Monday, November 12, 2012

गिफ्ट लेन देन हो या विवाह पार्टियाँ पैसे की बर्बादी से बचो

   गिफ्ट लेन  देन हो या विवाह पार्टियाँ   पैसे की                               बर्बादी से बचो


    गिफ्ट लेने और देने या विवाह आदि की पार्टियों में खान पान की प्रक्रिया में आज गंदगी ही गंदगी हैकितना बर्बाद होता है खाना पीना ? मैंने बहुत सोचा कि इस परंपरा में भी आखिर कुछ तो अच्छाई होगी किंतु मैं निराश हूँ ।मेरा बश  चले तो इसे कल बंद कर दें किंतु हिंदुस्तान भेड़िया धसान हर कोई अंत हीन, तर्कहीन यात्रा पर भाग रहा है।बाजारों की महँगाई के लिए अकेले सरकार दोषी नहीं है सामाजिक रहन सहन एवं बात व्यवहार रीति रिवाज आदि बराबर के दोषी हैं

     आवश्यक वस्तुओं की छीछालेदर जो भी करेगा उसे भोगना जरूर पड़ेगा। पुराने लोग कहा करते थे कि एक एक दाना बरबाद होता है वो बदला जरूर लेता है, सरकारी गोदामों में सड़नेवाला गेहूँ आदि अनाज यह अत्यंत शर्मनाक है। आज विवाह आदि सभी प्रकार की पार्टियों में दिया जाने वाला भोजन बहुमूल्य होता है। वह खाने से ज्यादा बरबाद किया जाता है आखिर पहले लोग अपने हिसाब से बनवाते थे अपने हाथ से  खिलाते थे लोगों को अंदाज रहता था।फिर भी यदि घट ही गया तो क्या आपत्ति? यथा संभव व्यवस्था की जाती थी लोग एक दूसरे की मजबूरी समझते थे।और अब कहते हैं कि सामान घट गया तो इज्जत चली जाएगी अरे!इज्जत होती तब जाने का भय होता इज्जत बनाने के लिए कोई काम हो ही नहीं रहा सब कुछ न केवल दिखाने के अपितु औरों को बेइज्जत करने के लिए हो रहा है। जिनसे आपके खून के रिश्ते  हैं। जो सभी लोग एक दूसरे की मजबूरियाँ समझते थे। मिलजुल कर एकदूसरे के साथ लग जाते थे।सबके काम निकल जाते थे वो गर्व करने लायक सजीव समाज था।अब हलवाइयों को केवल इतना अंदाज रहता है खाना बढ़ चाहे जितना जाए घटा तो क्लेश !
      सरकारें चाहें जितनी बदली जाएँ वो समाज के सहयोग  के बिना कैसे कुछ कर सकती हैं। क्योंकि उनका वजूद ही समाज से है।आज हर चीज में घोटाला हो सकता है किंतु इसमें कोई घोटाला नहीं हो सकता कि सरकार जनता के वोट से बनती है इसलिए कोई दल जनता को नाराज क्यों करना चाहेगा?सरकार पर आरोप लगाते समय हर किसी बात के लिए सरकार को जिम्मेदार क्यों और कैसे ठहराया जा सकता है?आज ये समाज केवल बहसी पन की ओर बढ़ता जा रहा है।ये पार्टियॉं भी एक दूसरे को गरीब दिखाने के लिए की जा रही हैं।इन पार्टियों का उद्देश्य  ही केवल एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए हो रहा है।अपने पैसे में कौन कितनी आग लगा सकता है ये इसकी प्रतियोगिता मात्र हैं। बहुत लोग इनमें घुट रहे हैं किंतु विरोध करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं कई लोग ऐसे  हैं जो वास्तव में गरीब हैं किंतु उन्हें भय है कि कोई उनहें गरीब न समझ ले इसलिए कर्जा और पार्टी साथ साथ करते जा रहे हैं।आखिर वर्तमान समय में कौन बना रहा है सामाजिक नीतियाँ  किसे ठहराया जाए जिम्मेदार?
    आज शादी विवाह आदि सभी प्रकार की पार्टियों में घर परिवार के लोग, नाते रिश्तेदार आदि जो बचपन से आप से जुड़े हैं उन्हें जो वास्तविक खुशी  आपके कार्यक्रम में हो सकती है वह किसी और को क्यों होगी?वह भी सांसद मंत्री आदि महानुभावों में ढूँढते हो कभी नहीं मिलेगी।उपेक्षा के कारण केवल अपनों  से संबंधों में कटुता आएगी क्योंकि आपका ध्यान केवल वी.आई.पी. लोगों पर होता है वर्षों से आपकी शादी का आसरा लगाए बैठी बुआ, बहन, मामा, मौसी,चाचा,चाची,दादा,दादी से उस खुशी के क्षणों में मिल पाए आप? ले पाए उनका आशीर्वाद!जिन्होंने आपके जन्म से ही अपना जीवन सँभाल रखा है केवल अपने प्रिय पौत्र पौत्री का विवाह देखने के लिए,कोई छोटी सी भेंट सँभाल रखी है तुम्हें देने के लिए क्या तुम उनके पास बैठ कर ले पाये उस भेंट का आशीर्वाद?खंडित जीवन जीने वाले हम सभी लोग इतने बदलगए हैं कि केवल धिक्कारने लायक हैं ।
  अपने यहाँ  आए किसी अपने से पूछ पाए कभी कि आप ने खाना खाया या नहीं ?वह अपनी खुशी  का इजहार कर पाती दिया मौका उसे क्या? शादी के बाद जब वा चमक दमक की दुनियाँ  बिदा हो जाती है तब मिलता है समय अपनों से यह पूछने का कि आपने खाना खाया था या नहीं जब आपके हाथ में व्यस्तता का रोना रोने के अलावा एक पूड़ी भी नहीं  होती! 

    उस मंत्री की सेवा में आप व्यस्त थे  जिसे महीनों गिड़गिड़ाकर अपनी पार्टी में बुलाने के लिए मना पाये थे आप।केवल अपना वैभव दिखाकर अपनों की बेइज्जती करने के लिए अपनों को बुलाना क्या अपनेपन के साथ अन्याय नहीं है?धिक्कार है अपनी पार्टियों में अपनेपन के नाम पर सबको बुलाकर केवल पैसे वाले  नेताओं को ढूँढ़कर उनके साथ वीडियो बनवाने फोटो खिंचाने में आप व्यस्त थे।गरीब नाते रिश्तेदारों के लिए केवल इतना सोचा था कि पार्टी खतम होने के बाद खाली टाईम में गिफ्ट लेकर किसी दिन चले जाएँगे उनके घर व्यस्तता का रोना रोने धोने,फिर भी कितने भले होते हैं वे गरीब लोग? बड़ी आसानी से भूल जाते हैं आपके द्वारा आपकी पार्टी में हुआ अपना अपमान!और फिर मिलाने लगते हैं आपकी हाँ में हाँ! 

 

 

     राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

No comments:

Post a Comment