भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
Thursday, October 18, 2012
sarkar ya parivaar sab laachar
अरविंद केजरीवाल सफल सॅपेरे हैं जिस तरह उन्होंने भ्रष्टाचार रूपी सर्प का फन पकड़ा है यह सबसे उचित ढंग है। इस प्रकार के प्रयास इस देश को महॅंगाई एवं अपराधों से मुक्ति दिला सकते हैं ऐसा लगता है।उनके प्रमाणित तर्क ,शालीन व्यवहार एवं संयमित शब्दावली प्रशंसनीय है। दूसरी ओर से भोंड़े तर्क, अशालीन भाषा, प्रमाणहीन वक्तव्य एवं घमंडी भाव भंगिमाएँ ठीक नहीं लग रही थीं वो भी भाषायी आक्रोश ऐसा लग रहा था जैसे किसी को दिखाने के लिए चाटुकारितावश सब कुछ केवल बका जा रहा था।हृदय एवं मन का पक्ष उन वक्ताओं के साथ है ऐसा नहीं लग रहा था। जैसे उनकी आत्मा ऐसा कहने करने को रोक रही हो वे बेचारे बरबस कुछ कहने के लिए मजबूर से दिखाई दे रहे थे। पत्रकारों के प्रश्नों से आहत रोने सी सकल वाले उन सरकारी महारथियों को देख कर हर किसी को दया आ रही थी। मीडिया कर्मी तो कर्तव्य से बॅधे थे।
महॅंगाई अपराधियों से सॉंठ गॉंठ आदि बातों से हो उसे इतना तुनक मिजाज बनना ठीक नहीं है। जबकि बढ़ती महॅंगाई रोकने में सरकार लगातार विफल होती जा रही हो तो जनता में से ही निकल कर कोई अरविंद केजरीवाल जैसे प्रबुद्ध व्यक्ति यदि यह जानना चाहते हैं कि ये लोग सरकार चला नहीं पा रहे हैं या अपने वा अपने नाते रिश्तेदारों के लिए सरकार चला रहे हैं तो किसी को बुरा क्यों लग रहा है? आखिर वोट देकर सरकार बनवाई गई है देश बेच तो नहीं दिया गया है कि अब कुछ कहा ही नहीं जा सकता है। साथ ही सरकार में बैठे किसी व्यक्ति को ही देश की चिंता है बाकी किसी को हो ही नहीं सकती है और बाकी किसी के पास देश को चला सकने की क्षमता ही नहीं है।
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