भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
Saturday, November 17, 2012
विवाह मिलान क्या होता है ?
इस विधा में ध्यान रहे कि लड़के-लड़की के आपसी ग्रह, गुण और दशाओं का मिलान होना चाहिए। जो लोग केवल गुण मिलाकर विवाह कर देते हैं वो आधा अधूरा मार्ग है | संतान बाधा, स्वास्थ्य बाधा आदि अनेकों प्रकार की परेशानियाँ हैं जो गुणों के मिलने के बाद भी ग्रहों के आधीन होती हैं गुण से समस्याओं का समाधान तो नहीं हो जाता। इसलिए जीवन की उपयोगी सभी बातों का मिलान करना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं कि नाड़ी दोष केवल ब्राह्मण में होता है ऐसा क्यों? बड़ी गूढ़ बात है कि नाड़ी दोष में यदि पति की मृत्यु होती है तो विधवा स्त्री किसी और से विवाह कर लेती थी किन्तु ब्राह्मणों में ऐसा नहीं होता था। उसे आजीवन विधवा ही रहना पड़ता था। इसलिए कहा कि ‘नाड़ी दोषस्तु विप्राणाम्’ अर्थात नाड़ी दोष ब्राह्मणों में होता है। यद्यपि आज तो कम उम्र की विधवा ब्राह्मण स्त्रियों का भी दूसरा विवाह होने लगा है।
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