कारी और गायों को खाने वाले बच्चे आखिर हो क्यों रहे हैं यदि हम सब ठीक ही हैं तो !  मजे की बात तो ये है कि जो प्यार करने के नाम पर बलात्कार see more.....http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/10/bhu-ph.html
    रावण के इतना भाग्यशाली दृढ़सिद्धांत का व्यक्ति न कोई हुआ है और न होगा !रावण को दोष देने वाले लोग रामायण साहित्य को नहीं जानते हैं !
   श्री राम और श्री रावण दोनों ही इस पृथ्वी पर एक ही प्रयोजन की पूर्ति के लिए आए थे दोनों का उद्देश्य सामाजिक बुराइयों  को समाप्त करना था !बुराइयोंके आ जाने पर बड़ा से बड़ा व्यक्ति नष्ट हो सकता है श्री राम ने इस बात का उपदेश किया और रावण ने इसी बात को चरितार्थ करके दिखा दिया कि बुराइयों से जब रावण जैसे महान पराक्रमी राजा का सर्वनाश हो सकता है तो हम लोगों को भी सुधरना चाहिए !    
  रावण को मारने के लिए स्वयं पधारे थे श्री राम इतना बड़ा सम्मान !ब्रह्मा स्वयं वेद पढ़ते थे !भगवान् शिव स्वयं पूजा करवाने जाया करते थे !वायु देवता बुहारी करते थे अग्नि देवता माली बने थे !षष्ठी कात्यायनी देवियाँ बच्चों का पालन पोषण करती थीं नवग्रह सीढ़ी बने हुए थे !
    माता जानकी का इतना बड़ा भक्त जिन्हें प्रणाम करके वो सुखी होता था ! "मन महुँ चरण बंदि सुख माना" माता सीता के लिए जंगल की वेदनाएँ उससे देखी नहीं गईं तो  उठा कर अपने यहाँ ले गया था !मैया ने कहा पिता बचन से हम नगर नहीं जा सकते तो "बन अशोक तेहिं राखत भयऊ !" रानियों को लगता था जैसे सभी नारियां रावण को देखकर मोहित हो जाती हैं वैसे ही सीता भी हो जाएँगी तो रावण ने कहा भारतीय नारियों के सतीत्व को कोई योद्धा पराजित नहीं कर सकता और न ही वो किसी से डरती हैं उनके लिए विश्व का साम्राज्य तुच्छ है यह दिखाने के लिए अपनी रानियों को पुष्प वाटिका ले गया था -
               तेहि अवसर रावण तहँ आवा !  
                 संग नारि बहु किए बनावा !!
    कोई किसी स्त्री को विवाह हेतु  राजी करने के लिए भीड़ लेकर जाता है क्या ?हमने रामायण को अपनी कलुषित दृष्टि से देख डाला ये अपराध हमने किया है  !इसमें रावण कहीं से दोषी नहीं है  जिसकी कमी श्री राम नहीं निकाल सके !गोस्वामी तुलसी दास जी नहीं निकाल सके उसे दोषी हम कैसे सिद्ध कर सकते हैं !
     रावण तो बहुत बड़ा विद्वान् पराक्रमी तपस्वी था !14000 स्त्रियों,लाखों परिजनों करोड़ों अनुयायियों का स्नेह भाजन था !इतने बड़े जान समूह का समर्पण प्राप्त कर लेना बहुत बड़ी बात थी रावण के जैसा संतान सुख आज तक किसी को हुआ ही नहीं ! पिता की अच्छी अच्छी बातों को बिना बिचारे ठुकरा देने वाला समाज ,पिता को वृद्धाश्रम भेज देने  समाज उस भाग्यशाली रावण की बराबरी कैसे कर सकता है जिस पिता की गलत  इच्छा की पूर्ति के लिए सब बलिदान देते चले गए किसी ने एक बार भी रावण से नहीं कहा कि आप पुनर्विचार कर लीजिए !
   

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