Saturday, November 17, 2012

यंत्र तंत्र और ताबीजों की सच्चाई और दुष्प्रचार का अंतर !

यंत्र तंत्र और ताबीजः-

यंत्र से आशय है कि जब शास्त्र की बताई विधियों से भोजपत्र आदि पर अनार की लेखनी या केशर की स्याही से दस हजार या एक लाख लिखकर जमुना गंगा आदि धारा में बहाए जाएँ तो वह यंत्र सिद्ध माना जाता है इस प्रकार की हर यंत्र को सिद्ध करने की अलग अलग शास्त्र विधि है। ऐसे सिद्ध यंत्र ही किसी सात्विक सदाचारी ईश्वर भक्त व्यक्ति को देकर ईश्वर से प्रार्थना की जाए तो काम बनते देखे गये हैं। इन यंत्रों को ही ताबीज में भर दिया जाता है और कहे हुए मंत्र से हवन कर उसी आग में तपाया जाता है जिससे सिद्ध हो जाते हैं। ऐसे सिद्ध यंत्रों को धारण करने से सुरक्षा होती है, किन्तु ये यंत्र बेचे नहीं जा सकते क्योंकि ईश्वर की कृपा किसी की गुलाम नहीं हो सकती।बाजारों में विज्ञापनों में बिकने वाले यन्त्र किसी ड्रामे से कम नहीं हैं।आज बड़ी बड़ी कम्पनियाँ बेवकूप बना कर इस क्षेत्र में कूद रही हैं।कोई सिद्ध साधक ही यंत्र निर्माण कर सकता है ये पवित्र प्रसाद व्यापार योग्य नहीं होता है।

 अपनी श्रद्धा से कुछ भी कोई दे इसमें दोष नहीं हैं। कोई व्यक्ति किसी और से पैसे लेकर उसे यंत्र बेच दे और उस यंत्र के देवता को आदेश दे कि जाओ इसका काम करो और देवता उस बात को मान कर उसका काम करने लगे। ऐसे लोग देवता को नौकर मानते हैं क्या? इस प्रकार के झाँसे में नहीं पड़ना चाहिए। टी.वी. चैनलों पर यंत्रों की बिक्री के विज्ञापन एक ड्रामे से अधिक और कुछ भी नहीं हैं।

 तंत्रः 

 इस विधा में कोई विशेष द्रव्य किसी विशेष दिन किसी विशेष जगह रखा, पहना, फेंका या खाया-खिलाया जाए  तो उसके अच्छे बुरे परिणाम होते देखे गये हैं। समाज में फैले जादू-टोने भी इसी विधा में आते हैं। प्रमाणित तंत्र शास्त्रों में लिखे गए तंत्र प्रमाणित एवं प्रभावी होते रहे होंगे, परतंत्रता के दिनों में इस विद्या का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। आज कल तो इस विद्या से जुड़ी फिल्में देखकर लोग ऐसे पागल हुए हैं कि भगवान का भरोसा छोड़कर हल्दी, कोयला, चीटी-चमगादड़ों में ही अपना भविष्य ढूँढने लगे हैं।
गद्दी और चौकी लगाने वाले लोगः 

    ये शास्त्रीय विद्या नहीं है न ही इनके पास ऐसी कोई शक्ति होती है। आपही सोचिए कोई देवी-देवता इनके हवाले अपने को क्यों कर देगा ? ये लोग पागल, बीमार, बकवासी या किसी कुंठा के शिकार होते हैं जो बिना कुछ किए ही समाज में यश, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करने का घृणित प्रयास करते रहते हैं। मीडिया की कृपा से ऐसे पाखंडी कुछ बेनकाब हो चुके कुछ हो रहे कुछ आगे हो जाएँगे। ऐसे गंदे धंधे से जुड़े लोग दूसरे की बेटी बहुओं की इज्जत से आसानी पूर्वक खेलते रहते हैं।
नोटः 

अपना काम बनाने के लिए सीधे तौर पर भगवान से स्वयं प्रार्थना करनी चाहिए यहाँ मीडियेटर नहीं चलता है।

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

 

 

 

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