भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
Sunday, November 18, 2012
ज्योतिष विद्या के साथ मजाक क्यों ?
वस्तुतः इस विद्या का कोई आर पार ही नहीं है। कुछ लोग ज्योतिष शास्त्र को विज्ञान मानकर इस विद्या का अध्ययन करन वाले हैं।ऐसे लोग बहुत परिश्रमी चरित्रवान साधक एवं ज्योतिष के विद्वान गुरू के प्रति समर्पित होते हैं,क्योंकि हजारों ग्रंथ हैं योग्य गुरु की चरण सेवा करके वीसों वर्ष समर्पित रहने पर गुरुकृपा से ही यह विद्या प्राप्त की जाती है। भारत सरकार के प्रमाणित संस्कृत विश्व विद्यालयों में एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष का डिपार्टमेंट है , पूर्वमध्यमा (डिग्री) का मतलब 10 वीं कक्षा, उत्तरमध्यमा (डिग्री) का मतलब 12 वीं कक्षा, तथा शास्त्री का अर्थ बी.ए.,एवं ज्योतिषाचार्य का अर्थ ज्योतिष विषय लेकर एम.ए. परीक्षा पास की गई है। इसके बाद पी.एच.डी. आदि सब कुछ सामान्य विश्व विद्यालयों के साईंस आदि अन्य पाठ्यक्रमों की तरह ही करना होता है। ऐसे लोग बडे संयमी होते हैं ये अपनी योग्यता का प्रदर्शन नहीं करते शास्त्र की सीमा में रहकर ज्योतिष शास्त्र के द्वारा सुगमता पूर्वक समाज सेवा करते हैं। ये किसी को मिसगाइड नहीं करते इसी कारण इनके पास धन अधिक नहीं होता। ऐसे लोगों में योग्यता का गौरव होता है अपनी प्रशंसा अपने मुख से करने में शर्म करते हैं। अपना विज्ञापन ये करना नहीं चाहते और चाहें भी तो भारी भरकम धनराशि देकर अखबार या टी.वी. चैनल से स्थान और समय लेना भी संभव नहीं है। ऐसे लोग अनुभव, जिज्ञासा या श्रद्धा से ढूँढे जा सकते हैं ।
यह ज्योतिष शास्त्र से जुड़ी दूसरी योग्यता है कला सीखने से आती है। जैसे जूते सिलना पढ़ा नहीं जा सकता सीखा ही जाता है। इस विधा से जुड़े लोग ज्योतिष एवं ज्योतिषियों के बारे में पहले ही सुन चुके होते हैं लोगों की समस्याओं में गहरी पैठ भी रखते हैं उनकी समस्याओं के साथ अपने मन मुताबिक कोई ग्रह या राशि जोडकर लोगों को डरा धमका करके अपने तथाकथित प्रोडक्ट बेचकर लूटने वाले ज्योतिष से जुड़े ऐसे ज्योतिषकलाकार लोग होते हैं। इनमें से कोई वकील, कोई बैंक या रेलवे कर्मचारी या व्यापारी आदि किसी भी काम से कुछ धन कमा चुके लोग भारी भरकम विज्ञापनों के माध्यम से रातों रात इस धंधे में कूद पड़ते हैं और स्वयं भू ज्योतिषी बन जाते हैं। ऐसे लोग अपनी पहचान ही गुरू जी या कोई अन्य सम्मानित शब्द कहकर देते हैं। स्वयं चिट्ठी लिखकर लाते हैं जिसे चैनल पर किसी किराये के लड़के या लड़की से पढ़वाते हैं । कुछ पाखंडी तो अपनी प्रशंसा करने के लिए पैसे देकर फिल्मी लोगों के साथ बैठकर बड़े-बड़े दावे करते हैं। ये आपको ठगने के लिए बंदरों की तरह कलाएँ किया करते हैं। पैंट शर्ट अथवा लाल कपड़े पहने शर्ट के ऊपर माला, माथे पर छोटी तिलक टिक्की, बड़े बाल, बड़ा चंदन, अधिक ज्वैलरी, नग-नगीनों से सुसज्जित बात-बात में ज्योतिष से रिसर्च करने का दावा ठोंकते हैं लेकिन कभी किसी गुरू, विश्वविद्यालय या ज्योतिष की किताब से इनका कोई संबंध नहीं रहा होता है। कुछ किताबों के पन्ने फाड़कर अपने नाम से किताब छाप लेना, अपना ज्योतिष विद्यालय चलाने का आडंबर करना, जिससे लोग समझें कि ये कुछ पढ़े लिखे न होते तो किताब कैसे लिखते तथा किसी को पढ़ाते कैसे? कुछ नेताओं, मंत्रियों, फिल्मी लोगों के साथ फोटो खिंचाना, आपसी चंदा इकट्ठा करके ज्योतिष सम्मेलन करना आपस में एक दूसरे को गोल्ड मैडल देना लेना आदि सम्मानित कर लेना । बनावटी उपाधियों से विभूषित होने वाले ये लोग नकली होने के बाद भी असली से अधिक चमकते हैं। हर विषय पर ज्योतिष की सटीक भविष्यवाणी करने का इनका दावा होता है। विश्व के किसी भी विषय में कैसी भी घटी या बिना घटी घटना के विषय में भी दावा कर देते हैं कि मैंने यह बात पहले ही कही थी कि ऐसा ही होगा। इनकी भविष्यवाणियों के प्रमाण ज्योतिष शास्त्र में ढूँढने पर भी नहीं मिलते। उसके समर्थन में ये लोग अपने कुछ इधर-उधर से जुटाए गए लेख आदि प्रमाण में भी दे देंगे जो सच नहीं होते। वेशक बाद में पता चले कि वो घटना घटी ही नहीं थी। खैर आप स्वयं समझदार हैं वैसे ज्योतिष के प्रचार प्रसार में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उठने, बैठने, नहाने-धोने, रोने,गाने, खेलने-कूदने आदि हर जगह इन्होंने ज्योतिष को बड़ी वेशर्मी से बुरी तरह झोंक रखा है।
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