भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
Sunday, November 18, 2012
नग और नगीनों का सच भ्रम और भ्रष्टाचार ?
हर ग्रह का कोई न कोई प्रिय रंग होता है। संसार की सभी वस्तुएँ 9 ग्रहों में ही बाँटी गई हैं अपने ग्रह से संबंधित वस्तु खाने से, पहनने से या उसका हवन करने से उस ग्रह की प्रसन्नता प्राप्त होती है और वह ग्रह अपने से जुड़े कष्ट कम कर देता है। बीमारी होने पर भी यही विकल्प बताया गया है। ग्रहों से संबंधित जड़ी बूटियाँ भी पहनी जा सकती हैं, किन्तु नग-नगीनों में कमीशन अधिक मिलता है जबकि जड़ी बूटियों में कौन कितना कमीशन या कीमत दे देगा? नग-नगीनों को बताने वाले ज्योतिषी का कमीशन, इन्हें बेचने वाले का प्राफिट तथा पहनने वाले की शोभा बढ़ती है। इसलिए नग-नगीनों का प्रचलन अधिक हो गया है। यद्यपि बुरे समय से बचने के लिए सबसे अधिक प्रभाव मंत्र जप का होता है। उसका कारण पिछले जन्म में जिस ग्रह से संबंधित पाप किया गया होता है इस जन्म में वही ग्रह कष्टकारक होता है। मंत्र जप करने से पिछले पाप कटते हैं जिससे इस जन्म के संकट कट जाते हैं। जबकि नग पहिनने से ग्रह प्रसन्न होते हैं इससे वे संकट आगे के लिए टाल सकते हैं । क्योंकि ग्रह सुख दुख देने में स्वतंत्र नहीं होते। इस लिए मंत्र जप वो भी वैदिक मंत्रों के जप से ही विशेष फल मिलता है।
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